Jammu : जम्मू-कश्मीर में इस समय लोकतंत्र नहीं तानाशाही चल रही : चैंबर
चैंबर ने कहा है कि सरकार अपने स्तर पर ही निर्णय ले रही है और ऐसे फैसले किए जा रहे हैं जिससे लोग सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। सरकार जन-विरोधी फैसले से पहले न तो चैंबर को विश्वास में ले रही है और न दूसरे संबंधित संगठनों को।
जम्मू, जागरण संवाददाता : चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था पर निशाना साधते हुए कहा है कि मौजूदा सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उससे प्रदेश में लोकतंत्र नहीं, तानाशाही का एहसास हो रहा है। चैंबर ने कहा है कि सरकार अपने स्तर पर ही निर्णय ले रही है और ऐसे फैसले किए जा रहे हैं जिससे लोग सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। सरकार ऐसे जन-विरोधी फैसले लेने से पहले न तो चैंबर को विश्वास में ले रही है और न ही दूसरे संबंधित संगठनों को। चैंबर ने कहा है कि ऐसा ज्यादा देर नहीं चलेगा और अगर सरकार ने ऐसे ही तानाशाही करती रही तो उसे आने वाले दिनों में व्यापारियों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।
चैंबर प्रधान अरूण गुप्ता ने शनिवार शाम रेलहैड काम्पलेक्स स्थित चैंबर हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल के नेतृत्व में प्रशासन पूरी तरह से मनमर्जी पर उतर आया है। नई आबकारी नीति का जिक्र करते हुए अरूण गुप्ता ने कहा कि यह नीति लाकर सरकार हजारों लोगों को बेरोजगार करने जा रही है। उन्होंने कहा कि चैंबर ने इस मुद्दे को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह व उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सामने भी रखा लेकिन लगता है कि सरकार ने बात न सुनने का मन बना लिया है।
जम्मू नगरनिगम की ओर से अतिक्रमण विरोधी अभियान का जिक्र करते हुए चैंबर प्रधान ने कहा कि नगरनिगम का जब मन करता है, बाजारों में बुल्डोजर लेकर पहुंच जाती है। बिना कोई सूचना कार्रवाई की जाती है। अरूण ने कहा कि अगर नगरनिगम को लगता है कि कहीं पर कोई अतिक्रमण हुआ है तो उसे पहले चैंबर या संबंधित बाजार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए।
चैंबर स्वयं पहले करेगा और दुकानदारों से अतिक्रमण हटाने की अपील करेगा। जम्मू में निर्माण सामग्री की किल्लत और किल्लत के बीच कालाबाजारी का जिक्र करते हुए चैंबर प्रधान ने कहा कि आज लोगों को निर्माण करने के लिए रेत-बजरी नहीं मिल रही। उन्होंने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो रेट तय करे और यह सुनिश्चित करें कि लोगों को तय रेट पर सामग्री मिले लेकिन यहां सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही।