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Jammu Kashmir : गैर मुमकिन खड्ड की खरीद-फरोख्त पर रोक संबंधी आदेश को चुनौती

जम्मू शहर में ही कई ऐसी कालोनियां है जो गैर मुमकिन खड्डों पर बनी है। उन्होंने कहा कि जम्मू विकास प्राधिकरण व जम्मू-कश्मीर हाउसिंग बोर्ड के अलावा कई निजी कंपनियों ने गैर मुमकिन खड्डों पर कालोनियों का निर्माण किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 11:04 AM (IST)
Jammu Kashmir : गैर मुमकिन खड्ड की खरीद-फरोख्त पर रोक संबंधी आदेश को चुनौती
2020 में वित्तीय आयुक्त की ओर से आदेश जारी कर इसे अमान्य करार दे दिया गया जोकि गलत है।

जम्मू, जेएनएफ : गैर मुमकिन खड्ड की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने संबंधी राजस्व विभाग के वित्तीय आयुक्त की ओर से 22 अक्टूबर 2020 को जारी आदेश को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

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इस आदेश में कहा गया था कि प्रदेश जल नीति व उसके तहत 25 अक्टूबर 2017 को जारी योजना के तहत जो जमीनें आती है, उनका हस्तांतरण व उसके फलस्वरूप लेनदेन पूरी तरह से अमान्य होगा और भविष्य में भी ऐसी जमीनों के हस्तांतरण को लेकर किसी तरह की कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होगी।

हाईकोर्ट की जस्टिस सिंधु शर्मा ने याचिका पर गौर करने के बाद सरकार को चार सप्ताह के भीतर पक्ष रखने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से पक्ष नहीं रखा जाता है तो याचिका की मेरिट के आधार पर फैसला सुनाया जाएगा।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट सकल भूषण ने कहा कि जम्मू शहर में ही कई ऐसी कालोनियां है जो गैर मुमकिन खड्डों पर बनी है। उन्होंने कहा कि जम्मू विकास प्राधिकरण व जम्मू-कश्मीर हाउसिंग बोर्ड के अलावा कई निजी कंपनियों ने गैर मुमकिन खड्डों पर कालोनियों का निर्माण किया है।

उन्होंने कहा कि रूपनगर, बनतालाब, बीरपुर, छन्नी हिम्मत, सैनिक कालोनी व ग्रेटर कैलाश जैसी कालोनियां भी गैर मुमकिन खड्डों पर बनी है और ऐसे में वित्तीय आयुक्त की ओर से जारी आदेश ने लोगों में भय की स्थिति पैदा कर दी है।

एडवोकेट सकल भूषण ने कहा कि इन कालोनियों में रहने वाले कई लोगों ने अपनी यहीं संपत्ति बैंकों के पास गिरवी रखी है। ऐसे में बैंकों का भी करोड़ों रुपये ऐसी संपत्तियों में फंसा है। उन्होंने कहा कि सात जून 2018 को जम्मू के डिप्टी कमिश्नर ने गैर मुमकिन खड्डों की खरीद-फरोख्त की अनुमति दी थी लेकिन 2020 में वित्तीय आयुक्त की ओर से आदेश जारी कर इसे अमान्य करार दे दिया गया जोकि गलत है।


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