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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिसीमन पर साफ किया रूख, पर नहीं थम रहा सियासी तूफान

परिसीमन आयोग के गठन को राज्य में सक्रिय अलगाववादी व आतंकी संगठन अपने मंसूबे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करेंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 12:14 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 12:14 PM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिसीमन पर साफ किया रूख, पर नहीं थम रहा सियासी तूफान
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिसीमन पर साफ किया रूख, पर नहीं थम रहा सियासी तूफान

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिसीमन आयोग के गठन पर विराम लगाते हुए साफ कर दिया है कि इस बारे में अभी कोई चर्चा नहीं हुई है, लेकिन रियासत के सियासत में इसे लेकर उठा तूफान शांत नहीं हो रहा है। कश्मीर विशेषज्ञों के अनुसार, परिसीमन आयोग का गठन केंद्र सरकार के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अलगाववादी तत्व इसे कश्मीर बनाम जम्मू और कश्मीरी बनाम दिल्ली की जंग बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।

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केंद्र सरकार राजनीतिक नक्शा बदलने के मूड में

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के हालात पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह सचिव समेत गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इसमें केंद्रीय खुफिया एजेंसी के आलाधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में राज्यपाल सत्यपाल मलिक की केंद्रीय गृह मंत्री को राज्य के हालात पर सौंपी गई रिपोर्ट पर विचार विमर्श हुआ था। बैठक के दौरान संकेत मिला था कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग का गठन और राजनीतिक नक्शा बदलने के मूड में है। जम्मू संभाग में सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ ही अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठक के बाद परिसीमन की उड़ी खबरों से जम्मू कश्मीर में सियासी हलचल शुरू हो गई थी। कश्मीर केंद्रित सियासी दलों नेशनल कांफ्रेंस व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने जनांदोलन छेड़ने की चेतावनी दे डाली थी।

परिसीमन आयोग का गठन अत्यंत चुनौतीपूर्ण

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ अहमद अली फैयाज ने कहा कि परिसीमन आयोग का गठन जम्मू कश्मीर में अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। संसद और जम्मू कश्मीर विधानसभा ने 2026 तक परिसीमन आयोग के गठन पर रोक लगा रखी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के बाद विवाद शांत होना चाहिए, लेकिन यह मामला सियासत को गर्म रखेगा। जम्मू-कश्मीर जहां 68 फीसद मुस्लिम हैं वहां हिंदू कार्ड की सियासत मुश्किल पैदा कर सकती है। परिसीमन आयोग के गठन को राज्य में सक्रिय अलगाववादी व आतंकी संगठन अपने मंसूबे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करेंगे। परिसीमन आयोग के गठन के लिए आपको संसद में जाना पड़ेगा।

परिसीमन मसले पर न्यायालय का दरवाजा भी पैंथर्स खटखटा चुकी

पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक बलवंत सिंह मनकोटिया ने कहा केंद्र सरकार परिसीमन आयोग गठित करें। इस संबंधी पैंथर्स विधानसभा में कई बार मांग भी कर चुकी है। धरने प्रदर्शन से लेकर न्यायालय का दरवाजा भी पैंथर्स खटखटा चुके हैं। मनकोटिया बुधवार को पैंथर्स कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। पैंथर्स पार्टी कार्यालय में पार्टी के राज्य प्रधान एवं पूर्व विधायक बलवंत सिंह मनकोटिया ने कहा कि साल 2005 में परिसीमन आयोग गठित न करने पर पैंथर्स पार्टी कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन सरकार से अलग हो गई थी। पैंथर्स पार्टी शुरू से परिसिमन की मांग करती आ रही है। पैंथर्स पार्टी के हर चुनावी घोषणा पत्र में परिसीमन आयोग के गठन मुद्दा रहा है।

भाजपा का नहीं संविधान का एजेंडा चलना चाहिए : पीडीपी

केंद्र सरकार को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे यहां हालात बिगड़े। अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिसीमन आयोग के गठन पर किसी तरह की चर्चा से इन्कार किया है तो फिर यह बात कहां से आई। यहां भाजपा और आरएसएस का नहीं संविधान का ही एजेंडा चलना चाहिए।

राज्य व केंद्र को परिसीमन पर आम राय बनानी होगी

पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि परिसीमन आयोग के गठन को राजनीतिक असंतुलन दूर करने के लिए आवश्यक नहीं बताया जा रहा है। इसे जम्मू बनाम कश्मीर और हिंदू बनाम मुस्लिम के मुद्दे के तौर पर उछाला जा रहा है।

केंद्र ने शिगूफा छोड़ा है : कांग्रेस

  • हमने तो पहले कहा था कि विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने शिगूफा छोड़ा है। यह संवैधानिक मामला है। 2002 में भाजपा ने परिसीमन पर 2026 तक रोक संबंधी बिल पर नेकां का साथ दिया था। कांग्रेस चाहती है कि विधानसभा क्षेत्रों का जल्द पुनर्गठन हो, लेकिन भाजपा ने नेकां व पीडीपी से संभावित राजनीतिक गठजोड़ की संभावना को बनाए रखने के लिए अपने कदम पीछे खींचना शुरू कर दिए हैं। - रविन्द्र शर्मा, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता

हालात बिगाडऩा चाहता है केंद्र

  • भाजपा अपने सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए यहां हालात बिगाडऩा चाहती है। इसलिए वह ऐसे मुद्दों को विवाद बना रही है, जिससे यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो। परिसीमन आयोग का गठन संवैधानिक मुद्दा है। केंद्र सरकार ने 2001 में 2026 तक पूरे मुल्क में परिसीमन पर रोक लगाई थी। अगर केंद्र ऐसा कोई कदम उठाती है तो उसे यहां एक बड़े जनांदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए। - अली मोहम्मद सागर, नेकां नेता और पूर्व विधायक

जम्मू को धोखा दिया : पैंथर्स

  • केंद्र सरकार ने शुरुआत से पहले ही हार मान ली है। अगर बैठक में चर्चा नहीं हुई तो फिर केंद्रीय गृह मंत्रलय को स्पष्टीकरण देने की क्या जरूरत थी। हमें लगता है कि राज्य में निकट भविष्य में चुनावों को देखते हुए भाजपा नहीं चाहती कि नेकां या पीडीपी से गठजोड़ की राह में रुकावट बने। भाजपा ने फिर जम्मू वासियों से धोखा किया है। केंद्र को परिसीमन आयोग बनाकर जम्मू को उसका हक देना चाहिए। - हर्षदेव सिंह, चेयरमैन पैंथर्स 

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