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Jammu Kashmir Delimitation: 2011 की जनगणना सबसे बड़ा धोखा, नई जनगणना के आधार पर बढ़ाई जाएं सीटें

चाढ़क ने ज्ञापन के माध्यम से आयोग को अवगत कराया कि जम्मू और कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत ही जम्मू संभाग से भेदभाव के साथ हुई थी। 1947 में विलय के बाद कश्मीर के लिए 43 सीटें जबकि जम्मू के लिए 30 सीटें आवंटित की गई थी।

By Edited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 07:11 AM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 07:17 AM (IST)
Jammu Kashmir Delimitation: 2011 की जनगणना सबसे बड़ा धोखा, नई जनगणना के आधार पर बढ़ाई जाएं सीटें
कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल वीरवार को जम्मू में परिसीमन आयोग के साथ बैठक कर ज्ञापन सौंपा।

जागरण संवाददाता, जम्मू : डोगरा सदर सभा ने 2011 की जनगणना को नकारते हुए नई जनगणना के आधार पर परिसीमन की मांग की है। डोगरा सदर सभा ने जम्मू संभाग के लिए 49 सीटों की मांग करते हुए सभी जम्मूवासियों से इसके लिए एकजुट होने की अपील की है। डोगरा सदर सभा के अध्यक्ष गुलचैन सिंह चाढ़क ने संवाददाता सम्मेलन में 2011 की जनगणना को फर्जी करार देते हुए कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों के निष्पक्ष और न्यायपूर्ण परिसीमन के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता है।

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उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि जम्मू में परिसीमन आयोग से मिलने के लिए बड़ी संख्या में समूहों और व्यक्तियों ने ज्ञापन सौंपा और जम्मू से हुए भेदभाव को उजागर किया। चाढ़क ने कहा कि समय आ गया है कि सभी जम्मूवासी एक मंच पर आएं और इस तरह के मुद्दों को उठाते हुए अपनी सोच को एक साथ रखें। ऐसे सामूहिक प्रयासों से जम्मू को उसका हक मिलना संभव हो सकता है।

चाढ़क ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आयोग ने दर्जनों संगठनों के प्रतिनिधियों को एक साथ मिलने का समय दिया। बेहतर होता कि परिसीमन आयोग के सदस्य कुछ और समय लेकर लोगों की बातें सुनते। चाढ़क ने ज्ञापन के माध्यम से आयोग को अवगत कराया कि जम्मू और कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत ही जम्मू संभाग से भेदभाव के साथ हुई थी। 1947 में विलय के बाद कश्मीर के लिए 43 सीटें, जबकि जम्मू के लिए 30 सीटें आवंटित की गई थी।

लगातार कश्मीर केंद्रित सरकारों द्वारा जनगणना में हेरफेर किया जाता रहा। अभी जम्मू में 37 सीटें हैं, जबकि कश्मीर में 46 सीटें हैं। जम्मू संभाग में 7.67 फीसद ज्यादा मतदाता होने पर भी सीटें कम डोगरा सदर सभा के अध्यक्ष गुलचैन सिंह चाढ़क ने परिसीमन आयोग को बताया कि 2002 में राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान, जम्मू संभाग में कुल मतदाता 31,06,280 थे, जबकि कश्मीर में 28,84,852 मतदाता थे। यानी जम्मू में 7.67 प्रतिशत अधिक मतदाता थे।

उन्होंने आकडे़ दर्शाते हुए कहा कि 2011 की जनगणना के आंकडे़ मनगढ़ंत हैं। चाढ़क ने कहा कि परिसीमन आयोग को बताया कि 1971 से 2001 के बीच जम्मू संभाग की जनसंख्या में औसत वृद्धि 31 फीसद थी, जो 2001 से 2011 के बीच घटकर 21 प्रतिशत हो गई। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस अवधि में घाटी में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के कारण एक बड़ी आबादी कश्मीर से जम्मू चली आई थी।

पहले जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल हो, फिर परिसीमन के बाद करवाए जाएं चुनाव: कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल वीरवार को जम्मू में परिसीमन आयोग के साथ बैठक कर ज्ञापन सौंपा। जिला कांग्रेस अध्यक्ष बब्बल गुप्ता के साथ संजीव शर्मा भी परिसीमन आयोग से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाए और उसके बाद जम्मू में परिसीमन कर नई विधानसभा बनाई जाए। बब्बल गुप्ता ने कहा कि परिसीमन आयोग को हमने ज्ञापन सौंपा था। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कमीशन से स्टेटहुड बहाल करने की मांग की है। बब्बल गुप्ता ने बताया कि हमने कमीशन को बताया कि जिला सांबा में सन 2011 में सवा तीन लाख मतदाता थे, लेकिन अब चार लाख से ज्यादा वोटर हैं। उन्होंने परिसीमन आयोग से मांग की है कि जिला साबा में दो विधानसभा से अब तीन विधानसभा बनाई जाए।


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