JK Bank Loan Scam : श्रीनगर के पूर्व डिप्टी मेयर शेख इमरान पर जम्मू-कश्मीर बैंक में करोड़ों की धोखाधड़ी में मामला दर्ज
जब एक ऋण खाता गैर-निष्पादित संपत्ति बन गया था इमरान ने बैंक के साथ एकमुश्त निपटान के लिए आवेदन किया। कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इमरान ने 138 करोड़ रुपये के कुल ऋण को पुनर्गठन कर उसे घटाकर 78 करोड़ रुपये कर दिया।
श्रीनगर, जेएनएन : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने श्रीनगर नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर और केहवा समूह के निदेशक शेख इमरान पर जम्मू-कश्मीर बैंक में करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। इमरान पर कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के रूप में दिए गए धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। जांच मेंं यह बात सामने आई है कि कंपनी को 138 करोड़ रुपये विभिन्न ऋण सुविधाओं के तहत जारी किए गए, जिसे कथित तौर पर बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से पुनर्गठित कर घटाकर 78 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
आपको बता दें कि इस मामले की पहले जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कर रही थी। दिसंबर 2019 में इमरान को गिरफ्तार भी किया गया था। एजेंसी ने तब कहा था कि ऋण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पुलवामा में केहवा स्क्वायर प्राइवेट लिमिटेड स्टोरेज प्लांट के निर्माण के लिए दिए गए थे, जो किसी अन्य काम में लगा दिए गए। पूछताछ के दौरान पता चला कि समूह की छह अन्य व्यावसायिक इकाइयां भी थीं। कंपनी ने करीब 138 करोड़ रुपये का ऋण जुटाया। जब देने की बात आई तो उन्होंने ऋण खाता गैर-निष्पादित संपत्ति बना दिया, इसके बाद इमरान ने बैंक के साथ एकमुश्त निपटान के लिए आवेदन किया। कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इमरान ने 138 करोड़ रुपये के कुल ऋण को घटाकर 78 करोड़ रुपये करवा दिया।
जांच में और अन्य वित्तीय अनियमितताओं का भी पता लगा। इनमें दक्षिण कश्मीर के लस्सीपोरा, पुलवामा में सीए स्टोरेज की स्थापना के लिए बढ़ी हुई परियोजना लागत के साथ सब्सिडी का दुरुपयोग शामिल है। यह पाया गया कि 5000 मीट्रिक टन की कुल क्षमता के साथ एकीकृत स्टोरेज प्लांट की स्थापना के लिए रुपये की लागत के लिए पात्र है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए पूर्ववर्ती बागवानी मिशन (HMNEH) योजना के तहत 33 करोड़ रुपये, बैंक द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र के आधार पर, कंपनी के पक्ष में 50% पात्र परियोजना लागत (EPC) की दर से 16.50 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे।
इस प्रस्ताव को मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) की अधिकार प्राप्त निगरानी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। जांच में पाया गया कि केहवा समूह की छह और व्यावसायिक इकाइयां हैं और इमरान ने इन इकाइयों के लिए विभिन्न ऋण सुविधाएं और ओवरड्राफ्ट जुटाए हैं।