Shopian Encounter Case: शोपियां मुठभेड़ में कैप्टन व दो अन्य लोगों ने सबूतों को मिटाने की कोशिश की
शोपियां कथित फर्जी मुठभेड़ में शामिल सेना के कैप्टन और दो अन्य लोगों ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी। इसका खुलासा पुलिस की चार्जशीट में हुआ है।पुलिस की सिट ने चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट पेश की है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : कश्मीर के शोपियां में पिछले साल जुलाई में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में शामिल सेना के कैप्टन और दो अन्य लोगों ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी। इसका खुलासा पुलिस की चार्जशीट में हुआ है। कैप्टन और अन्य दो लोगों ने मुठभेड़ में मारे गए तीन युवाओं के पास रखे गए हथियारों के सूत्रधारों के बारे में जानकारी नहीं दी थी। कैप्टन ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस को बरामद किए गए हथियारों के बारे में गलत जानकारी दी। पुलिस की एसआइटी ने चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट पेश की है। यह मामला शोपियां के अमशीपोरा में 18 जुलाई, 2020 का है, जब तीन युवक मारे गए थे, जिन्हें आतंकवादी कहा गया।
तीन युवाओं के निर्दोष होने की खबरें सोशल मीडिया पर चलने के बाद सेना ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपितों ने जिन अवैध हथियारों को प्रबंध किया था उनका कोई सूत्र नहीं बताया गया है। मुठभेड़ की भूमिका बनाते हुए तीनों आरोपितों ने जानबूझ कर सबूतों को खत्म कर दिया और बीस लाख रुपये के पुरस्कार के लिए आपराधिक साजिश के तहत गलत जानकारी दी। बीस लाख रुपये के लिए मुठभेड़ को अंजाम देने के आरोप को सेना ने पहले ही पूरी तरह से बेबुनियाद कर दिया है और कहा कि मुठभेड़़ के हालात में पुरस्कार देने का सेना में कोई सिस्टम नहीं है। सेना का कैप्टन दो अन्य लोगों के साथ इस समय हिरासत में है।
पुलिस चार्जशीट के अनुसार आरोपित कैप्टन एसओजी में तैनात एसपीओ फियाज अहमद के साथ संपर्क में था। दो नागरिकों के नाम पर दो मोबाइल नंबर पंजीकृत थे। अहमद जो मामले में गवाह है, उससे कैप्टन ने हथियार के लिए संपर्क किया था। जम्मू संभाग के पुंछ के रहने वाले अहमद ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया है। एसआइटी की चार्जशीट में फारेंसिक लैब की विस्तार से रिपोर्ट शामिल है। सिट को 62वीं राष्ट्रीय राइफल की तरफ से दी जानकारी में यह कहा गया है कि कैप्टन ने दावा किया है कि उसने अपनी सर्विस राइफल से 37 राउंड फायर किए थे।
सेना ने हीरपोरा पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई एफआइआर में दावा किया है कि उनकी अपनी सूचना थी कि गांव अमशीपोरा में कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं और 17 जुलाई, 2020 को मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए। सेना ने मामले की जांच की पूरी की और प्रारंभिक जांच में पाया कि सुरक्षा बलों ने आर्मड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट का अधिक इस्तेमाल किया और सेना ने अनुशासात्मक कार्रवाई शुरू की। सेना की 15वीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू पहले ही कह चुके हैं कि सबूतों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है और कानून के तहत सेना अगली कार्रवाई करेगी।