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बीएसएफ के नए रंगरूटों को आतंकवाद से लड़ने के लिए दिया जा रहा 'कठोर प्रशिक्षण'

आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए नए रंगरूटों को कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है क्योंकि बीएसएफ देश के लिए रक्षा की पहली पंक्ति है। सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना हमारा पहला कर्तव्य है। इसमें किसी तरह की ढील नहीं बरती जा सकती।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 07:53 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 12:10 PM (IST)
बीएसएफ के नए रंगरूटों को आतंकवाद से लड़ने के लिए दिया जा रहा 'कठोर प्रशिक्षण'
एसटीसी में सीमा पर और आतंकवाद रोधी अभियानों में ड्यूटी करने के लिए एडवांस कॉम्बैट ट्रेनिंग मिलती है।

जम्मू, जेएनएन: पाकिस्तान ने जिस तरह से संघर्ष विराम की आड़ में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सीमा पार ट्रेनिंग कैंप खोल रखे हैं। उसे देखते हुए सीमा सुरक्षा बल ने भी अपने जवानों को देश के इन दुश्मनों का सामना करने के लिए जवानों काे कठोर प्रशिक्षण देना शुरू किया है। 44 सप्ताह की इस विशेष ट्रेनिंग में सीमा सुरक्षाबल के नए रंगरुटों को पाकिस्तानी सेना की हर नापाक साजिश को विफल बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के नए रंगरूटों को सहायक प्रशिक्षण केंद्र (एसटीसी) में सीमा पर और आतंकवाद रोधी अभियानों में ड्यूटी करने के लिए एडवांस कॉम्बैट ट्रेनिंग मिलती है।एसटीसी, बीएसएफ उधमपुर के महानिरीक्षक प्रदीप कात्याल ने इस ट्रेनिंग के बारे में बताया कि सीमा पार जिस तरह से पाकिस्तान आतंकवादियों को अत्याधुनिक ट्रेनिंग के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण दे रहा है, उसे देखते हुए हमने भी अपनी ट्रेनिंग प्रक्रिया में काफी बदलाव किया है।

आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए नए रंगरूटों को कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है क्योंकि बीएसएफ देश के लिए रक्षा की पहली पंक्ति है। सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना हमारा पहला कर्तव्य है। इसमें किसी तरह की ढील नहीं बरती जा सकती। 

महानिरीक्षक कात्याल ने बताया कि 44 सप्ताह के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हम जवानों को व्यापक प्रशिक्षण देते हैं ताकि वे देश के किसी भी इलाके में लड़ सकें, चाहे वह राजस्थानए जम्मू-कश्मीर, पंजाब या फिर पूर्वोत्तर सीमा। आईजी ने बताया कि नए रंगरूटों के प्रारंभिक प्रशिक्षण में ड्रोन जैसे खतरों का सामना करना भी सिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह बुनियादी प्रशिक्षण है, हम उन्हें किसी भी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए ड्रोन विरोधी उपायों और सुरंग विरोधी उपायों जैसे प्रारंभिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।"

आपको बता दें कि खुफिया एजेंसी लगातार रक्षा मंत्रालय सहित बीएसएफ, सेना को इस बात की सूचनाएं दे रही है कि पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप में आतंकवादियों को आइएसआइ सैन्य ट्रेनिंग के साथ-साथ ड्रोन हमले करने का प्रशिक्षण भी दे रही है। अभी हाल ही में यह जानकारी भी दी गई कि 135 आतंकवादी सीमा पार बनाए गए लांचिंग पैड पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास कर रहे हैं। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए अपने तेज कर दिए है, उसी तरह सीमा सुरक्षाबल ने भी अपनी नीति व प्रशिक्षण में बड़े बदलाव किए हैं, ताकि उनके जवान हर स्थिति में आतंकवाद का डट कर मुकाबला कर सकें।


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