डोगरी से भेदभाव को कविताओं में किया उजागर
जागरण संवाददाता, जम्मू : डोगरी भाषा के साथ भेदभाव को कविताओं के माध्यम से कवियों ने
जागरण संवाददाता, जम्मू : डोगरी भाषा के साथ भेदभाव को कविताओं के माध्यम से कवियों ने उजागर किया। टीम जम्मू की ओर से दस कवियों की कविताओं को किताब में संग्रहित किया गया और उस कविता संग्रह का रविवार को प्रेस क्लब में विमोचन किया गया।
'डोगरी कन्नै मतरेआ बरता' शीर्षक से प्रकाशित कविता संग्रह में डोगरी के कवियों ने अपनी मातृभाषा के साथ अपने ही घर में भेदभाव को दर्शाया है, जबकि रणधीर सिंह रायपुरिया ने जम्मू के उन नेताओं, मंत्रियों पर भी कटाक्ष किया है, जो जम्मू के साथ भेदभाव को मुद्दा बनाकर सत्ता तक तो पहुंच गए लेकिन अब कश्मीरी हुकूमत के बनकर रह गए हैं। प्रेस क्लब में आयोजित विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता डोगरी संस्था के प्रधान प्रो. ललित मगोत्रा ने की और उन्होंने डोगरी से भेदभाव को समाप्त करने के लिए घर से ही प्रयास शुरू करने को कहा।
वहीं, कार्यक्रम में मौजूद टीम जम्मू के चेयरमैन जोरावर सिंह ने कहा कि लोगों ने खुद ही अपने घरों से डोगरी को बाहर निकाला है। अब जब भाषा के साथ अपनी पहचान गायब होने का अहसास लोगों को हुआ तो वे इसको बचाने की गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने डोगरी के उत्थान के लिए युवाओं से आगे आने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन सुशील बेगाना ने किया, जबकि डोगरी संस्था के महामंत्री डॉ. निर्मल विनोद ने धन्यवाद भाषण पेश किया।