Bollywood in Kashmir: बालीवुड को कश्मीर में दिख रही 'उम्मीद की सहर'
जब अनिल कपूर को इसकी जानकारी मिली कि वह कश्मीर में जा रहे हैं तो उन्होंने कहा था कि जब जाओ तो मुझे भी साथ में ले जाना। हर अभिनेता यहां पर आने के लिए हमेशा तैयार रहता है। यहां पर आकर वापस जाने का मन ही नहीं करता है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों की आंखों में सुनहरे कश्मीर का सपना अब साफ नजर आने लगा है। तभी तो बालीवुड से जुड़ी हस्तियां शूटिंग के लिए कश्मीर में अभूतपूर्व संभावनाएं तलाशने के लिए लगातार आ रही हैं। यह कश्मीर का आकर्षण ही है कि वह हर किसी को मोह लेता है।
कश्मीर को बालीवुड का दूसरा 'घर' और पर्यटन का सिरमौर बनाने के लिए सेना भी पूरा हाथ बंटा रही है। इसी क्रम में उत्तरी कश्मीर में बारामुला जिले के उड़ी में सेना के बुलावे पर बालीवुड सितारे विक्की कौशल और सोनाली चौहान रविवार को कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। 'उम्मीद की सहर' नाम के इस कार्यक्रम में उन्होंने खूबसूरत वादियों की खूब सराहना की। कहा कि इस जगह की खूबसूरती को बयां करने के लिए उनके पास कोई भी शब्द नहीं हैं।
अभिनेता विक्की कौशल ने कहा कि वह कश्मीर में आकर बहुत खुश हैं। देश की सच्ची हीरो सेना के कारण ही वह कश्मीर में पहली बार आ सके हैं। उन्होंने कहा कि जब अनिल कपूर को इसकी जानकारी मिली कि वह कश्मीर में जा रहे हैं तो उन्होंने कहा था कि जब जाओ तो मुझे भी साथ में ले जाना। हर अभिनेता यहां पर आने के लिए हमेशा तैयार रहता है। यहां पर आकर वापस जाने का मन ही नहीं करता है।
सोनाली चौहान ने कहा कि कुछ शब्दों में कश्मीर की खूबसूरती को बयां नहीं किया जा सकता। यह बहुत खूबसूरत है। उनके लिए यह गर्व की बात है कि वह कश्मीर में आई हैं। भारतीय सेना ने उम्मीद की सहर कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बुलाया है। अब वह यहां पर आती रहेंगी। कश्मीर के बच्चों व युवाओं में बहुत प्रतिभा है। पहली बार आकर सब कुछ देखने को मिला। उन्होंने कहा कि उनकी पहली फिल्म का नाम जन्नत था, लेकिन आज सच में उन्होंने धरती की जन्नत को देखा है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में लोगों की बड़ी भूमिका: सेना की डागर डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल वीरेंद्र वत्स ने कहा कि स्थानीय लोग लंबे समय से उम्मीद की सहर कार्यक्रम की मांग कर रहे थे। उड़ी में इस प्रकार का पहला कार्यक्रम हुआ है। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय लोगों की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने कहा कि दूरदराज इलाका होने के चले यहां के बच्चों की प्रतिभा दबकर रह जाती है। ऐसे कार्यक्रमों से उन्हें मंच मिलता है। स्थानीय लोगों और सेना के बीच मधुर संबंधों के कारण ही ऐसा हो रहा है।