खाका तैयार, अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर आएगा परिसीमन आयोग, अंतिम रूप देने से पहले लेंगे सुझाव
परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने इसी साल मार्च में सर्वाेच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग का गठन किया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया को गति देने के लिए परिसीमन आयोग अक्टूबर में प्रदेश का दौरा कर सकता है। जम्मू कश्मीर में परिसीमन का खाका तैयार किया जा चुका है और इसे अंतिम रूप देने से पहले आयोग सभी एसोसिएट सदस्यों के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेगा। उम्मीद की जा रही है कि परिसीमन आयोग के दौरे के बाद जम्मू कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज होंगी।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख प्रदेश में पुनर्गठित हुआ है। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान किया गया है। जम्मू कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन की प्रक्रिया 1990 के दशक के मध्य में अपनाई गई थी। पुनगर्ठन अधिनियम के लागू होने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 60 के तहत जम्मू कश्मीर की विधानसभा की सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करनी है। इनमें से 24 सीटें गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित हैं। जम्मू कश्मीर में विधानसभा की सीटों की संख्या परिसीमन के बाद प्रभावी तौर पर 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी।
परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने इसी साल मार्च में सर्वाेच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग का गठन किया था। इसमें जम्मू कश्मीर प्रदेश के सभी पांच सांसद (दो भाजपा व तीन नेशनल कांफ्रेंस) एसोसिएट सदस्य के तौर पर शामिल किए गए हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी को आयोग में पदेन सदस्य नामांकित किया है।
विधानसभा सीटें 107 से बढ़ाकर 114 की जाएंगी : परिसीमन प्रक्रिया से जुड़े प्रदेश के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि परिसीमन का आधार वर्ष 2011 की जनगणना ही रहेगी। इस प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों की सीटों का 107 से बढ़ाकर 114 किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली स्थित परिसीमन आयोग ने जम्मू कश्मीर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का एक खाका तैयार कर लिया है। उम्मीद की जा रही है आयोग अक्टूबर की शुरुआत में यहां दौरे पर आएगा। परिसीमन आयोग अपने सभी एसोसिएट सदस्यों के अलावा स्थानीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनकी राय लेगा। ताकि कोई भी पक्ष इसमें खुद को उपेक्षित महसूस न करे।
ध्यान रखा जाएगा विधानसभा क्षेत्र की हदबंदी पूरी तरह स्पष्ट हो : अधिकारी ने बताया कि आयोग परिसीमन के दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखेगा कि किसी भी विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक हदबंदी पूरी तरह स्पष्ट हो। किसी भी विधानसभा का क्षेत्र किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र के बीच या उससे आगे कहीं न फैला हो। उन्होंने कहा कि इस समय कुछ ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जिनके दायरे में आने वाली कई बस्तियां किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र में हैं।
नेकां पहले ही कर चुकी किनारा, पीडीपी भी विरोध में : नेशनल कांफ्रेस (नेकां) द्वारा परिसीमन की प्रक्रिया से दूरी बनाए रखने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नेकां के तीन सांसद हैं और उन्हें संबंधित नियमों के तहत ही एसोसिएट सदस्य बनाया गया है। अगर वह आयोग के साथ बैठक में शामिल नहीं होंगे तो वह अपनी राय देने में असमर्थ रहेंगे। नेशनल कांफ्रेस के वरिष्ठ नेता आगा सैयद रुहुल्ला ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को नहीं मानते। हम पहले ही परिसीमन की प्रक्रिया से खुद को अलग कर चुके हैं। हमारे तीनों सांसदों ने एसोसिएट सदस्य की जिम्मदारी भी अस्वीकार कर रखी है। वहीं पीडीपी के वरिष्ठ नेता ताहिर सैयद ने भी इसका विरोध करते हुए कहा कि हम इस प्रक्रिया से अलग हैं।