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तंत्र के गण: कोरोना के खिलाफ जंग में डटे भाटिया दंपती, मरीजों की जांच से लेकर देखभाल तक में दोनों ने अहम भूमिका निभाई

कोरोना संक्रमण से निपटने में आई तमाम चुनौतियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर ने कभी भी हार नहीं मानी। ऐसे में डाक्टर फ्रंट लाइन योद्धा के रूप में सामने आए। इसमें डाक्टर भाटिया दंपती भी शामिल है। मरीजों की जांच से लेकर उनके इलाज देखभाल तक में दोनों ने अहम भूमिका निभाई।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 07:31 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 07:31 AM (IST)
तंत्र के गण: कोरोना के खिलाफ जंग में डटे भाटिया दंपती, मरीजों की जांच से लेकर देखभाल तक में दोनों ने अहम भूमिका निभाई
कोरोना के खिलाफ जंग में डटे रहने वाले भाटिया दंपती

जम्मू , रोहित जंडियाल : कोरोना संक्रमण से निपटने में आई तमाम चुनौतियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर ने कभी भी हार नहीं मानी। ऐसे में डाक्टर फ्रंट लाइन योद्धा के रूप में सामने आए। इसमें डाक्टर भाटिया दंपती भी शामिल है। मरीजों की जांच से लेकर उनके इलाज और देखभाल तक में दोनों ने अहम भूमिका निभाई। इस दौरान वे भी कोरोना संक्रमित हो गए, लेकिन उन्होंने मरीजों के इलाज में कोई असर नहीं छोड़ी। वीडियो से ही वे मरीजों को आत्मविश्वास पैदा करते रहे। अभी भी डा. भाटिया कोविड-19 के मरीजों की जांच कर रहे हैं।

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राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में कार्यरत भाटिया दंपती में डा. एएस भाटिया बायोकैमिस्ट्री विभाग के एचओडी हैं। डा. हरलीन कौर माइक्रोबायालोजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। गत वर्ष मार्च में जब जम्मू-कश्मीर में कोरोना का पहला मामला दर्ज हुआ था तो उस समय सबसे यहां जांच की सुविधा नहीं थी। यहां से टेस्ट जांच के लिए दिल्ली और पुणे में भेजे जाते थे। पहला मामला आने के बाद ही सरकार ने यह तय किया कि जांच जम्मू-कश्मीर में ही होगी। उस समय जीएमसी श्रीनगर के अलावा जीएमसी जम्मू में टेस्ट की सुविधा शुरू हुई लेकिन दोनों ही लैब में बहुत कम टेस्ट होते थे। एक अन्य लैब बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई और इसकी जिम्मेदारी डा. हरलीन कौर को सौंपी गई।

इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च से लेकर स्थानीय स्तर पर आई मुश्किलों को हल करने तथा लैब को मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटेड मेडिसीन में उन्होंने तीसरी लैब स्थापित करवाई। इस लैब में हर दिन सैकड़ों लोगों की जांच होने लगी। यह वे समय था जब कोरोना के मामले उच्चतम स्तर थे और लोगों में भी दहशत थी। बहुत से लोगों को क्वारंटाइन करके रखा जा रहा था। डा. हरलीन ने अपनी टीम के साथ लोगों के समय पर टेस्ट कर उन्हें राहत दी।

दूसरी ओर डा. एएस भाटिया की भूमिका कई जगहों पर अहम रही। डा. एसएस भाटिया ने कोरोना मरीजों के लिए बायोमार्कर टेस्ट की सुविधा शुरू की। पूरे जम्मू संभाग में जीएमसी पहला अस्पताल था जहां यह सुविधा शुरू हुई थी। इससे मरीज की हालत गंभीर रूप से बिगडऩे से पहले ही इसका पता चल जाता है। इसके आधार पर कई संक्रमितों की जान बचाई गई। डा. भाटिया का कहना है बायोमार्कर टेस्ट शुरू होने से कोरोना के मरीजों को काफी लाभ पहुंच रहा है। टेस्ट के बाद मरीजों को अलग-अलग वर्गो में बांटकर उनकी गंभीरता के आधार पर इलाज किया जा रहा है। इस टेस्ट से डाक्टरों को यह अनुमान लग जाता है कि मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है या नहीं। डा. भाटिया ने कहा कि जिस प्रकार से मौसम विभाग सुनामी आने से पहले ही इसकी चेतावनी जारी कर देता है कि इसका असर कहां-कहां होगा। उसी तरह से बायोमार्कर टेस्ट भी एक तरह से बीमारी का पूर्वानुमान बताने में मदद कर रहा है। अभी तक इससे कई मरीजों की जान बचाई गई है।

संक्रमण पर जीत के बाद फिर लौटे :

कोरोना से लड़ाई के दौरान भाटिया दंपती खुद भी संक्रमित हो गए। इस दौरान उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। घर में काम करने वाले छोड़कर चले गए और हर काम का प्रबंधन उन्हें खुद करना पड़ा। इसके बाद जब दोनों काम पर लौटे तो उनके जज्बे और हौसले में कोई कमी नहीं थी। दोनों फिर से कोरोना मरीजों की जांच और देखभाल में जुट गए। उनका कहना है कि जब वे संक्रमित हुए तो थोड़ी देर परेशानी जरूर आई लेकिन पता था कि ठीक होने के बाद फिर से वही काम काम करना है। इसलिए नेगेटिव होने के तुरंत बाद फिर से काम पर लौट आए।

यह भी जिम्मेदारी निभाई :

डा. भाटिया को कोरोना के इलाज में जुटे डाक्टरों को हर सुविधा उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उस समय कोरोना ड्यूटी दे रहे डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को न तो कोई किराये पर कमरे दे रहा था और कुछ होटल वालों ने भी पाजिटिव मामले आने पर डाक्टरों को होटल खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया था। उस समय डा. भाटिया ने सभी डाक्टरों के ठहरने के लिए प्रबंध किए ताकि वे मरीजों का बेहतर इलाज और देखभाल कर सकें। इस दौरान कई-कई दिनों तक भाटिया दंपती अपने घर भी नहीं आ पाए। दोनों के काम को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सराहा भी और उन्हें प्रशस्ति पत्र भी जारी किए।

अब कर रहे हैं एंटीबाडी टेस्ट :

डा. एएस भाटिया अब मरीजों के एंटीबाडी टेस्ट करने में जुट गए हैं। इससे वह यह पता लगा रहे हैं कि कितने लोग बिना इलाज के ही संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। सरकारी स्तर पर यह सुविधा सिर्फ डा. भाटिया के बायोकैमिस्ट्री विभाग में ही है। डा. भाटिया का कहना है कि बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें यह पता ही नहीं चला कि वे संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। इस टेस्ट से इसका अनुमान लग जाता है। उनका कहना है कि कोरोना से लड़ाई में बहुत से डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ ने दिन रात एक किया है। इसी कारण आज जम्मू-कश्मीर की स्थिति बेहतर है।


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