भैया दूज आज, टीके का शुभ मुहूर्त सुबह 7.07 के बाद पूरा दिन
जागरण संवाददाता जम्मू भैया दूज का पर्व 16 नवंबर को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन के बाद भैया दूज ऐ
जागरण संवाददाता, जम्मू: भैया दूज का पर्व 16 नवंबर को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन के बाद भैया दूज ऐसा दूसरा त्योहार है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। भैया दूज का त्योहार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भैया दूज का त्योहार भाई और बहन के प्यार का त्योहार है। यह त्योहार दीपावली से दो दिन बाद मनाया जाता है। महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया टीका लगाने का शुभ मुहूर्त सुबह 7. 07 बजे के बाद पूरा दिन रहेगा।
हिदू धर्म में भैया-बहन के स्नेह के प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाए जाते हैं। पहला रक्षाबंधन, जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई अपनी बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार भैया दूज का होता है। इसमें बहनें भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है। ---------------
आरएसपुरा में जगह-जगह हुई गोवर्धन पूजा
संवाद सहयोगी, आरएसपुरा: प्रकाश पर्व दीपावली शनिवार को उपजिला आरएसपुरा में पारंपरिक श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाई गई। भाजपा युवा मोर्चा की ओर से बाल आश्रम के बच्चों के साथ दीवाली मनाई। इस मौके पर पूर्व मंत्री चौ. शामलाल, नपा चेयरमैन सतपाल पप्पी आदि ने बेसहारा बच्चों को मिठाइयां भेंट की। वहीं, रविवार को उपजिला आरएसपुरा में जगह-जगह गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। सुबह से ही मंदिर में भजन कीर्तन किए गए। मंदिर महंत राजेश गिरी ने बताया कि गोवर्धन पूजा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचे थे। -------------
इस बार दीवाली पर तीन लोग झुलसे
जागरण संवाददाता, जम्मू : इस बार दीवाली प्रदूषण की कमी के साथ सुरक्षित भी रही। हर बार की तरह से इस बार भी जीएमसी, सरवाल, गांधी नगर दीवाली को देखते हुए अपनी बर्न इमरजेंसी के साथ तैयार थे लेकिन वहां पर पटाखों से झुलसने वाले लोग न के बराबर ही पहुंचे। जीएमसी में तीन लोग झुलसने से घायल होने के कारण पहुंचे थे। उनके जख्म गंभीर नहीं थे। घर में ही मामूली रूप से झुलसने के बाद परिजन उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे थे। वहीं गांधी नगर में कोविड के चलते इमरजेंसी सेवाएं बंद रखी गई हैं, लेकिन दीवाली को देखते हुए कुछ सेवाएं रखी गई थी। वहां भी पटाखों से झुलसने से कम ही लोग पहुंचे। उधर सरवाल अस्पताल में कुछ लोग झुलसे थे, जिन्हें मरहम पट्टी कर भेज दिया गया।