Year Ender 2019: जम्मू कश्मीर में अच्छी सेहत के खुल गए द्वार; 5 नए मेडिकल कॉलेज खुले, 2 और की मंजूरी मिली
इस साल केंद्र सरकार ने एक बार फिर से कैंसर इंस्टीट्यूट को मंजूरी दी। यह इंस्टीट्यूट पहले भी साल 2014 में मंजूर हुआ था लेकिन फंड जारी न होने के कारण इसका काम शुरू नहीं हो पाया था।
जम्मू, रोहित जंडियाल। गुजरता साल इस बार स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए यादगार रहा है। इस साल जम्मू कश्मीर में एक ओर जहां पांच नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं, वहीं दो नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी भी मिली है। यही नहीं, इस साल दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भी स्थापित हुए हैं। कैंसर इंस्टीट्यूट सहित कई नए प्रोजेक्ट शुरू हुए। हालांकि, डॉक्टरों और तीमारदारों के बीच हाथापाई की घटनाएं इस साल भी बदस्तूर जारी रहीं।
हर दूसरे जिले में मेडिकल कॉलेज
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर ऐसा राज्य बन गया है जहां हर दूसरे जिले में मेडिकल कॉलेज है। बीस जिलों में से दस जिलों में मेडिकल कॉलेज या तो खुल गए हैं या फिर खुलने की तैयारी में हैं। जम्मू कश्मीर में पहले तीन मेडिकल कॉलेज थे। इनमें एक जम्मू और दो श्रीनगर में थे। इस साल जम्मू संभाग में राजौरी, कठुआ और डोडा तथा कश्मीर में बारामुला और अनंतनाग जिले में मेडिकल कॉलेज खुला। अब केंद्र सरकार ने ऊधमपुर और कुपवाड़ा में भी मेडिकल कॉलेज खोलने को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा जम्मू में आचार्य श्री चंद्र कॉलेज आफ मेडिकल साइंसेज एक निजी मेडिकल कॉलेज भी है। जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से देखा जाए तो शायद ही कहीं पर इतने मेडिकल कॉलेज हों।
दो एम्स पर भी काम शुरू
इसी साल केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का काम भी शुरू करवाया। इनमें एक जम्मू के विजयपुर और दूसरा कश्मीर के अवंतीपोरा में है। विजयपुर एम्स का नींव पत्थर रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल जम्मू में आए थे। इसके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। वहीं, अवंतीपोरा में भी एम्स का काम चल रहा है। जम्मू कश्मीर ऐसा पहला राज्य है जहां पर दो एम्स बन रहे हें।
कैंसर इंस्टीट्यूट का काम शुरू
इस साल केंद्र सरकार ने एक बार फिर से कैंसर इंस्टीट्यूट को मंजूरी दी। यह इंस्टीट्यूट पहले भी साल 2014 में मंजूर हुआ था, लेकिन फंड जारी न होने के कारण इसका काम शुरू नहीं हो पाया था। लेकिन इस साल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के साथ ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 120 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
लेह में भी मेडिकल कॉलेज
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लेह के लिए भी केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोलने को मंजूरी दी है। यह पहली बार है कि लेह में कोई मेडिकल कॉलेज मंजूरी हुआ है। पहले वहां पर सिर्फ जिला अस्पताल ही था। इस कारण मरीज इलाज के लिए कश्मीर या फिर जम्मू में आते थे।
मेडिसिटी को मंजूरी
इस साल जम्मू और कश्मीर के लिए दो मेडिसिटी बनाने को भी मंजूरी मिली। इनमें सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के अलावा स्वास्थ्य की हर सुविधा होगी। सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी निवेश के लिए भी नई नीति को मंजूरी दी है।
कई अन्य प्रोजेक्ट शुरू
इस साल जम्मू संभाग में स्वास्थ्य क्षेत्र में कई अहम प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। इनमें बोन एंड ज्वाइंट अस्पताल, नया इमरजेंसी कांप्लेक्स, 200 बिस्तरों की क्षमता वाला जच्चा-बच्चा अस्पताल शामिल हैं। इन सभी का काम चल रहा है। मेडिकल कॉलेज जम्मू का नया गेट भी लगभग बन गया है।
एमबीबीएस, बीडीएस की सीटें बड़ी
इस साल जम्मू कश्मीर में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटें भी बढ़ी हैं। चार नए मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 400 सीटें बढ़ी हैं। वहीं सवर्ण के लिए आर्थिक आरक्षण के तहत भी एमबीबीएस की 85 सीटें बढ़ी हैं। बीडीएस की सीटें भी बढ़ाई गई हैं।
नए डायरेक्टर बने
इस साल स्वास्थ्य निदेशक और आइएसएम निदेशक के पदों पर भी नियुक्तियां हुईं। डॉ. रेनू शर्मा को जम्मू का नया स्वास्थ्य निदेशक बनाया गया जबकि डॉ. समीर मट्टू को कश्मीर का नया स्वास्थ्य निदेशक बनाया गया। आइएसएम के निदेशक पद पर डॉ. मोहन ङ्क्षसह की नियुक्ति हुई।
कई विवाद भी हुए
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में कई विवाद भी हुए। एम्बुलेंस सेवा 102, 108 में टेंडर के अनुरूप उपकरण नहीं लगाने के आरोप लगे। वहीं मेडिकल कालेज, एसएमजीएस अस्पतालों में मरीजों की मौत पर डाक्टरों पर लापरवाही बरतने के आरोप लगे।
डेंगू के मामले बढ़े
इस साल जम्मू संभाग में डेंगू के मामले भी बढ़े हैं। इस साल डेंगू के कुल 436 मामले दर्ज हुए हैं। यह पिछले साल से सौ से अधिक हैं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि अभी तक स्वाइन फ्लू का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है।