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Black Fungus: जम्मू कश्मीर में ब्लैक फंगस दवा की बिक्री पर रोक, जानिए क्या है वजह

ब्लैक फंगस की दवा की कालाबाजारी को देखते हुए सरकार ने बाजार में इसे बेचने पर रोक लगा दी है। अब यह दवा सरकारी अस्पतालों में ही मिल रही है लेकिन सीमित मात्रा में सप्लाई और दवा मिलने में जटिल प्रकिया से मरीजों की परेशानी बढ़ रही है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 07:45 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 07:46 AM (IST)
Black Fungus: जम्मू कश्मीर में ब्लैक फंगस दवा की बिक्री पर रोक, जानिए क्या है वजह
वहीं सरकारी अस्पतालों में दवाई के लिए जटिल प्रक्रिया है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : ब्लैक फंगस की दवा की कालाबाजारी को देखते हुए सरकार ने बाजार में इसे बेचने पर रोक लगा दी है। अब यह दवा सरकारी अस्पतालों में ही मिल रही है, लेकिन सीमित मात्रा में सप्लाई और दवा मिलने में जटिल प्रकिया से मरीजों की परेशानी बढ़ रही है।

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ब्लैक फंगस के मरीजों के मरीजों के इलाज के लिए एम्फोटेरेसिन-बी ड्रग की जरूरत पड़ती है। यह ड्रग बाजार में नहीं है। पहले जम्मू कश्मीर में पहले इस दवा की मांग ही नहीं थी। इक्का-दुक्का मामले आने के कारण बहुत कम दुकानदारों ने इसे अपने पास रखा था। जब ब्लैक फंगस के मामले आना शुरू हुए तो जो दवा बाजार में थी, उसका पता ही नहीं चला कि कब बिक गई। इस दवा की कालाबाजारी होने की शिकायतें मिलने लगी तो सरकार ने इसे अपने हाथ में ले लिया। अब कंपनियों से दवा खरीद कर सरकार सीधे अस्पतालों को उपलब्ध करवा रही है।

वहीं सरकारी अस्पतालों में दवाई के लिए जटिल प्रक्रिया है। अगर कोई संदिग्ध मरीज है तो उसके लिए तब तक दवाई नहीं मंगवाई जा सकती जब तक उसमें बीमारी की पुष्टि होकर उसके रिकार्ड को सरकार के पोर्टल में न डाला जाए। मरीज का नाम पोर्टल पर आने के बाद केंद्र सरकार दवा भेजेगी। पूरी प्रक्रिया में कई बार अधिक समय लग जाता है। ड्रग एंड फूड कंट्रोल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने उम्मीद जताई कि जल्द ही यह दवा अस्पतालों में बड़ी मात्रा में उपलब्ध होगी।

लंबा और महंगा है इलाज 

ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज लंबा चलता है। डाक्टरों के अनुसार, एक मरीज को स्वस्थ होने में डेढ़ से दो महीने का समय लग जाता है। ऐसे में दवा का खर्च ही ढाई से तीन लाख रुपयों के बीच है। सरकारी अस्पतालों में तो दवा निशुल्क मिल रही है। लेकिन मरीजों के तीमारदार आरोप लगा चुके हैं कि दवा की कमी बनी हुई है। जीएमसी प्रशासन भी यह बात स्वीकार कर चुका है। अभी इस मुद्दे पर जीएमसी में कोई भी नहीं बोल रहा है। एक वरिष्ठ डाक्टर ने यह स्वीकार किया कि मरीजों को दवा मिलने में देरी हो रही है।

लगातार बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले

जम्मू-कश्मीर में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। शनिवार को एक और मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। मरीज सांबा जिले का रहने वाला है। इसे मिलाकर अब तक कुल 23 मरीज हो गए हैं। 15 मरीजों में फंगस की पुष्टि हो चुकी है। आठ संदिग्ध मामले हैं। 23 में से चार मरीजों की मौत हो चुकी है। मृतकों में एक जम्मू, दो कठुआ और एक पुंछ का रहने वाला था। वहीं जिन 15 मरीजों में पुष्टि हुई है, उनमें सात जम्मू, दो कठुआ, एक रियासी, एक पुंछ, एक ऊधमपुर, एक सांबा और दो श्रीनगर के रहने वाले हैं। संदिग्ध मामलों में चार जम्मू जिले, तीन कठुआ और एक ऊधमपुर जिले का रहने वाला है। 


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