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जम्मू-कश्मीर: बांस देगा रोजगार, हुनर सिखाएगी सरकार, हैंडीक्राफ्ट विभाग को 19.51 लाख रुपये का विशेष बजट जारी

नेशनल बंबू मिशन के तहत पिछले साल जम्मू में बांस उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित कर युवाओं को इस व्यवसाय के प्रति प्रेरित भी किया गया था। जम्मू संभाग के कठुआ सांबा व रियासी जिले में बांस की खेती को लेकर आपार संभावनाएं है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 10:17 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 10:17 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर: बांस देगा रोजगार, हुनर सिखाएगी सरकार, हैंडीक्राफ्ट विभाग को 19.51 लाख रुपये का विशेष बजट जारी
जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा व रियासी जिले में बांस की खेती को लेकर आपार संभावनाएं है।

जम्मू, ललित कुमार। उत्तर-पूर्वी राज्यों की तर्ज पर अब जम्मू में भी बांस रोजगार के नए साधन पैदा करेगा। इसकी खेती को बढ़ावा देने के साथ प्रदेश सरकार ने युवाओं को इसके फर्नीचर व अन्य उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित करने का फैसला लिया है। जम्मू के युवाओं को खेती से लेकर फर्नीचर बनाने के साथ उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए देश के विभिन्न बाजारों से जोड़ा जाएगा, ताकि वे बांस से जुड़े उद्योग स्थापित कर स्वावलंबी बनने के साथ दूसरों को रोजगार उपलब्ध करवा सकें।

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इसके लिए प्रदेश सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट से हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम विभाग को 19.51 लाख रुपये का विशेष बजट जारी किया है। इस बजट से विभाग युवाओं के लिए प्रशिक्षण कक्षाएं चलाएगा और उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण करवाकर बंबू क्राफ्ट से रूबरू करवाएगा। नेशनल बंबू मिशन के तहत पिछले साल जम्मू में बांस उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित कर युवाओं को इस व्यवसाय के प्रति प्रेरित भी किया गया था। जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा व रियासी जिले में बांस की खेती को लेकर आपार संभावनाएं है, लिहाजा सरकार बांस के हैंडीक्राफ्ट उत्पाद, पैकेजिंग मैटेरियल व पेपर उद्योग में इसे बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर पैदा करने का प्रयास कर रही है।

नर्सरी के लिए भूमिहीनों को जमीन देगी सरकार

नेशनल बंबू मिशन के तहत सरकार बांस की नर्सरी से लेकर स्वरोजगार के लिए भी मदद करेगी। इसके तहत उन कारीगरों को भी रोजगार मिलेगा, जो बांस से फर्नीचर, किलटे, टोकरियां और अन्य सजावटी समान बनाते हैं। बांस की पत्तियों का पशुओं के चारे के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। पत्तियों से खाद तैयार की जाएगी। जिन किसानों के पास जमीन नहीं है, उन्हें खाली जमीन मुहैया करवाई जाएगी। बांस के रखरखाव का जिम्मा किसानों के समूह का होगा। किसानों को इसे काटने के लिए भी वन विभाग की अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। बांस की सबसे अधिक मांग पेपर, हाउसिंग, सजावटी सामान बनाने और निर्माण सेक्टर में रहती है। बांस से फर्नीचर बनता है। बांस युवाओं की आजीविका का एक सशक्त साधन बन सकेगा।

खेती और रोजगार को लेकर एनइसीबीडीसी के साथ करार

जम्मू-कश्मीर में बांस की खेती को बढ़ावा देने तथा रोजगार की राह निकालने के लिए प्रदेश सरकार ने गत वर्ष नार्थ ईस्ट केन एंड बंबू डेवलपमेंट काउंसिल (एनइसीबीडीसी) के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत एनइसीबीडीसी जम्मू-कश्मीर में उन क्षेत्रों को चिन्हित करेगी जहां बांस की खेती के अनुकूल जमीन है और जहां कम जगह में अधिक बांस पैदा किए जा सकते हैं। इसके अलावा बांस से जुड़ा औद्योगिक ढांचा विकसित करने में भी यह काउंसिल सरकार की एक विशेषज्ञ के रूप में मदद करेगी। समझौते के तहत काउंसिल किसानों को इस खेती के बारे में प्रशिक्षित करने के साथ युवाओं को इसके उत्पाद बनाने में प्रशिक्षित करने के साथ बाजार उपलब्ध करवाने में सहयोग करेगी।


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