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Jammu: क्षेत्रिय सरोकारों की रक्षा के लिए लेखनी को लठ की भांति पकड़े हैं बलराज बख्शी

समाज में व्याप्त समस्याओं का विस्तार से चित्रण उनके धारावाहिकों की पहचान है।उनके विभन्न चैनलों से सौ से ज्यादा एपिसोड प्रसारित हो चुके है। जिसमें बलराज बख्शी ने लेखन निर्माण निर्देशन शोध कार्य भी किया है।उनका साहित्य कई वर्गों का नेतृत्व करता दिखता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 12:01 PM (IST)
Jammu: क्षेत्रिय सरोकारों की रक्षा के लिए लेखनी को लठ की भांति पकड़े हैं बलराज बख्शी
बलराज बख्शी आदर्शवाद से अपने आपको मुक्त कर लेते हैं और विचारधारा को यथार्थवाद से जोड़ लेते हैं।

जम्मू, अशोक शर्मा: उर्दू साहित्य और भाषा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए उर्दू के प्रसिद्ध लेखक, कवि और आलोचक वरिष्ठ साहित्यकार बलराज बख्शी बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न साहित्यकार हैं। उर्दू साहित्य और भाषा विकास में ही नहीं उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी, पहाड़ी, डोगरी, हिन्दोस्तानी आदि भाषाओं में भी अपने योगदान से पैठ जमाई हुई है।

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मूलता: कहानीकार के रूप में उनकी विशेष पहचान है। लेकिन साहित्य का कोई भी क्षेत्र उनकी लेखनी से अछूता नहीं रहा है। इसी लिए जम्मू यूनिवर्सिटी उनके साहित्य पर दो पीएचडी करवा चुकी है। जम्मू दूरदर्शन, आकाशवाणी उनके कार्यों पर वृत्तचित्र प्रसारित कर चुकी है।कहानी संग्रह ‘एक बूंद जिंदगी’ प्रकाशित हो चुका है।काव्य संग्रह सहित पांच पुस्तकें प्रकाशन के विभिन्न चरणों में हैं।वह राज्यों में ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में आयोजित मुशायरों से भी अपना दृष्टिकोण व्यक्त कर चुके हैं।

विस्थापन के साथ जैसे उनका एक रिश्ता सा बन चुका है। उनका पुश्तैनी गांव गुलाम कश्मीर फगवाटी, तहसील हवेली, जिला पुंछ है।पहले बुजुर्गो ने विस्थापन झेला तो उनका अपना जन्म भी श्रनार्थी शिविर नगरोटा, जम्मू में हुआ।

बलराज बख्शी अपने आसपास की दुनिया को अपने साहित्य का विषय बनाते हैं। वह ग्रामीण एवं शहरी समाज दोनों पर ही लेखनी चलाने में विश्वास करते हैं।उनकी किसी भी कहानी को पढ़ते हुए ऐसा महसूस होता है जैसे पाठक ही उनका चरित्र हो।बख्शी अपने आसपास की जिंदगी में बिखरी हुई सामाजिक रूढ़ियों, कुंठाओं, जड़ताओं आदि का खूबसूरत चित्रण करते हैं। यही कारण है कि दूरदर्शन से प्रसारित उनके धारावाहिकों आग, तख्सीम, सवेरा, डैथ सर्टिफिकेट आदि को खूब पसंद किया जाता रहा है।वे यथार्थ का चित्रण करते हुए अंतत: उसे आदर्श की ओर मोडने की भी शानदार महारत रखते हैं।

समाज में व्याप्त समस्याओं का विस्तार से चित्रण उनके धारावाहिकों की पहचान है।उनके विभन्न चैनलों से सौ से ज्यादा एपिसोड प्रसारित हो चुके है। जिसमें बलराज बख्शी ने लेखन, निर्माण, निर्देशन, शोध कार्य भी किया है।उनका साहित्य कई वर्गों का नेतृत्व करता दिखता है। बलराज बख्शी आदर्शवाद से अपने आपको मुक्त कर लेते हैं और विचारधारा को यथार्थवाद से जोड़ लेते हैं।

उन्हें कई संस्थाएं उनके साहित्यिक कार्यों के लिए सम्मानित कर चुकी हैं।

पुरुस्कार :

  1. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से 2007 में उर्दू में 2.88 लाख रुपये की फ़ेलोशिप।
  2. कहानी संग्रह ’एक बूंद ज़िंदगी’ पर उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी से एवार्ड
  3. कहानी संग्रह ‘एक बूंद ज़िंदगी’ पर बिहार उर्दू अकादमी से सम्मान
  4. जम्मू विश्विद्यालय में उर्दू साहित्यक सेवाओं पर 2 एमफिल्ल
  5. जम्मू-कश्मीर सरकार स्टेट अवार्ड
  6. डी डी उर्दू नई दिल्ली, डी डी श्रीनगर, ई टी वी, ए एन आई से उर्दू सेवाओं पर वृत चित्र फ़िल्मों का संचार।
  7. 2003­-04 में जम्मू विश्वविद्यालय से एमए(प्रोफेशनल) अवार्ड
  8. अनगिनत अखिल भारतीय मुशायरों, सेमिनारों में सम्मिलित

साहित्यक दृष्टिकोणः

  • जब अपने अपने पुरखों की महानता को प्रमाणित करने के लिए चारों तरफ़ बमों के धमाके हो रहें हों। जब उर्दू का लेखक, कवि, कहानीकार साहित्य के ऊंचे पद से उतर कर अपने गिरोही, भाषाई, और क्षेत्रिय सरोकारों की रक्षा के लिए लेखनी को लठ की भांति पकड़ कर समकालीन समस्याओं का प्रतिनिधित्व कर रहो हो, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि साहित्य विरोधी वातावरण में स्वस्थ साहित्यिक परंपराओं की बढ़ोतरी कैसे होगी और भविष्य में उर्दू इन चुनौतियों से कब निकलेगी, कहना मुश्किल है। 

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