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Balakot Air Strike Anniversary: पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत मिला कि बाज आओ नहीं तो तबाही तय है

वीर चक्र विजेता कर्नल विरेन्द्र साही का कहना है कि बालाकोट सशस्त्र सेनाओं की ताकत और केंद्र सरकार के मजबूत इरादों का प्रतीक है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 01:57 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 01:57 PM (IST)
Balakot Air Strike Anniversary: पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत मिला कि बाज आओ नहीं तो तबाही तय है
Balakot Air Strike Anniversary: पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत मिला कि बाज आओ नहीं तो तबाही तय है

जम्मू, राज्य ब्यूरो : पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में प्रहार से आतंकवाद के जनक पाकिस्तान से बदला लिया गया। उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक गुलाम कश्मीर तक सीमित थी, लेकिन बालाकोट में दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारा गया। ऐसा कर केंद्र सरकार ने उन शहीद परिवारों की ख्वाहिश पूरी की, जो लगातार पाकिस्तान से बदला लेने की मांग कर रहे थे।

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जम्मू कश्मीर में तीन दशकों से आतंकवाद को शह दे रहे दुश्मन को कड़ा सबक सिखाना जरूरी हो गया था। ऐसे में परोक्ष रूप से युद्ध लड़ रहे पाकिस्तान को बालाकोट से स्पष्ट संकेत दिया गया कि बाज आओ नहीं तो युद्ध में तबाही तय है। पहले पाकिस्तान देश में बड़े-बड़े हमले करवाता था। इसके बाद माकूल जवाब देने की सिर्फ घोषणाएं होती थीं। जवाबी कार्रवाई के लिए एक गोली तक चलाने से पहले इजाजत लेनी पड़ती थी, लेकिन अब थलसेना व वायुसेना अपने बलबूते दुश्मन को सबक सिखाती है। मोदी सरकार घर में घुसकर मारेगी, दुश्मन को यह दिखाना जरूरी था।

कारगिल युद्ध लड़ चुके सेना के सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर डीके बडोला का कहना है कि बालाकोट से पाकिस्तान को कड़ा संदेश मिला। वहीं, विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया थी कि पाकिस्तान ने भारत को ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने कहा कि जब एक भी सैनिक शहीद होता है तो समाज में दुश्मन से बदला लेने की मांग उठती है। ऐसे में देशवासियों को भी संदेश देना जरूरी हो गया था कि अब उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप काम होगा। पुलवामा के बाद हर देशवासी की यही आवाज थी कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों की शहादत का बदला लिया जाए। इसके बाद केंद्र सरकार ने बालाकोट में आतंकी शिविरों में घुसपैठ के लिए तैयार बैठे आतंकियों को उनके घर में घुसकर मार गिराया। इस कार्रवाई से जहां देशवासी उत्साहित हुए वहीं आतंकवाद से लड़ रही सेना व सुरक्षाबलों के हौसले भी बुलंद हुए।

शहीदों के परिजनों के कलेजे को पहुंची थी ठंडक

बालाकोट एयर स्ट्राइक से शहीदों के परिजनों के कलेजे को ठंडक पहुंची थी। देश में ऐसे परिवारों की कोई कमी नहीं है, जिन्होंने पाक प्रायोजित आतंकियों के हमलों में अपने परिजन खोए हैं। ऐसे परिवारों की दिली ख्वाहिश थी कि मौत के सौदागरों को बख्शा न जाए। कश्मीर के पांपोर में इडीआइ भवन में लश्कर के आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाते हुए शहादत पाने वाले सेना की स्पेशल फोर्स के कैप्टन तुषार महाजन के पिता देवराज गुप्ता का कहना है कि बालाकोट से शहीदों के परिजनों को राहत मिली थी। जो देश पर कुर्बान हो गए, वे वापस तो नहीं आएंगे लेकिन बालाकोट में ऐसे कई आतंकी मारे गए जो खूनखराबा करने की मंशा से आ रहे थे। उन्हें मार गिराकर उनके मंसूबे नाकाम किए गए थे। शहीद के पिता का कहना है कि उन्हें यकीन है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाएगा।

विश्व को संदेश गया कि भारत बड़े फैसले लेने की रखता है हिम्मत

वीर चक्र विजेता कर्नल विरेन्द्र साही का कहना है कि बालाकोट सशस्त्र सेनाओं की ताकत और केंद्र सरकार के मजबूत इरादों का प्रतीक है। इससे पाकिस्तान की गलतफहमी दूर हो गई। यही नहीं पाकिस्तान का समर्थन करने वालों ने भी बौखलाहट में सुबूत मांगना शुरू कर दिए। पहले पाकिस्तान और उसके समर्थकों को लगता था कि जवाब में कोई कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन इस धारणा को गलत साबित कर दिया गया। कार्रवाई को लेकर देशवासियों ने उत्साह दिखाते हुए दुश्मन को संदेश दिया था कि आतंकवाद से लडऩे वालों के साथ पूरा देश खड़ा है। यह हौसला पाकिस्तान को भारी पड़ सकता है। इस कार्रवाई से विश्व को संदेश गया कि भारत एक मजबूत देश है, जो बड़े फैसले लेने की हिम्मत रखता है।


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