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जम्मू : वीरता की प्रयाय है हिमाप्रिया, सुंजवां आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों से भिड़ गई थी

हेमा के दरवाजा खोलने पर घुस आए आतंकवादियों ने उसे बंधक बना लिया। इस दौरान हिमा ने करीब 4 घंटे तक आतंकवादियों से गुहार लगाकर मां व परिवार के अन्य सदस्यों की जान बख्श देने के लिए उनक साथ बहस की। खुद भी हिमा को ग्रेनेड के शर्रे लगे थे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 09:07 AM (IST)
जम्मू : वीरता की प्रयाय है हिमाप्रिया, सुंजवां आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों से भिड़ गई थी
सेना की सटीक कार्यवाही शुरू हुई व आतंकवादियों को मार गिराना संभव हुआ था।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू के सुंजवां मेें हमला करने वाले आतंकवादियों से भिड़ गई गुरूगू हिमाप्रिया वीरता की प्रयाय है। वर्ष 2018 में आतंकवादी हमले के दौरान हिमाप्रिया परिवार को आतंकवादियों से बचाने के लिए ढ़ाल बनकर खड़ी हो गई।

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दस फरवरी 2018 की रात को तीन आत्मघाती आतंकवादी कैंप की दीवार को फांद कर सैन्य क्षेत्र में दीवार के पास स्थित हिमाप्रिया के क्वार्टर में घुस आए थे। हमले के समय हिमा 9 साल की थी व वह केंद्रीय विद्यालय की छात्रा थी। आंध्रप्रदेश से के रहने वाले उसके पिता सेना में जवान के पद पर तैनात थे। दस फरवरी की रात को जब आतंकवादी कैंप में घुसे तो पिता ड्यूटी पर थे। उस समय मा पद्मावती अपने अन्य बच्चों ऋषिता व अवंतिका के साथ घर में थी।

आतंकवादियों द्वारा घर के अंदर फेंके गए ग्रेनेड से पद्मावती का हाथ बुरी तरह से घायल हो गया था। हिमा के दरवाजा खोलने पर घुस आए आतंकवादियों ने उसे बंधक बना लिया। इस दौरान हिमा ने करीब 4 घंटे तक आतंकवादियों से गुहार लगाकर मां व परिवार के अन्य सदस्यों की जान बख्श देने के लिए उनक साथ बहस की।

खुद भी हिमा को ग्रेनेड के शर्रे लगे थे। परिवार के सदस्यों की जान बख्शने की गुहार लगाने के साथ वह घायल मां को अस्पताल ले जाने की भी जिद्द कर रही थी। आतंकवादियों को चार घंटे व्यस्त रखने के साथ हिमा ने सेना को सर्तक करने के लिए उन्हें कार्यवाही करने के लिए मौका भी दे दिया। ऐसे में सेना की सटीक कार्यवाही शुरू हुई व आतंकवादियों को मार गिराना संभव हुआ था।

जम्मू के पीरआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल देवेन्द्र आनंद ने बताया कि हिमाप्रिया ने बहादुरी के साथ सूझबूझ का परिचय दिया था। हिमाप्रिया ने साबित किय था कि सैन्य परिवारों के बच्चे भी दुश्मन से भिड़ने का हौंसला रखते हैं। आतंकवादियों की कोशिश थी कि वे सैन्य परिवारों को आसान निशाना बनाएं। इस चाल को नाकाम बनाने में हिमाप्रिय की वीरता सराहनीय थी।

फरवरी 2018 में जम्मू के सुंजवां ब्रिगेड पर हुए फिदायीन हमले में छह सैनिकों समेत सात लोग शहीद हुए थे। वहीं 12 घायल में अधिकतर सैन्य परिवारों के सदस्य थे। करीब पचास घंटे तक चली सेना की जवाबी कार्रवाई में जैश के तीन आतंकी मारे गए थे। इसके बाद सैन्य परिसर में दो दिन चले तलाशी अभियान में सेना की क्विक रिएक्शन टीमों ने सभी 26 ब्लाकों व 189 आवासों को एक-एक कर खंगाला था।


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