Jammu: डीएजी की हत्या मामले में जमानत अर्जी खारिज, तीनों आरोपितों को सुनाई गई है उम्र कैद की सजा
पुलिस ने केस की छानबीन की तो पता चला कि विशाल शर्मा लब्बाराम व अशोक कुमार प्रापर्टी का काम करते थे और इन्होंने एक साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज बनाकर हकीकत राज को जमीन बेची। तत्कालीन डिप्टी एडवोकेट जनरल अजीत डोगरा ने इसे लेकर कोर्ट में केस दायर किया।
जेएनएफ, जम्मू : डिप्टी एडवोकेट जनरल (डीएजी) अजीत डोगरा की हत्या के मामले में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने तीन आरोपितों की ओर से दायर की गई जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। तीनों आरोपितों को ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
आरोपितों ने इस सजा को भी चुनौती देते हुए कम करने की मांग की थी, लेकिन बेंच ने ऐसा करने से भी इंकार करते हुए आरोपितों की याचिका खारिज कर दी। केस के मुताबिक दस जनवरी 2008 को सब इंस्पेक्टर शिवदेव सिंह मुट्ठी में पेट्रोलिंग ड्यूटी कर रहे थे। इस दौरान मंगाराम निवासी उदयवाला ने शिवदेव सिंह को बताया कि विशाल शर्मा, उसके भाई विकास शर्मा, रोहित कुमार, लब्बाराम, अशोक कुमार व तीन अन्य लोगों ने डिप्टी एडवोकेट जनरल अजीत डोगरा पर जानलेवा हमला किया है।
पुलिस ने केस की छानबीन की तो पता चला कि विशाल शर्मा, लब्बाराम व अशोक कुमार प्रापर्टी का काम करते थे और इन्होंने एक साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज बनाकर हकीकत राज को जमीन बेची। तत्कालीन डिप्टी एडवोकेट जनरल अजीत डोगरा ने इसे लेकर कोर्ट में केस दायर किया। इसके चलते इन्होंने अन्य आरोपितों के साथ मिलकर अजीत डोगरा को रास्ते से हटाने की योजना बनाई और दस जनवरी 2008 को उनकी हत्या कर दी।
ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में आरोपितों को उम्र कैद की सजा सुनाने के साथ जुर्माना किया था। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पाया कि ट्रायल कोर्ट का यह फैसला पांच साल पहले सुनाया। हालांकि हत्या मामले में पांच साल बीतने के बाद आरोपित जमानत अर्जी दायर कर सकते हैं लेकिन इस मामले में इनकी जमानत अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती और न ही सजा में कटौती करके उनको कोई राहत दी जा सकती है।