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J&K: कलाकारों-साहित्यकारों को केंद्र शासित प्रदेश से उम्मीदें, पिछले भुगतान की चिंता भी सता रही

जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सेवानिवृत्त मुख्य संपादक डॉ. ज्ञान सिंह के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश बनने से केंद्र द्वारा तय फीस मिलेगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 11:10 AM (IST)
J&K: कलाकारों-साहित्यकारों को केंद्र शासित प्रदेश से उम्मीदें, पिछले भुगतान की चिंता भी सता रही
J&K: कलाकारों-साहित्यकारों को केंद्र शासित प्रदेश से उम्मीदें, पिछले भुगतान की चिंता भी सता रही

जम्मू, अशोक शर्मा। जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कलाकार और साहित्यकार उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तय की गई दरों के आधार पर भुगतान होगा। केंद्र से सीधे फंड मिलेगा, जिसका उनको लाभ मिलेगा। उत्साह के साथ ही उनको चिंता भी सता रही है। चिंता इस बात की कि उन्हें बीते तीन वर्ष से भुगतान ही नहीं हुआ है। जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी को करीब 70 लाख रुपये का भुगतान करना है। मगर अकादमी का स्थायी सचिव न होने के कारण जल्द भुगतान होने की उम्मीद भी नहीं दिख रही।

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जम्मू के वरिष्ठ साहित्यकार और अकादमी के सेवानिवृत्त अतिरिक्त सचिव डॉ. ओम गोस्वामी कहते हैं कि पिछले तीन वर्ष से उन्हें बुक सब्सिडी, पेपर लेखन और शीराजा के लिए दिए गए लेखों का भुगतान नहीं हुआ है। अकादमी की फीस दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबले काफी कम है। भविष्य में फीस अच्छी मिलने की उम्मीद है। मगर पहले के सभी बकाया भुगतान को केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जारी किया जाना चाहिए। केंद्र शासित प्रदेश होने से जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के तीन भाग होने की उम्मीद हैं। कहते हैं कि संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी अलग-अलग होनी चाहिए।

जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सेवानिवृत्त मुख्य संपादक डॉ. ज्ञान सिंह के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश बनने से केंद्र द्वारा तय फीस मिलेगी। इससे कलाकारों और साहित्यकारों को काफी लाभ होगा। केंद्र से सीधी फंडिंग होगी तो कार्यक्रमों की संख्या भी बढ़ेगी।

पेंशन के भी पड़ गए हैं लाले

डुग्गर मंच के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार मोहन सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी पिछले तीन वर्ष से भुगतान नहीं कर सकी। हालत यह है कि जिन वरिष्ठ कलाकारों और साहित्यकारों को पेंशन मिलती है, वह भी नहीं मिल पा रही। अब तो अकादमी में सचिव ही नहीं है। अतिरिक्त सचिव के पास पैसा का लेन-देन करने की शक्ति नहीं है। इसका खामियाजा कलाकार और साहित्यकार भुगतन रहे हैं। अब केंद्र शासित प्रदेश बनने से सुधार की उम्मीद है। सबसे पहले राज्यपाल, जो अकादमी के पैट्रन अध्यक्ष हैं, उनको बकाया भुगतान जल्द करवाना चाहिए।

कलाकारों व साहित्यकारों का कला अकादमी पर 70 लाख का है बकाया

  • मुझे चार्ज मिले अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। पिछले भुगतान को लेकर कुछ जांच चल रही है। जांच पूरी होते ही फिर से पहले की तरह कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। अभी केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अकादमी का क्या स्टेटस रहता है, उसके बाद ही अधिकतर चीजें तय हो सकेंगी। - मनीर-उल-इस्लाम, इंचार्ज सचिव, कला अकादमी

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