मानसर झील में मर रही हैं मछलियां
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस झील से मछलियों को न तो बाहर निकाला जाता है और न ही उनका शिकार किया जा सकता है।
सांबा, जेएनएन। ऐतिहासिक मानसर झील में पिछले कुछ दिनों से संदिग्ध परिस्थितियों में मछलियां की मौत हो रही है। इसे झील के पानी के दूषित हो रहा है। इससे क्षेत्र में जल जनित बीमारियों के फैलने की आशंका पैदा हो गई है। मानसर झील के किनारे नाग देवता का मंदिर होने के कारण यह धार्मिक आस्था का केंद्र है। झील में मछलियों के अलावा विभिन्न प्रजातियों के जलजन्तु हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस झील से मछलियों को न तो बाहर निकाला जाता है और न ही उनका शिकार किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि हर वर्ष सर्दियों में झील में इसी तरह से मछलियां मरती हैं, लेकिन इस बार पहले से मुकाबले अधिक हैं।
मानसर पंचायत की सरपंच सुनीता देवी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से लगातार यहां मछलियां मर कर झील में तैर रही हैं। मछलियों की मौत कैसे हुई है, इसके लिए संबंधित विभाग को जांच करनी चाहिए। सेवानिवृत सब इंस्पेक्टर एवं पंच बलदेव सिह मनकोटिया ने बताया कि मानसर झील में इस समय मछलियों की तादाद बहुत अधिक है। आस्था के मुताबिक इन मछलियों को बाहर नहीं निकाला जाता, मगर सरकार व संबंधित विभाग को यहां से मछलियां निकाल कर दूसरी जगह डालना चाहिए, ताकि इनकी संख्या यहां नियंत्रित रहे। उन्होंने कहा कि हर वर्ष सर्दियों में यह मछलियां मरती हैं परंतु इस बार अधिक हैं।
वही, मनकोटिया ने कहा कि मानसर झील से पीने के पानी सप्लाई होता है। मछलियों के मरने के बाद भी अगर वह पानी में ही रहती हैं तो इससे पानी दूषित हो जाएगा। फिर वहीं पानी की सप्लाई लोगों के घरों में आएगी तो भयंकर बीमारी फैल सकती है। उन्होंने कहा कि इससे कि कोई भयंकर बीमारी फैले, झील से मरी हुई मछलियों को बाहर निकाला जाना चाहिए, ताकि लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ न हो। उधर, वन्य जीव संरक्षण विभाग के चीफ वार्डन, सुरेश कुमार गुप्ता का कहना है कि
मानसर झील की आस्था के मुताबिक यहां से मछलियां बाहर नहीं निकाली जाती। इसमें कुछ मछलियां बड़ी हो गई हैं, जो अधिक सर्दी सहन नहीं कर पातीं, जिससे मर जाती हैं। हर वर्ष अधिक सर्दी होने पर मछलियां मरती हैं। जो भी मछलियां मरने के बाद तैर रही हैं उन्हें बाहर निकाल कर दफनाया जा रहा है।