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Kashmir घाटी में सशस्त्र बल अब छोटी टीमें बनाकर आतंक के सफाये में जुटे

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका कश्मीर में बैठे अपने समर्थकों से आतंकियों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई में कम से कम दस निर्दोष लोगों को मरवाना चाहते हैं। साल 2018 में आतंक विरोधी अभियानों में 24 नागरिकों की मौत हुई जबकि 49 घायल हुए।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 08:30 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 08:30 PM (IST)
Kashmir घाटी में सशस्त्र बल अब छोटी टीमें बनाकर आतंक के सफाये में जुटे
जांच से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में आतंकवादियों को एक नेटवर्क का समर्थन हासिल था।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में नागरिकों की हत्याओं में शामिल लगभग सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया है। अब सशस्त्र बल छोटी टीमें बनाकर आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए खुफिया रिपोटों पर आधारित सर्जिकल ऑपरेशन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों के अनुसार आतंकवाद से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सेना के बीच बेहतर समन्वय के साथ काम किया जा रहा है ताकि नुकसान को कम किया जा सके।

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कुछ दिन शांति के बाद जम्मू और कश्मीर में पिछले महीने निर्दोष नागरिकों की हत्याओं में बढ़ोतरी हुई, जिससे इस क्षेत्र में हिंसा और उथल-पुथल की आशंका पैदा हो गई। सूत्रों के अनुसार आतंक विरोधी अभियानों में सबसे अधिक जोर निर्दोष लोगों की मौतों को रोकना है। सभी सुरक्षाबल इस पर काम कर रहे हैं।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका कश्मीर में बैठे अपने समर्थकों से आतंकियों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई में कम से कम दस निर्दोष लोगों को मरवाना चाहते हैं। साल 2018 में आतंक विरोधी अभियानों में 24 नागरिकों की मौत हुई जबकि 49 घायल हुए। इसके बाद गत तीन वर्ष में सुरक्षाबलों ने इस पर काफी काम किया। इसका परिणाम यह हुआ कि साल 2021 में सिर्फ दो नागरिकों की मौत हुई जबकि दो घायल हुए।

हैदरापोरा मुठभेड़ पर उनका कहना है कि कुछ तबके इसके जरिए अपनी खोई हुई जमीन को वापस लेना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने वीरवार को कहा था कि हैदरपोरा मुठभेड़ की चल रही जांच से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में आतंकवादियों को एक नेटवर्क का समर्थन हासिल था। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों को जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्थानीय लोगों से कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी सहित समर्थन मिल रहा है। स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे झूठे प्रचार को खारिज कर दिया है। सूत्रों का कहना है कई बार, जब लगा कि निर्दोष लोगों की मौत हो सकती है तो आतंकियों को भागने भी दिया गया।

जम्मू-कश्मीर में अब स्थिति नियंत्रण में है। साल 2018 में जहां जम्मू-कश्मीर में 318 आतंकी घटनाएं हुई। वहीं इस साल 121 घटनाएं ही हुई। इसी तरह साल 2019 में जहां पत्थरबाजी की 202 घटनाएं हुईं। वहीं इस साल मात्र 39 घटनाएं ही हुई। हालांकि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को भड़काने का प्रयास हो रहा है। सात अक्टूबर को आतंकी मेहरान यासीन शाला ने दो शिक्षकों को मारा था। सुरक्षाबलों ने शाला को 24 नवंबर को मार गिराया। आतंकी आदिल अहमद वानी ने कारपेंटर सगीर अहमद अंसारी को अनतंनाग में बस अड्डे के पास मारा। सुरक्षाबलों ने बीस अक्टूबर को वानी को मार दिया। 17 अक्टूबर को आतंकी गुलजार अहमद रेशी ने दो श्रमिकों को मारा था। बीस अक्टूबर को रेशी को सुरक्षाबलों ने मार गिराया।


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