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Amarnath Yatra 2021: आषाढ़ पूर्णिमा पर लिद्दर नदी के तट पर हुआ छड़ी पूजन, 17 अगस्त को पवित्र गुफा के लिए करेगी प्रस्थान

दशनामी अखाड़ के महंत और छड़ी मुबारक के संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरि ने बताया कि पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान अरमेश्वर की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा का शुभारंभ और विधान आषाड़ पूर्णिमा के दिन से ही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 01:57 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 03:28 PM (IST)
Amarnath Yatra 2021: आषाढ़ पूर्णिमा पर लिद्दर नदी के तट पर हुआ छड़ी पूजन, 17 अगस्त को पवित्र गुफा के लिए करेगी प्रस्थान
श्री अमरेश्वर मंदिर में 11 अगस्त को छड़ियों का पूजन कर उनको वहां स्थापित किया जाएगा।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। भगवान अमरेश्वर की पवित्र गुफा के प्रमुख आधार शिविर पहलगाम मेें आज शनिवार को आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर लिद्दर नदी किनारे भूमि पूजन, नवग्रह पूजन, छड़ी पूजन और ध्वजारोहण का अनुष्ठान आरंभ हो गया। इसके साथ ही पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा का शुभारंभ भी हुआ।

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अलबत्ता, कोविड-19 के कारण उपजे हालात में इस वर्ष श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा गया है। सिर्फ छड़ी मुबारक ही पवित्र गुफा में हिमलिंग स्वरुप में विराजमान भगवान अमरेश्वर की रक्षाबंधन की सुबह मुख्य पूजा और दर्शन का अनुष्ठान संपन्न करने जाएगी। छड़ी मुबारक 17 अगस्त दशमी की सुबह अपने विश्रामस्थल दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान करेगी और उसी शाम काे पहलगाम पहुंचेगी।

दशनामी अखाड़ के महंत और छड़ी मुबारक के संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरि ने बताया कि पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान अरमेश्वर की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा का शुभारंभ और विधान आषाड़ पूर्णिमा के दिन से ही है। तीर्थयात्रा का पुण्य और विधान पहलगाम की तरफ से यात्रा करने से ही है। आज शनिवार सुबह सात बजे छड़ी मुबारक पहलगाम के लिए रवाना हुई। वहां लिद्दर नदी किनारे पहुंच महंत दीपेंद्र गिरि ने अन्य विद्वानों सहित भूमि पूजन, नवग्रह पूजन के बाद छड़ी पूजन किया और उसके बाद ध्वजारोहण किया। यह  अनुष्ठान दोेपहर डेढ़ बजे के करीब संपन्न हुआ। उसके बाद छड़ी मुबारक वापस श्रीनगर में दशनामी अखाडा़ स्थित अमरेश्वर धाम में लौट आई।

उन्हाेंने बताया कि शिव-शक्ति स्वरूपिणी पवित्र छड़ी मुबारक को आठ अगस्त अमावस्या के दिन पूजन के लिए ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर और नौ अगस्त सोमवार की सुबह हरि पर्वत श्रीनगर स्थित मां शारिका भवानी के मंदिर में पूजा अर्चना हेतु लेकर जाया जाएगा | नौ अगस्त को श्रावण मास का शुक्ल पक्षारांभ है। इसके बाद दशनामी अखाड़ा श्रीनगर में स्थित श्री अमरेश्वर मंदिर में 11 अगस्त को छड़ियों का पूजन कर उनको वहां स्थापित किया जाएगा।

दीपेंद्र गिरि ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन 13 अगस्त को शुभ मुहूर्त में परंपरागत छड़ी पूजन करने के पश्चात छड़ी मुबारक का दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान का विधान है। नागपंचमी के दिन से 16 अगस्त को नवमी तक आम श्रद्धालुओं को छड़ी मुबारक के दर्शन की अनुमति रहेगी और 17 अगस्त दशमी की सुबह सुबह आठ बजे छड़ी मुबारक दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा लिए प्रस्थान करेगी। रास्ते में सूर्येश्वर मंदिर श्रीनगर, शिवमंदिर पांपोर, शिव मंदिर बीजबेहाड़ा, मार्त्तंड तीर्थ मट्ठन और गणेशबल मंदिर में पूजा करते हुए शाम को गौरी शंकर मंदिर पहलगाम पहुंचेगी।

पहलगाम में छड़ी मुबारक दो रात्रि का विश्राम करेगी । 19 अगस्त को द्वादशी की दोपहर को चंदनबाड़ी के लिए प्रस्थान करेगी और रात को वहीं पर विश्राम करेगी। इसके बाद त्रयोदशी की सुबह 20 अगस्त को छड़ी मुबारक आगे की यात्रा शुरु करेगी और रात्रि विश्राम शेषनाग में होगा। चतुर्दशी की सुबह 21 अगस्त को शेषनाग झील में स्नान और पूजन हाेगा। इसके बाद छड़ी मुबारक पंचतरनी पहुंचेगी अैर रात को वहीं पर विश्राम करेगी।

अगली सुबह श्रावण पूणिमा को सुबह छह बजे छड़ी मुबारक पवित्र गुफा में प्रवेश करेगी। उसी दिन वहां भगवान अमरेश्वर की पूजा और मुख्यदर्शन का अनुष्ठान संपन्न होगा। इसके बाद वहां से लौटेगी और पंचतरणी में रात्रि विश्राम करेगी और अगले दिन प्रतिपदा को पहलगाम पहुंचेगी। 24 अगस्त द्वितिया की सुबह पहलगाम में लिददर नदी किनारे पूजन और विर्सजन होगा। इसके बाद कड़ी पकौड़ी भंडारा होगा और छड़ी मुबारक वापस अपने विश्रामस्थल दशनामी अखाड़ा लौट आएगा। उन्होंने बताया कि अगर प्रदेश सरकार छड़ी मुबारक को पैदल जाने की अनुमति नहीं देगी और हैलीकाप्टर की सुविधा प्रदान करेगी तो यात्रा के कार्यक्रम में बदलाव हो सकता है। 


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