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JK Bank Loan Scam : 270 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले में अमन हॉस्पीटेलिटी के एमडी को मिली जमानत

जेके बैंक में हुए इस 270 करोड़ रुपये के ऋण घाेटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक राज सिंह गहलोत ने जम्मू-कश्मीर बैंक की अंसल प्लाजा नई दिल्ली शाखा के तत्कालीन मैनेजर राकेश कुमार व कुलदीप गुप्ता के साथ मिलकर यह घोटाला किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 08:35 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 08:35 PM (IST)
JK Bank Loan Scam : 270 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले में अमन हॉस्पीटेलिटी के एमडी को मिली जमानत
अन्य आरोपितों को भी जमानत मिल चुकी है, लिहाजा आरोपित को भी जमानत का अधिकार है।

जम्मू, जेएनएफ : भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय श्रीनगर ने जम्मू-कश्मीर बैंक में 270 करोड़ रुपये के ऋण घोटाले में अमन हॉस्पीटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर राज सिंह गहलोत की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। कोर्ट ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर गहलोत की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए हिदायत दी है कि याची जांच एजेंसी का पूरा सहयोग करेगा और किसी भी तरह से केस की जांच या गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा।

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कोर्ट ने पाया कि इस मामले में 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी और तब से लेकर आज तक आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया गया। जांच एजेंसी के बुलाए जाने पर आरोपित पेश हो रहा है और जांच में सहयोग कर रहा है। एफआईआर दर्ज होने से लेकर चार्जशीट पेश होने तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिसमें यह साबित हो सके कि आरोपित ने जांच प्रभावित करने का प्रयास किया है। इस मामले में अन्य आरोपितों को भी जमानत मिल चुकी है, लिहाजा आरोपित को भी जमानत का अधिकार है।

जेके बैंक में हुए इस 270 करोड़ रुपये के ऋण घाेटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक राज सिंह गहलोत ने जम्मू-कश्मीर बैंक की अंसल प्लाजा नई दिल्ली शाखा के तत्कालीन मैनेजर राकेश कुमार व कुलदीप गुप्ता के साथ मिलकर यह घोटाला किया। बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से कंपनी को करोड़ों रुपये का ऋण दिया गया और बाद में कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए खाते को एनपीए घोषित कर दिया गया ताकि वन टाइम सेटलमेंट का फायदा उठाया जा सके।

कंपनी ने दल्ली में 866.89 करोड़ रुपये की लागत से पांच सितारा होटल बनाने के लिए बैंक से ऋण लिया लेकिन ऋण राशि को दूसरे कार्याें में इस्तेमाल किया गया। बैंक ने कंपनी को पहले 100 करोड़ रुपये का ऋण दिया जिसमें से 35 करोड़ रुपये राज सिंह गहलोत ने दूसरी फर्म को ट्रांसफर कर दिए। इसी तरह अन्य ऋण भी फर्जी फर्मों को ट्रांसफर किए और मिलीभगत से वन टाइम सेटलमेंट का लाभ लेने का प्रयास किया गया।


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