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श्रद्धा का महासावन : शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं

शिव आदिदेव हैं। शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं। वो तो भोले नाथ हैं। जहां वो एक ओर महायोगी हैं वहीं दूसरी तरफ माता पार्वती से प्रेम विवाह भी किया है। यही शिव का रहस्य है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 03:52 PM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 03:52 PM (IST)
श्रद्धा का महासावन : शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं
1008 अलग-अलग नामों के साथ यह उनके अविवेकी रहस्यों के आधार का प्रतिनिधित्व करता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : शिव महा कल्याणकारी है। वो तो केवल एक लोटे जल से ही खुश हो जाते हैं। शिव आदिदेव हैं। शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं। वो तो भोले नाथ हैं। जहां वो एक ओर महायोगी हैं, वहीं दूसरी तरफ माता पार्वती से प्रेम विवाह भी किया है। जब भी किसी जोड़े को आशीर्वाद दिया जाता है, तो उन्हें शिव-पार्वती की उपमा से ही सुशोभित किया जाता है। डा. जोगिंद्र शास्त्री ने कहा कि शिव जीवन और मृत्यु, विनाश और पुनर्जन्म के देवता हैं। वह सब जो परस्पर विपरीत है। वह एक कैसे है। यही शिव का रहस्य है।

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उन्होंने कहा कि उनके 1008 अलग-अलग नामों के साथ यह उनके अविवेकी रहस्यों के आधार का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में सबसे बड़े देवता के रूप में, शिव को उनके दिव्य परिवार, उनकी असाधारण शक्तियों, उनके रूप और उनके लाखों भक्तों के लिए जाना जाता है। शिव के साथ जब तक शक्ति है तभी तक वो शिव कहलाते हैं। बिना शक्ति के शव के समान हो जाते हैं। उनका अर्धनारीश्वर रूप इसी बात का प्रतीक है। अपने इस रूप से प्रभु सबको ये सीख देना चाहते हैं कि प्रकृति स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे होते हैं और साथ मिलकर ही सम्पूर्ण होते है। किसी की भी महत्ता कम नहीं है अपितु समान है।

महादेव अपने परिवार, पार्वती, श्रीगणेश और कार्तिकेय के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। साथ ही नंदी, शिवगण आदि भी उनके साथ वहां पर निवास करते हैं। भगवान शिव के कई नाम हैं और वो योग और नृत्य सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं के देवता हैं। हिंदू धर्म में जो लोग उनका अनुसरण करते हैं। उन्हें शैव कहा जाता है। एवं उनके सम्प्रदाय को शैव सम्प्रदाय कहते हैं।

शिव को दुनिया के विध्वंसक के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनकी कई अन्य भूमिकाएं भी हैं। हिंदू धर्म के अनुसार शिव के अनंत रूप हैं जैसे वो निर्माता है तो विध्वंसक भी, आंदोलन हैं तो शांति भी, वो प्रकाश है, तो अंधेरा भी और आदमी भी वही और औरत भी वही हैं। इन भूमिकाओं में विरोधाभास होता है लेकिन शिव की ये भूमिकाएं यह दिखाने के लिए हैं कि ये चीजें जितना दिखाई देती हैं। उससे कहीं अधिक एक-दूसरे से जुड़ी हैं।


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