Kashmir: उलेमा, मौलवी और मजहबी संगठन प्रशासन के साथ मिलकर अब कश्मीर को दिलाएंगे नशे से आजादी
कश्मीर में करीब 2.5 लाख लोग अफीम चरस हेरोइन व प्रतिबंधित दवाओं के नशे की गिरफ्त में हैं। श्रीनगर पुलिस नियंत्रण कक्ष में स्थित नशा उन्मूलन केंद्र के एक सर्वे के मुताबिक वादी में ज्यादातर नशेड़ियों की आयु 18-35 साल के बीच है।
श्रीनगर, नवीन नवाज : कश्मीर में मस्जिदों में आजादी और जिहाद का नारा फिर गूंजेगा, लेकिन यह आजादी और जिहाद होगा, घाटी को उड़ता कश्मीर बना रहे नशे के खिलाफ। यह आजादी होगी नशा कारोबारियों और नशेडिय़ों से। उलेमा, मौलवी और मजहबी संगठनों के नेताओं ने प्रशासन के साथ मिलकर कश्मीर को नशे के जाल से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया है।
जम्मू कश्मीर पुलिस और नागरिक प्रशासन ने नशा का अवैध धंधा करने वालों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर रखा है। इसके तहत न सिर्फ सरहद पार से आने वाले नशीले पदार्थाें की तस्करी को रोकने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि घाटी में अफीम और भांग की खेती को भी तबाह किया जा रहा है। बावजूद इसके अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो रहे हैं। इसे देखते हुए ही प्रशासन ने अब मजहबी नेताओं की मदद लेने का फैसला किया है।
एलओसी पार से आती है हेरोइन : कश्मीर के मंडलायुक्त पांडुरंग के पोले ने कहा कि आतंकवाद के कारण कश्मीर में नशीले पदार्थों का अवैध कारोबार भी बढ़ा है। पंजाब के रास्ते जहां प्रतिबंधित दवाएं आती हैं, वहीं एलओसी पार से यहां हेरोइन आती है। कश्मीर से अफीम, चरस और भुक्की अन्य जगहों पर तस्करी होती है। हालात काफी विकट हैं, अगर यही स्थिति रही तो लोग उड़ता पंजाब भूल जाएंगे। पुलिस, नागरिक प्रशासन व अन्य कई सरकारी संस्थाएं इस समस्या से निपटने के लिए हर संभव तरीका इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हम नशे के खिलाफ हम संभव कार्रवाई कर रहे हैं।
धर्मगुरुओं की मदद लेने का फैसला : मंडलायुक्त ने कहा कि सभी जानते हैं कि आमजन की मानसिकता पर उसके मजहब का एक बड़ा असर होता है। कोई भी व्यक्ति किसी की बात को अनसुना कर सकता है, लेकिन जब वही बात धर्म के साथ जोड़कर बताई जाए या उसका असर होता है। इसलिए हमने कश्मीर में उलेमाओं, मजहबी नेताओं समेत विभिन्न धर्मगुरुओं की मदद लेने का फैसला किया है। दो दिन पहले हमने वक्फ बोर्ड के अधिकारियों, आबकारी उपायुक्त की मौजूदगी में हजरतबल दरगाह, नक्शबंद साहिब, जामिया मस्जिद मुनव्वराबाद, सैयद याकूब साहब सोनवार, शेख नूरुदीन नूरानी चरार ए शरीफ समेत वादी की सभी प्रमुख जियारतगाहों, मस्जिदों और खानकाहों के इमाम, खतीब और इस्लामिक विद्वानों के साथ बैठक की है। सभी ने कश्मीर का नशीले पदार्थाें के मकडज़ाल से बाहर निकालने में हर संभव सहयोग का यकीन दिलाया है।
कौम को बचाना है तो नशाखोरी को भगाना है : जामिया मस्जिद के इमाम इमाम हय ने कहा कि नशाखोरी इस्लाम में पूरी तरह से हराम है। कश्मीर को बंदूक ने तबाह किया और जो कुछ बचा है, वह यह मुसीबत बरबाद कर रही है। हम जहां भी जा रहे हैं, वहां लोगों से नशे के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान कर रहे हैं। उन्होंने कहा-अगर हमें अपनी कौम को बचाना है तो नशाखोरी को यहां से भगाना है।
नशे के खिलाफ काम करना भी जिहाद : कश्मीर के प्रतिष्ठित इस्लामिक विद्वान और कारवान ए इस्लामी के उपाध्यक्ष मौलाना वली मोहम्मद रिजवी साहिब ने कहा कि नशे के खिलाफ काम करना, नशेडिय़ों को सुधारना और उन्हेंं समाज की मुख्यधारा में शामिल करना भी जिहाद है। इस्लाम में नशा करना, नशीले पदार्थाें की खेती करना या उनका कारोबार करना गुनाह है। हमने कारवान-ए-इस्लामी से जुड़े सभी उलेमा, मौलवियों को निर्देश दिया है कि वह अपने खुतबों में लोगों को कश्मीर को नशे से आजाद कराने का आग्रह करें।
कहीं उड़ता कश्मीर न बन जाए खूबसूरत जन्नत : कश्मीर में करीब 2.5 लाख लोग अफीम, चरस, हेरोइन व प्रतिबंधित दवाओं के नशे की गिरफ्त में हैं। श्रीनगर पुलिस नियंत्रण कक्ष में स्थित नशा उन्मूलन केंद्र के एक सर्वे के मुताबिक, वादी में ज्यादातर नशेड़ियों की आयु 18-35 साल के बीच है। वर्ष 2019 में नशा उन्मूलन केंद्र में 633 मामले आए थे, जो 2020 में बढ़कर 1978 तक पहुंच गए। इनमें युवतियों की संख्या भी काफी है और महिला नशेडिय़ां में 19 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जम्मू कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 में नशीले पदार्थों की तस्करी के सिलसिले में 1672 लोगों के खिलाफ 1132 मामले दर्ज किए गए हैं। औसतन तीन मामले नशा तस्करी के रोजाना दर्ज किए जाते हैं और पांच से छह तथाकथित नशा तस्कर पकड़े जाते हैं।