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जलवायु परिवर्तन से भूजल में भी आ रही गिरावट, तालाब-कुओं के रखरखाव का दिया सुझाव

वहीं डाक्टर विवेक आर्य ने भूजल को उसके पुराने स्तर पर लाने के लिए पुराने ग्रामीण तरीकों जैसे तालाब कुओं को बनाने और उनके रखरखाव का सुझाव दिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 05:36 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 05:36 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन से भूजल में भी आ रही गिरावट, तालाब-कुओं के रखरखाव का दिया सुझाव
जलवायु परिवर्तन से भूजल में भी आ रही गिरावट, तालाब-कुओं के रखरखाव का दिया सुझाव

जम्मू, जागरण संवाददाता। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंसेस एंड टेक्नालॉजी में आयोजित साइंस कांग्रेस के दूसरे दिन जलवायु परिवर्तन से आर्थिक सामाजिक स्थिति में आ रहे बदलाव और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन पर चर्चा हुई। साइंस कांग्रेस में आए विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने इस पर अपने विचार रखे और अपने शोध कार्य भी पेश किए।

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स्कास्ट के डीन डा. डीपी अबरोल ने जलवायु परिवर्तन से उन जीवों को खतरा बताया जो पेड़ पौधों की गिनती बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं। यह जीव पेड़ पौधों के बीज, फूलों आदि काे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद करते हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते उन जीवों पर ही खतरा मंडराने लगा है जिससे वनस्पति, पेड़ पौधों की कमी होना शुरू हो जाएगी। वहीं हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से आए कृषि वैज्ञानिक डा. नरेंद्र शांकयान ने पर्यावरण में कार्बन की बढ़ोतरी से कृषि क्षेत्र में पड़ रहे प्रभाव पर अपने विचार रखे।

वहीं डाक्टर विवेक आर्य ने जलवायु परिवर्तन से भूजल में गिरावट को चिंताजनक बताया। उन्होंने भूजल को उसके पुराने स्तर पर लाने के लिए पुराने ग्रामीण तरीकों जैसे तालाब, कुओं को बनाने और उनके रखरखाव का सुझाव दिया। वहीं डा. मनमोहन शर्मा ने आलू की खेती को बढ़ाने के लिए टीशू कल्चर को अपनाने पर अपने विचार रखे।

साइंस कांग्रेस के दूसरे दिन स्कास्ट जम्मू के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. हरबंस सिंह ने भी कृषि क्षेत्र में हुए कार्यों व जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र पर पड़ रहे प्रभाव पर प्रकाश डाला। इसके अलावा स्कालर डा. संजय खजूरिया, डा. विजय कुमार, डा. एसके सिंह, डा. आरसी शर्मा ने भी अपने पेपर पढ़े।


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