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Jammu Kashmir: आतंकी हमलों के बाद डरे-सहमे श्रमिक घाटी छोड़ वापिस लौटने लगे

राज्यपाल के सलाहकार फारूक अहमद खान ने कहा कि हत्याओं ने जिहादियों के असली चेहरे को फिर बेनकाब किया है। वे राज्य को पिछड़ा बनाए रखना चाहते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 11:38 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 11:38 AM (IST)
Jammu Kashmir: आतंकी हमलों के बाद डरे-सहमे श्रमिक घाटी छोड़ वापिस लौटने लगे
Jammu Kashmir: आतंकी हमलों के बाद डरे-सहमे श्रमिक घाटी छोड़ वापिस लौटने लगे

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जिहादियों को जम्मू-कश्मीर में शांति और आर्थिक खुशहाली रास नहीं आ रही है। तीन लोगों की हत्या के बाद अन्य राज्यों के श्रमिक फिर से अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं। दरअसल, आतंकी और अलगाववादी सुधर रहे हालात से हताश हैं। माहौल बिगाड़ने के लिए वे हर तरह की साजिश कर रहे हैं।

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पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटने के बाद हालात सुधरने पर राज्य प्रशासन ने कई तरह की पाबंदियों को हटा लिया था। इस क्रम में लैंडलाइन और हाल ही में मोबाइल पोस्टपेड सेवाओं को बहाल किया गया था। इससे यहां फिर से बाहरी श्रमिकों की आमद शुरू हो गई थी। बाहर से व्यापारी भी आने लगे थे। सितंबर की शुरुआत तक सेब का निर्यात लगभग थम सा गया था। अक्टूबर के पहले सप्ताह तक 25 फीसद तक निर्यात हो चुका है। बंद पड़ी निर्माण योजनाएं भी गति पकड़ने लगी थीं।

गत सोमवार को राजस्थान के ट्रक चालक की हत्या, बुधवार को श्रमिक और सेब व्यापारी की हत्या ने वादी का माहौल खराब कर दिया। दहशत के चलते सेब व्यापारी और ट्रक चालक बोरिया बिस्तर समेट चुके हैं। श्रमिकों ने फिर से अपने घरों का रुख कर लिया है। गर्मी के दिनों में कश्मीर में अन्य राज्यों से करीब चार से पांच लाख श्रमिक आते हैं। सर्दियों में पारा गिरने से लगभग सभी श्रमिक कश्मीर से चले जाते हैं। अमृतसर से सटे गागोमल गांव के रहने वाले कुलवंत सिंह ने कहा कि मैं यहां बीते 20 साल से लगातार आ रहा हूं। पहली बार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा हूं।

सुरक्षा के आश्वासन के बाद भी नहीं रुक रहे श्रमिक

श्रमिकों को रोकने के लिए निर्माण कार्याें से जुड़े ठेकेदारों को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। वे उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिला रहे हैं, लेकिन उनकी बात सुनने को कोई तैयार नहीं है। 65 प्रतिशत सरकारी निर्माण कार्य ठप पड़ गए हैं। बडगाम से सुबह पांच यात्री बसें बाहरी श्रमिकों को कथित तौर पर लेकर निकली हैं। ये सभी मजदूर बताए गए हैं। श्रमिकों का कहना है कि हम तो स्थिति में सुधार की बात सुनकर यहां आए थे। जिस तरह से पुलवामा में श्रमिक को मारा गया है, ऐसे में हम यहां नहीं रह सकते।

हमारी तहजीब और रोजी-रोटी का कत्ल

फल मंडी शोपियां के प्रधान मुहम्मद अशरफ वानी ने कहा कि सेब तो हमारी अर्थव्यवस्था का मजबूत हिस्सा है। हम तो बाहरी राज्यों के ट्रांसपोर्टरों पर निर्भर हैं। जिस तरह से ट्रक चालक और सेब व्यापारी की हत्या हुई है, उससे हमारा कारोबार ठप हो गया है। यह किसी बाहरी आदमी का कत्ल नहीं है, यह हम लोगों का, हमारी तहजीब और रोजी-रोटी का कत्ल है। कोई भी ट्रक चालक अब बाग में आकर माल लेने को तैयार नहीं है।

आतंकी नहीं चाहते कश्मीर में खुशहाली आए

राज्यपाल के सलाहकार फारूक अहमद खान ने कहा कि हत्याओं ने जिहादियों के असली चेहरे को फिर बेनकाब किया है। वे राज्य को पिछड़ा बनाए रखना चाहते हैं। सेब के किसानों, ट्रक चालकों, व्यापारियों और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।


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