Militancy in Kashmir: डॉ. सैफुल्ला के बाद अब हिजबुल का अगला ऑपरेशनल कमांडर कौन?
सीमा पार से भी उसे अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। आइएसआइ ने उसकी वित्तीय मदद के लिए जो नया मॉडल तैयार किया है वह भी पूरी तरह कार्यान्वित नहीं हुआ है क्योंकि उसमें आतंकी कमांडर का कार्य प्रदर्शन सबसे अहम है। सैफुल्ला इसमें खरा नहीं उतर रहा था।
श्रीनगर, नवीन नवाज। कश्मीरी आतंकियों के सबसे बड़े संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की ऑपरेशनल कमान डॉ. सैफुल्ला के बाद जुबैर अहमद वानी काे मिल सकती है। उसे बहुत क्रूर और चालाक माना जाता है। हालांकि कमांडर की दौड़ में दो अन्य आतंकी फारूक अहमद बट और अशरफ मौलवी भी हैं, लेकिन अशरफ मौलवी का एक बाजू बेकार हो चुका है। यहीं पर उसका नंबर कट सकता है। रियाज नाइकू की मौत के बाद जब सैफुल्ला को ऑपरेशनल चीफ बनाया गया था तो फारूक बट को उसका डिप्टी बनाया गया था। सुरक्षाबलों ने गत रविवार को हिजबुल मुजाहिदीन के ऑपरेशनल कमांडर सैफुल्ला मीर उर्फ डाॅ. सैफ उर्फ गाजी काे श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र रंगरेेथ में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया।
डाॅ. सैफ को इसी साल मई में रियाज नाइकू के मारे जाने के बाद हिज्ब ने घाटी में ऑपरेशनल कमान सौंपी थी, लेकिन वह संगठन में काेई नयी जान नहीं फूंक पाया था। हिज्ब की ऑपरेशनल कमान की जिम्मेदारी मिलने से पूर्व वह श्रीनगर, बडगाम और पुलवामा के कुछेक हिस्सों के लिए हिज्बुल मुजाहिदीन के नेटर्वक का सरगना था। वह श्रीनगर-बडगाम का डीविजनल कमांडर था। रियाज नाइकू के बाद वह न संगठन में नए कैडर की भर्ती को गति दे सका और न बचे खुचे कैडर काे आपस में जोड़ किसी सनसनीखेज वारदात को अंजाम दे पाया। सूत्रों की मानें तो वह बीते दो माह के दौरान सिर्फ एक बार ही रंगरेथ में अपने ठिकाने से बाहर दक्षिण कश्मीर में किसी जगह विशेष पर गया था।
हिजबुल मुजाहिदीन पर सबसे ज्यादा दबाव: टेरर फंडिंग के खिलाफ एनआइए की कार्रवाई और अधिकांश ओवरग्राउंड वर्करों की गिरफ्तारी, जमात पर प्रतिबंध से हिजबुल मुजाहिदीन इस समय सबसे ज्यादा दबाव में है। सीमा पार से भी उसे अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। आइएसआइ ने उसकी वित्तीय मदद के लिए जो नया मॉडल तैयार किया है, वह भी पूरी तरह कार्यान्वित नहीं हुआ है, क्योंकि उसमें आतंकी कमांडर का कार्य प्रदर्शन सबसे अहम है। सैफुल्ला इसमें खरा नहीं उतर रहा था। मौजूदा हालात में हिजबुल मुजाहिदीन अगर गुलाम कश्मीर या पाकिस्तान में बैठे अपने किसी नामी कमांडर को कश्मीर में नहीं भेजता है तो जुबैर अहमद वानी, फारुक अहमद बट और माेहम्मद अशरफ खान उर्फ अशरफ मौलवी में से किसी एक को ऑपरेशनल कमांडर बनाया जा सकता है।
कौन है जुबैर अहमद वानी: जुबैर अहमद वानी दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग के अंतर्गत आने वाले देहरुना गांव का रहने वाला है। वह अप्रैल 2018 में आतंकी बना था। जुबैर के पिता का नाम माेहम्मद अफजल वानी है। उसकी तीन बहनें और एक भाई है। उसने भोपाल स्थित एक विश्वविद्यालय से पॉलिटीकल साइंस में एमए किया। उसके बाद उसने राजस्थान से दर्शनशास्त्र में एमफिल किया। उसके परिजनों के मुताबिक, वह देहरादून में पीएचडी के लिए दाखिला ले चुका था । वहां एक दिन बीमार होने पर वह घर आया । उसने जम्मू-कश्मीर शिक्षा विभाग में अध्यापक बनने के लिए भी आवेदन किया। लिखित परीक्षा में भाग लेने के लिए घर से गया और फिर सोशल मीडिया पर उसके आतंकी बनने का एलान हो गया।
कौन है मोहम्मद अशरफ मौलवी: मोहम्मद अशरफ मौलवी उर्फ अशरफ खान भी जिला अनंतनाग के टांगपावा कोकरनाग का रहने वाला है। वह एक रिसायक्लड आतंकी है जिसने 2013 में दोबारा बंदूक उठायी थी। वह मारे जा चुके लश्कर-ए-तैयबा के दुर्दांत आतंकी बशीर लश्करी का करीबी था। वह बीते साल चार बार सुरक्षाबलों की घेराबंदी तोड़ भागन में कामयाब रहा है।
जुबैर कमांडर की दौड़ में सबसे आगे: कश्मीर में आतंकी हिंसा और हिजबुल मुजाहिदीन की गतिविधियों पर नजर रखने वालों के मुताबिक जुबैर वानी कमांडर की दौड़ में सबसे आगे है। अशरफ मौलवी का कम पढ़ा लिखा होना, एक बाजू बेकार होना, उसकी राह में सबस बड़ी रुकावट है। अगर ऐसा न होता तो रियाज नाइकू की मौत के बाद ही उसे प्रमुख कमांडर बनाया जाता। उसे हिजब ने कश्मीर में मिलिटरी एडवाइजर बनाया और ऑपरेशनल चीफ सैफुल्ला मीर को बनाया गया था। फारुक अहमद बट जो इस समय हिजबुल मुजाहिदीन का ऑपरेशनल का डिप्टी चीफ है, भी वर्ष 2015 से सक्रिय है, लेकिन उसकी पढाई और उसका प्रभाव कुछेक इलाकों तक ही सीमित होने के कारण उसे भी सैफुल्ला का उत्तराधिकारी बनाए जाने पर संशय बना हुआ है। इसलिए जुबैेर अहमद वानी काे ही ऑपरेशनल कमांडर बनाए जाने की सबसे ज्यादा उम्मीद है।
सोशल मीडिया पर सक्रिय है जुबैर: जुबैर पढ़ा लिखा है और सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहता है। वह मजहब पर भी मजबूत पकड़ रखता है। उसका खुद का नेटवर्क अनंतनाग से लेकर बारामुला तक है। वह बहुत चालाक और क्रूर माना जाता है। दो साल पूर्व उसने सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए अल-बदर के कमांडर अरजमंद के साथ मिलकर कई पुलिसकर्मियों व उनके परिजनों को अगवा किया था। अरजमंद के बारे में दावा किया जाता है कि इस समय वह पाकिस्तान में है।
आतंकियों के पलायन को भी रोका: कश्मीर में जब अंसार गजवातुल हिंद औेर इस्लामिक स्टेट में हिजबुल मुजाहिदीन व लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों का पलायन शुरू हुआ तो जुबैर ने उसे रोकने में अहम भूमिका निभायी थी। उसने इस्लामिक स्टेट और अंंसार-उल-गजवातुल-ए-हिंद के आतंकियोंसे हथियार वापस लेने। न मानने वालों को मौत के घाट उतारने मेें भी कोई हिचक महसूस नहीं की थी। उसने ही इस्लामिक स्टेट के स्वयंभू कमांडर आदिल दास को जून 2019 में बीजबेहाड़ा में एक बैठक के बहाने बुला मौत के घाट उतारा था।