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Ceasefire on Border: अब सरहदी गांवों में देर रात तक चलता है विवाह समारोह का जश्न

स्थानीय नागरिक मोहम्मद अकबर मीर ने कहा कि पहले हमें सीमा पार से होने वाली भारी गोलीबारी के कारण घरों में रहना पड़ता था। इस बार शादियों धूमधाम से हो रही हैं। व्यापारिक गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं। किसान तड़के और देर शाम तक खेतों में काम करते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 07:55 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 08:21 AM (IST)
Ceasefire on Border: अब सरहदी गांवों में देर रात तक चलता है विवाह समारोह का जश्न
पहले दहशत के साए मेें शादियां होती थीं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारत-पाक के बीच संघर्ष विराम समझौते पर सहमति के बाद सरहद से सटे गांवों में खुशियां लौट आई हैं। तड़के फसल की कटाई करनी हो या फिर त्योहार हों या शादी समारोह जश्न का दौर अब देर रात तक चलता है। पाक गोलाबारी के डर के कारण पहले शाम ढलते लोग घरों में बल्ब तो दूर की बात मोमबत्ती जलाने की हिम्मत नहीं करते थे।

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गौरतलब है कि 24-25 फरवरी की रात से संघर्ष विराम पर सहमति के बाद से नियंत्रण रेखा से सटे गांवों के लोग राहत की सांस ले रहे हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच नवंबर 2003 में भी संघर्ष विराम समझौता हुआ था, लेकिन पाकिस्तान बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहा।

इन दिनों जम्मू संभाग के पुंछ और राजौरी जिलों में एलओसी से सटे गांवों में रंग-बिरंगे बल्ब से सजे शादी वाले घरों मेें देर रात तक कार्यक्रम हो रहे हैं। आतिशबाजी भी होती है और ढोलक की ताल पर डांस भी। दावतों का दौर भी देर तक चल रहा है। गगरिया गांव के परवेज अहमद कहते हैं कि मेरी शादी में रौनक आज तक मैंने नहीं देखी। पहले दहशत के साए मेें शादियां होती थीं। वह हंसते हुए कहते हैं कि बरात में उनके दो रिश्तेदार हाथ में सफेद झंडा लेकर आए थे। उनका गांव जीरो लाइन से सटा है।

स्थानीय नागरिक मोहम्मद अकबर मीर ने कहा कि पहले हमें सीमा पार से होने वाली भारी गोलीबारी के कारण घरों में रहना पड़ता था। इस बार शादियों धूमधाम से हो रही हैं। व्यापारिक गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं। किसान तड़के और देर शाम तक खेतों में काम करते रहते हैं। नवविवाहिता तरनुम ने कहा कि सरहद पार से होने वाली गोलीबारी के कारण उनका जीना मुहाल हो गया था।

अब हम खुश हैं। बच्चे भी देर शाम तक गांवों में खेलते नजर आते हैं। अमन ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर माता-पिता की चिंता को कम किया है। मेंढर के एक स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ रहे मोहम्मद फारूक ने बताया कि सरहद से सटे इलाकों में स्थित स्कूलों में सामान्य कामकाज शुरू हो सका। पहले पाक स्कूलों को निशाना बनाता था। 


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