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World Theatre Day: केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में शुरू हुई रंगमंच की नई उड़ान

World Theatre Day ट्राइबल रिर्सच एंड कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. जावेद राही ने कहाकि लोक नाट्य शैलियां लुप्त होने की कगार पर हैं ।लोक नाट्य शैलियां इतनी समृद्ध हैं लेकिन उन कलाकारों का प्रोत्साहन नहीं हो रहा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 12:42 PM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 12:42 PM (IST)
World Theatre Day: केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में शुरू हुई रंगमंच की नई उड़ान
जम्मू-कश्मीर के रंगमंच को नई पहचान मिल सकेगी ।

जम्मू, अशोक शर्मा : विश्व रंगमंच के नाम समर्पित आज का दिन जम्मू-कश्मीर के लिए नई उड़ान की शुरूआत दिख रहा ।जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनते ही यह उम्मीद होने लगी थी कि अब साहित्य, कला, रंगमंच को विशेष अहमियत मिलेगी ।रंगमंच को लेकर कई तरह के उतार चढ़ाव तो लगातार देखने को मिल ही रहे हैं लेकिन अब जब कि अकादमी को बतौर सोसायटी रजिस्टर करने की बात पक्की हुई है तो रंगमंच करने वालों को उम्मीद है कि वह अब सरकारी पाबंदियों से ऊपर उठकर अपने तरीके से कुछ नया कर सकेंगे ।

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जम्मू-कश्मीर में रंगमंच से जुड़े लोगों के लिए आज भी रंगमंच एक चुनौती की विधा है । रंगमंच को व्यापक फलक में देखा जाना चाहिए। रंगमंच, थियेटर यह ऐसी जगह है जो कलाकारों को मांजता है ।निखारता है और उन्हें एक पहचान देता है।

व्यक्तित्व विकास के उद्देश्य से तो आज अभिभावक अपने बच्चों को भी रंगमंच कार्यशालाओं में भेजते हैं लेकिन पैसा न होने के कारण लोग चाह कर भी जीवन भर रंगमंच नहीं कर पाते । रंगमंच के महत्व का आज दुनिया समझती है और इसे शिक्षा का हिस्सा का बनाने की बातें भी समय-समय पर होती रहती हैं लेकिन इस दिशा में जम्मू-कश्मीर में कभी भी गंभीर प्रयास होते नहीं दिखे ।अब जब कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और चीजें तेजी से बदल रही हैं तो उम्मीद की जा सकती है कि जम्मू-कश्मीर के रंगमंच को नई पहचान मिल सकेगी ।

अब जब रंगमंच सलाहकार बोर्ड का गठन होगा तो रंगमंच का बजट बढ़ने की भी उम्मीद की जा सकती है। अकादमी में रंगमंच को लेकर वार्षिक नाट्योत्सव तो होता है लेकिन इससे कलाकारों की प्रतिभा को निखारने जैसी बात नहीं होती। जरूरत तो इस बात की है कि कम से कम अकादमी की ओर से हर जिले में एक दो रंगमंच कार्यशालाओं का आयोजन कर वहां से नाटक तैयार करवाए जाएं । इससे अधिक से अधिक लोग रंगमंच से जुड़ सकेंगे। सोसायटी बनने के बाद उम्मीद की जा रही है रंगमंच के लिए अलग से बजट रखा जाए ताकि बडे़ स्तर पर काम हो सके ।रंगमंच पर गाेष्ठियां, कार्यशालाएं, चर्चा, नाट्य पाठ, नाट्य लेखन कार्यशालाएं आदि हो सकें।

प्रोत्साहन की जरूरत: बिस्मिल्लाह खान युवा कलाकार सम्मान से सम्मानित संजीव गुप्ता ने कहा कि रंगमंच अपने जन्म से लेकर अब तक अपने मूलभूत उद्देश्यों से भटकता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है ।जिस तरह की चुनौतियों से रंगमंच को जुझना पड़ रहा है और जिस तरह वह चुनौतियों के बीच अपने आप को जीवित ही नहीं, बल्कि सक्रिय बनाये रखा है ।यह कलाकारों की मेहनत और लगन का ही परिणाम है ।कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत है ।

कलाकारों के लिए प्रशिक्षण जरूरी: संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कलाकार अनिल टिक्कू ने कहा कि रंगमंच बिना प्रशिक्षण के संभव नहीं है ।रंगमंच से बहुत से युवा जुड़ना चाहते हैं लेकिन उन्हें कार्यशालाओं में भाग लेने का मौका नहीं मिलता। कोशिश होनी चाहिए कि वर्ष में एक दो रंगमंच कार्यशालाओं का आयोजन हो ताकि जो लोग रंगमंच करना चाहतें हों उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिले।

अधिक से अधिक मौके मिलें: वरिष्ठ रंगकर्मी पंकज शर्मा ने कहा कि रंगकर्मियों को अधिक से अधिक मौकेे मिलने चाहिए । यहां दूसरी कलाओं से जुडे़ लाेगों को नियमित मौके मिलते हैं तो कोशिश होनी चाहिए कि पर्यटन विभाग, अकादमी, दूरदर्शन, रेडियो, सांग एंड ड्रामा डिविजन आदि संगठन हर महीने किसी एक निर्धारित दिन मंचन करवाएं । इससे पर्यटकों को भी पता होगा कि उस दिन नाटक होता है तो वह भी नाटक देखना चाहेंगे ।

अकादमी के अलावा दूसरे संगठन भी आगे आ सकते हैं: युवा कलाकार शाजी खान ने कहा कि रंगमंच का प्रोत्साहन सिर्फ जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी का ही काम नहीं है। सूचना विभाग, दूसरे सरकारी विभाग, कारपोरेट सेक्टर भी रंगमंच के लिए आगे आ सकते हैं । जितने ज्यादा मौके मिलेंगे उतना ही हमारा रंगमंच समृद्ध होगा ।

लोक नाट्य शैलियों का प्रोत्साहन जरूरी: ट्राइबल रिर्सच एंड कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. जावेद राही ने कहाकि लोक नाट्य शैलियां लुप्त होने की कगार पर हैं ।लोक नाट्य शैलियां इतनी समृद्ध हैं लेकिन उन कलाकारों का प्रोत्साहन नहीं हो रहा। उन्हें जितने मौके मिलने चाहिए नहीं मिल पा रहे हैं ।जिस तरह नाट्योत्सव होता है, उसी लोक नाट्योत्सव भी होना चाहिए ।स्थानीय रंगमंच को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में घुमाने की भी जररूत है।

आर्थिक संसाधनों की कमी सबसे बड़ी परेशानी: कलाकार, नाट्य निर्देशक विजय गोस्वामी का कहना है कि रंगकर्मी के लिए आर्थिक संसाधनों की कमी सबसे बड़ी चुनौति है ।जम्मू की लगभग हर नाट्य संस्था सरकार से मिलने वाले अनुदान पर निर्भर रहना उसकी मजबूरी है ।यहां का कारपोरेट सेक्टर भी ऐसा नहीं है कि रंगमंच का प्रोत्साहन कर सके ।प्राइवेट स्कूल भी अपने वार्षिक दिवस समारोह तक ही सीमित हैं । जम्मू यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित होने वाले डिस्प्ले योर टेलेंट प्रतियोगिता के दौरान जरूर कलाकारों को थोड़ा काम करने का मौका मिल जाता है । 


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