Jammu Kashmir: तालिबान के कब्जे केे बाद LoC पर अचानक बढ़ गई सक्रियता, आतंकियों की घुसपैठ की सूचना
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों में इजाफे के साथ ही कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी तत्वों की सक्रियता फिर बढ़ती दिखी। पत्थरबाज फिर कुछ मुठभेड़स्थलों पर सक्रिय होते देखे गए।आतंक की साजिशों के खिलाफ सुरक्षाबलोंं का अभियान भी और तीखा हुआ है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : नियंत्रण रेखा पर भले ही फायरिंग फरवरी के बाद से बंद है पर पिछले एक माह में हलचल काफी बढ़ चुकी है। नियंत्रण रेखा के उस पर चल रहे आतंकी शिविरों में काफी सक्रियता दिखाई दे रही है। यही वजह है कि घुसपैठ की कोशिशों में भी इजाफा हुआ है। हथियारों के बरामद जखीरे और बढ़ते ग्रेनेड हमले अफगानिस्तान के बाद कश्मीर में बढ़ती साजिशों की ओर इशारा कर रहे हैं।
बीते दो माह में अकेले राजौरी-पुंछ जिलों में घुसपैठ की प्रयास में 10 आतंकी मारे जा चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने अनौपचारिक तौर पर यह भी स्वीकारा है कि अलग-अलग ग्रुप में करीब दो दर्जन आतंकी घुसपैठ करने में सफल भी रहे हैं। सिर्फ यही नहीं एक सप्ताह में श्रीनगर में ही सुरक्षाबलों पर करीब चार ग्रेनेड हमले भी किए हैं।
साफ है कि दो साल से लगातार सुधरते हालात के बीच अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच कुछ ताकतें कश्मीर को फिर हिंसा के दौर में धकेलना चाहती हैं। अलबत्ता, सुरक्षाबलों के मुताबिक यह अप्रत्याशित नहीं है, अस्थायी है और जल्द ही स्थिति पूरी तरह सामान्य होगी। आतंक की साजिशों के खिलाफ सुरक्षाबलोंं का अभियान भी और तीखा हुआ है। इस साल जम्मू कश्मीर में अब तक 105 के करीब आतंकी मारे गए हैं और इनमें से 45 आतंकी पहली जुलाई से 30 अगस्त 2021 तक मार गिराए गए।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों में इजाफे के साथ ही कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी तत्वों की सक्रियता फिर बढ़ती दिखी। पत्थरबाज फिर कुछ मुठभेड़स्थलों पर सक्रिय होते देखे गए। लश्कर के हिट स्क्वाड कहे जाने वाले आतंकी संगठन टीआरएफ ने टारगेट किलिंग से दहशत फैलाने का प्रयास किया पर सुरक्षाबलों ने उसके कमांडर को ढेर कर उसे बड़ा झटका दे दिया।
लगातार मिल रही आइईडी और हथियारों के जखीरे: उत्तरी कश्मीर में घुसपैठ की सूचनाएं भले ही न आई हों पर हथियारों के जखीरे मिले हैं। इसके अलावा आजादी के जश्न से पूर्व लगातार दर्जन भर से अधिक आइईडी बरामद हुईं। 12 अगस्त को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर बीएसएफ के काफिले पर बड़े हमले को भले ही नाकाम बना दिया गया लेकिन गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह भी स्वीकार कर चुके हैं कि घुसपैठियों के एक-दो दल जम्मू कश्मीर में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं।
अभी से करनी होगी मजबूत तैयारी: आतंकी रह चुके पूर्व विधायक उस्मान मजीद फिर से आइईडी धमाकों और हिंसा का दौर लौटने की आशंका से चिंतित हैं। गत दिनों उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को उन्होंने इस संबंध में एक पत्र भी लिखा था और इसके लिए अभी तैयारी करने का अनुरोध किया था। वह बताते हैं कि आतंकवाद की असलियत समझ आने के बाद ही वह मुख्यधारा में शामिल हुए थे। इसकी कीमत भी उन्होंने चुकाई। उनके भाई गुलाम नबी को 2002 में आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था।
जो आतंकी आएगा मारा जाएगा : सेना
चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से जम्मू कश्मीर पर होने वाले असर का जिक्र करते हुए कह चुके हैं कि हालात की लगातार समीक्षा की जा रही है। हालात बिगाडऩे वालों को बख्शा नहीं जाएगा और जो आतंकी आएगा मारा जाएगा। घुसपैठरोधी तंत्र का मजबूत बनाया गया है।
तैयार हैं सुरक्षा बल: जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक अशकूर वानी ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात का कश्मीर पर असर अप्रत्याशित नहीं है। इसको लेकर सभी सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही अवगत हैं और इससे निपटने की तैयारी चल रही थी। तालिबान की जीत का असर कुछ समय के लिए कश्मीर के हालात पर नजर आ सकता है, लेकिन यह स्थायी होगा, कहना सही नहीं है।
- इंटरनेट मीडिया पर तालिबान की जीत का जश्न देख जेहादी तत्वों का मनोबल कुछ बढ़ सकता है और दो साल से शांत बैठे ऐसे तत्व फिर कोई हिमाकत कर सकते हैं। सुरक्षा बलों को पहले से ही चौकस रहना होगा। - अजय चुरंगु, कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ