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Jammu: 2017 के बाद चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू से सदस्यता लेने वालोें ने फिर उठाई मताधिकार दिए जाने की मांग

वर्ष 2017 के बाद चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू की सदस्यता लेने वाले कारोबारियों ने चैंबर की नई टीम के लिए होने जा रहे चुनाव में वोट डालने का अधिकार दिए जाने की मांग दोहराते हुए कहा है कि वो भी चैंबर के सदस्य है

By VikasEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 05:51 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 06:44 PM (IST)
Jammu: 2017 के बाद चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू से सदस्यता लेने वालोें ने फिर उठाई मताधिकार दिए जाने की मांग
चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू प्रधान पद के उम्मीदवार रमण सुरी

जम्मू, जागरण संवाददाता । वर्ष 2017 के बाद चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू की सदस्यता लेने वाले कारोबारियों ने चैंबर की नई टीम के लिए होने जा रहे चुनाव में वोट डालने का अधिकार दिए जाने की मांग दोहराते हुए कहा है कि वो भी चैंबर के सदस्य है और उनके मताधिकार छीन कर चुनाव नहीं होने चाहिए और अगर यह चुनाव होते भी है तो वह असंवैधानिक होंगे। इन सदस्यों ने 2017 की सदस्यता के आधार पर चैंबर चुनाव करवाने जाने के निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी है और उम्मीद जताई है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा।

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चैंबर प्रधान पद के उम्मीदवार रमण सुरी ने चैंबर के इन 461 सदस्यों का नेतृत्व करते हुए मंगलवार शाम को एक पत्रकार वार्ता की। रमण सुरी ने कहा कि वो इस चुनाव में प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहे थे लेकिन अब उन्होंने फैसला किया है कि जब तक इन 461 सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं मिलता, वो नामांकन पत्र दाखिल नहीं करेंगे। रमण सुरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि तीन साल पहले इन लोगों ने फीस जमा कराकर चैंबर की सदस्यता ली। तीन साल से लगातार फीस दे रहे हैं। इन्हें चैंबर की ओर से फोटो पहचान पत्र और प्रमाण पत्र भी जारी हुए और अब एक साजिश के तहत कुछ लोग इन सदस्यों को उनके मताधिकार से वंचित रखना चाहते हैं।

सुरी ने कहा कि इसके लिए ये सदस्य कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं और हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है, जिस पर एक-दो दिन में सुनवाई होने की उम्मीद है। उन्होंने चैंबर चुनाव के रिसीवर रिटायर्ड जज सुरेश शर्मा व चैंबर की निवर्तमान टीम से भी इन सदस्यों के साथ इंसाफ करने की अपील की। पत्रकार वार्ता के दौरान ऐसे काफी कारोबारी मौजूद थे, जिन्होंने 2017 के बाद चैंबर की सदस्यता ली है और कोर्ट के फैसले से प्रभावित है। 


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