भ्रष्टाचार के मामलों की जांच पूरी न होने पर हाईकोर्ट ने एसीबी को लगाई फटकार
वर्षो से लंबित पड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश न किए जाने पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी)को कड़ी फटकार लगाई है। बेंच ने कहा कि अगर एसीबी खुद को असमर्थ महसूस कर रहा है तो कोर्ट को इसकी जानकारी दे ताकि कोर्ट ऐसा रास्ता निकाले जिससे ये मामले एक निर्णायक अंत तक पहुंच सके।
जेएनएफ, जम्मू : वर्षो से लंबित पड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश न किए जाने पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी)को कड़ी फटकार लगाई है। बेंच ने कहा कि अगर एसीबी खुद को असमर्थ महसूस कर रहा है तो कोर्ट को इसकी जानकारी दे, ताकि कोर्ट ऐसा रास्ता निकाले, जिससे ये मामले एक निर्णायक अंत तक पहुंच सके। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने भ्रष्टाचार के लंबित मामलों के निपटारों की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान निर्देश दिए।
बेंच ने जीएडी को भी लंबित मामलों की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। ऐसा ना होने की सूरत में जीएडी सचिव अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश रहे। बेंच ने इस मामले में पिछली बार जीएडी से भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। बेंच ने पूछा था कि ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ हुई विभागीय कार्रवाई की जानकारी दी जाए। अगर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो उसका कारण स्पष्ट किया जाए। बेंच ने पूछा था कि कितने ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया और कितनी अवधि के लिए? ऐसे कितने अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति दी गई और मौजूदा समय में ऐसे लोग किस पद पर काम कर रहे हैं, जब उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी, तब वे किस पद पर थे? इनमें से कितने लोग सेवानिवृत्त हो चुके है और क्या उन्हें सेवानिवृत्ति के लाभ दिए गए? इसके अलावा यह भी जानकारी मांगी गई थी कि भ्रष्टाचार के कितने मामलों में एफआइआर दर्ज हैं, लेकिन लेकिन सरकार की ओर से सितंबर महीने में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है।
1998 से 2018 के बीच दर्ज हुए 295 मामले
बेंच ने पाया कि 1998 से 2018 के बीच एसीबी के पास 295 केस आए। इनमें से 31 केसों की जांच या तो पूरी नहीं हुई या फिर कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत चालान पेश नहीं हो पाया। 35 केस ऐसे है जिनमें आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति नहीं मिली। 18 केस ऐसे है जिनमें जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन ब्यूरो सेंट्रल आफिस फाइल दबा कर बैठा है। चौदह केसों में दोबारा जांच के निर्देश दिए गए और जांच पूरी नहीं हुई। ऐसे में कुल 295 केसों में से 102 केस अभी भी निर्णायक अंत तक नहीं पहुंच पाए हैं।
कई पूर्व मंत्री व अधिकारी हैं आरोपित
बेंच ने पाया कि 2011 में दर्ज एक एफआइआर में पूर्व मंत्री व कई प्रशासनिक अधिकारी आरोपित हैं और 2018 में जांच पूरी करके रिपोर्ट सेंट्रल आफिस भेजी गई लेकिन वहां फाइल दबाकर रखी गई है। इस तरह की कई एफआइआर है जिसमें बड़े लोग आरोपित हैं और एसीबी मामलों की जांच पूरी करने में नाकाम रहा है। सबसे पुराना मामला 1998 का भी है जिससे एसीबी के काम करने के तरीके का अंदाजा लगाया जा सकता है।