एसीबी का सीएआरडी बैंक मुख्यालय में छापा, दस्तावेज जब्त; ऋण देने के दौरान नियम ताक पर रखे
वहीं भ्रष्टाचार निरोधक विशेष जज ने अवैध तरीके से सरकारी नौकरी हासिल करने वाले जम्मू कश्मीर कला संस्कृति और भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव की जमानत याचिका को खारिज किया।
जम्मू, जागरण संवाददाता। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जम्मू कश्मीर कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर रूरल डेवलपमेंट (सीएआरडी) बैंक के त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन स्थित मुख्यालय में दबिश देकर रिकॉर्ड जब्त कर लिया है। दरअसल एसीबी अधिकारियों को सूचना मिली थी कि बैंक में ऋण देने के दौरान नियमों को ताक पर रखकर कुछ ऐसे लोगों को कर्ज दिया गया जो योग्य नहीं थे। इसके अलावा कई लोगों के ऋण को माफ कर दिया गया है।
डीएसपी रैंक के अधिकारी की देखरेख में बैंक के मुख्यालय में दबिश दी गई। शिकायत के अनुसार बैंक में दो करोड़ से अधिक राशि का ऋण दिया गया है, जिसमें घोटाले होने का दावा किया जा रहा है। एसीबी अधिकारियों ने बैंक प्रबंधन ने उन्हें ऋण की जानकारी देने को कहा। बैंक प्रबंधन ने जैसे ही उन्हें ऋण जारी करने संबंधी दस्तावेज दिए तो एसीबी अधिकारी रिकॉर्ड को अपने साथ ले गए। नाम न छापने की शर्त पर एसीबी अधिकारी ने बताया कि दस्तावेजों की जांच होगी। यदि उनमें त्रुटियां पाई जाएगी तो उसके आधार पर मामले में कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल बैंक के किसी अधिकारी या कर्मचारी को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया है।
अतिरिक्त सचिव की जमानत याचिका खारिज
भ्रष्टाचार निरोधक विशेष जज वाईपी बोरने ने अवैध तरीके से सरकारी नौकरी हासिल करने वाले जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव शकील उल रहमान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त सचिव पर लगे आरोप गंभीर हैं। पिछले दरवाजे से भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। आरोपित को नौकरी देने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया। हैरान करने वाली बात यह है कि वर्ष 2009 में जब शकील उल रहमान की नौकरी अकादमी में बतौर पीआरओ लगी थी तो उसने नियुक्त का आदेश जारी होने से एक दिन पूर्व ही फिशरिज विभाग में क्लर्क की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था।
श्रीनगर से वह हवाई जहाज से जम्मू आया और नियुक्ति का आदेश जारी होने के चौबीस घंटे के भीतर ही ज्वाइन भी कर लिया। यह पद गजटेड रैंक का था। क्राइम ब्रांच ने जांच में कहा है कि शकील उल रहमान को नौकरी पर रखने के लिए अकादमी के तत्कालीन सचिव जफर इकबाल मन्हास ने तय शैक्षिक योग्यता को ही बदल दिया था। इस पद के लिए अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों व चैनलों में काम करने वाले रिपोर्टरों ने आवेदन किया था, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। कोर्ट ने क्राइम ब्रांच को मामले की जांच में तेजी लाने के निर्देश दिया।