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जम्मू विवि के बीएड कोर्स का अकादमिक सत्र एक साल लेट, तीन दिन के लिए आवेदन का फिर से मौका

जम्मू संभाग में रेगुलर बीएड वाले की बीस प्राइवेट बीएड कालेज बंद हो चुके है। जम्मू कश्मीर में कुछ साल पहले बीएड की मांग बहुत अधिक होती थी क्योंकि बाहरी राज्यों पंजाब हरियाणा दिल्ली राजस्थान उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश से पढ़ाई के लिए युवा आते थे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 10:59 AM (IST)
जम्मू विवि के बीएड कोर्स का अकादमिक सत्र एक साल लेट, तीन दिन के लिए आवेदन का फिर से मौका
दो साल पहले तो डिस्टेंस एजूकेशन में बीएड कोर्स में मेरिट चालीस फीसद से कम आ गया था।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजूकेशन विभाग के बीएड कोर्स का अकादमिक सत्र एक साल से अधिक समय से देरी से शुरू हो रहा है। साल 2020 अकादमिक सत्र के बीएड के दाखिले अब हो रहे है। एक साल सत्र में देरी के बावजूद विद्यार्थियों का रुझान भी बहुत कम दिखाई दे रहा है।

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विश्वविद्यालय ने जुलाई अगस्त 2020 में बीएड के जो दाखिले करने थे, वो अब किए जा रहे है। गत अप्रैल में दाखिला प्रक्रिया समाप्त होने के बाद विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को दो दिन के लिए 15 जून से लेकर 17 जून तक दाखिले के लिए फिर से आवेदन का मौका दिया। विभाग में दो साल के कोर्स की पांच सौ सीटें है। एक साल की देरी के बावजूद पांच सौ सीटें भरी नहीं जा रही है। करीब दो सौ विद्यार्थियों ने ही आवेदन किया है।

यह तय है कि इस बार भी कोई मेरिट नहीं होगा। आवेदन करने वाले सभी उम्मीदवारों को दाखिला मिल जाएगा। सिर्फ डिस्टेंस एजूकेशन की बीएड का ही यह हाल नहीं है बल्कि प्राइवेट बीएड कालेजों में रेगुलर बीएड में भी विद्यार्थियों का रुझान नहीं है। कालेजों मेंं बीस हजार सीटों की तुलना में तीन चार हजार सीटें भी भरी जा रही है। दो साल पहले तो डिस्टेंस एजूकेशन में बीएड कोर्स में मेरिट चालीस फीसद से कम आ गया था।

जम्मू संभाग में रेगुलर बीएड वाले की बीस प्राइवेट बीएड कालेज बंद हो चुके है। जम्मू कश्मीर में कुछ साल पहले बीएड की मांग बहुत अधिक होती थी क्योंकि बाहरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश से पढ़ाई के लिए युवा आते थे। बीएड कोर्स के लिए होड़ लगी रहती थी।

पिछले कुछ सालों से उत्तर भारत के सभी राज्यों में बीएड के कई कालेज खुल चुके है इसलिए बाहरी राज्यों के विद्यार्थी नहीं आते है। ऐसे में जम्मू कश्मीर के कालेज स्थानीय युवाओं पर ही निभर्र होकर रह गए हैं। 


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