Ladakh Union Territory: धरती की तपिश से जगमग होगा बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख
बिटस पिलानी और आइआइटी रुड़की समेत देश के विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक लद्दाख में भूतापीय ऊर्जा की संभावनाओं पर शोध कर चुके हैं।
जम्मू, नवीन नवाज। लद्दाख में अच्छे दिनों की आमद के संकेत मिलने लगे हैं। लद्दाख की पूगा घाटी पर देश-दुनिया की नजरें टिकी हैं। यह क्षेत्र भू-तापीय क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख स्रोत बनने जा रहा है। प्रस्तावित योजना के मुताबिक, 50 मेगावाट का सयंत्र बनेगा, लेकिन अंतिम फैसला विशेषज्ञों की टीम ही करेगी। यह सयंत्र न सिर्फ पूरे लद्दाख को रोशन करेगा बल्कि औद्योगिकरण में पिछड़े पूरे प्रांत में क्रांति का रास्ता तैयार करेगा। फिलहाल, लद्दाख प्रांत में 32 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन 22 मेगावाट ही उपलब्ध है। स्थानीय जल विद्युत परियोजनाएं 15 से 20 मेगावाट पैदा कर रही हैं। लद्दाख में 10 फीसद घरों में बिजली नहीं है।
लद्दाख में बिजली के संकट से निपटने के लिए डीजी सेट भी चलाए जाते हैं जिन पर एकसाल में दो मिलियन अमेरिकी डालर खर्च होते हैं। जनरेटर स्थानीय पर्यावरण को भारी नुक्सान पहुंचा रहे हैं। लद्दाख में बिजली संकट से निपटने के लिए पर्यावरण के अनुकूल विभिन्न विकल्पों को तलाशा जा रहा है। इन्हीं विकल्पों में सौर और भूतापीय ऊर्जा शामिल है। विशेषज्ञों की मानें तो लद्दाख में करीब पांच हजार मेगावाट भू तापीय ऊर्जा की संभावना है।
विशेषज्ञ और वैज्ञानिक शोध कर चुके : बिटस पिलानी और आइआइटी रुड़की समेत देश के विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक लद्दाख में भूतापीय ऊर्जा की संभावनाओं पर शोध कर चुके हैं। लद्दाख की पूगा घाटी और छूमाथांग में भूतापीय ऊर्जा के स्नोत हैं। इन इलाकों में गर्म पानी के चश्मे भी हैं। नेशनल हायडल पावर कॉरपोरेशन अमेरिका की कंपनी जियोथर्मैक्स के साथ मिलकर लद्दाख में भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए एक सर्वे कर चुकी है। वर्ष 2012 में तत्कालीन अक्षय ऊर्जा मंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने पूगा घाटी में तीन मेगावाट की क्षमता वाला भू तापीय ऊर्जा सयंत्र स्थापित करने का एलान किया था, लेकिन यह एलान बीते सात सालों में हकीकत नहीं बन पाया।
..तो बिजली संकट होगा दूर: लेह में बिजली विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर गुलाम अहमद मीर ने बताया कि लेह में 20 और करगिल में 32 मेगावाट बिजली चाहिए। सेना को बिजली आपूर्ति की जाती है। अगर पूगा घाटी में 20 मेगावाट की योजना शुरू होती है तो पूरे लद्दाख का बिजली संकट हल हो जाएगा। ऊर्जा उत्पादन बढ़ाए जाने की बहुत जरूरत है क्योंकि अब लद्दाख में कुछ बदल रहा है। होटल बन रहे हैं, नए उद्योगों के विकास के एि भी बिजली चाहिए। बिजली होगी तो यहां विकास तेज होगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
औसतन 320 दिन धूप निकलती: त्सेवांग थिनलस ने कहा कि लद्दाख में सौर ऊर्जा और भूतीय ऊर्जा हमारे लिए अच्छे विकल्प हैं। लददाख में एक साल में औसतन 320 दिन धूप निकलती है जो सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए अनुकूल है। सौर ऊर्जा स्थिर नहीं होती और ग्रिड इसके झटके सहन नहीं कर सकता। बैटरी स्टोरेज मौजूदा परिस्थिति में महंगी है। जलविद्युत परियोजना भी लद्दाख में ज्यादा कारगर नहीं हैं,क्यांकि सर्दियों में अधिकांश दरिया जम जाते हैं। बाढ़ और भूस्खलन की भी दिक्कत है। इसके उत्पादन पर हिमपात, बारिश या सूखे का असर नहीं होता।
कैसे गर्मी जमीन की सतह तक पहुंचती है: कुछ स्थानों पर धरती की ऊपरी परत के नीचे चट्टानों के पिघलने से उसकी गर्मी सतह तक पहुंच जाती है। आसपास की चट्टानों और पानी को गर्म कर देती है। गर्म पानी के झरनों या अन्य जलस्नोतों का जन्म कुछ इसी तरह से होता है। वैज्ञानिक ऐसे स्थानों पर पृथ्वी की भू-तापीय ऊर्जा के जरिये बिजली उत्पादन की संभावना तलाशने में लगे रहते हैं। गर्म चट्टानों पर बोरवेल के जरिये जब पानी प्रवाहित किया जाता है तो भाप पैदा होती है। भाप का उपयोग विद्युत संयंत्रों में लगे टरबाइन को घुमाने के लिए किया जाता है, जिससे बिजली उत्पादन होता है। भारत में भू-तापीय ऊर्जा भंडारों के अध्ययन की शुरुआत वर्ष 1973 में हुई थी।
ओएनजीसी को काम सौंपा, आएंगे विशेषज्ञ: लेह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के कार्यकारी पार्षद गयाल पी वांगयाल ने कहा कि जब से जियोथर्मल पावर की बात हो रही है, लद्दाख में सर्वे ही हुए हैं। 40 सालों के दौरान कई बार सर्वे हुए हैं। बात सिर्फ पावर स्टेशन स्थापित करने के एलान तक सीमित होकर रह जाती है। हमने यह जिम्मा अपने हाथ में लिया है। हमने केंद्र से चर्चा की और केंद्र ने ओएनजीसी को यह काम सौंपा है। दो दिन पहले यहां ओएनजीसी के इंजीनियर और जियोर्थमल पावर एक्सपर्ट भी आए थे। उन्होंने पूगा का दौरा किया है। हमने 50 मेगावाट की योजना शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। यह दल अगले कुछ दिनों में दोबारा आएगा।
दो हजार मीटर गहरा कुआं खोदा जाएगा: लद्दाख में भूतापीय ऊर्जा परियोजना के कोआर्डिनेटर न्वांगत थिनलेस लोनपो ने कहकि पूगा में भूतापीय ऊर्जा के दोहन सबसे आसान है। यहां दो हजार मीटर गहरा कुआं खोदा जाएगा। पूगा में करीब 500 मेगावाट की क्षमता है। इसमें 80 मेगावाट की क्षमता सिर्फ यहां गर्म पानी के चश्मे में है।