नेता जी की झंडा फहराने की 'चाह' और भावी प्रधान का बढ़ता कुर्सी का इंतजार, पढ़ें पूरा किस्सा
लखनपुर में बरसों से एक रिवायत चली आ रही है कि हर साल यहां म्यूनिसिपल कमेटी का अध्यक्ष बदल जाता है। अर्थात बहुमत वाले दल के पार्षद बारी-बारी से अध्यक्ष बनते हैं और पहले वाला अध्यक्ष कुर्सी छोड़ देता है।
राकेश शर्मा, कठुआ। जम्मू कश्मीर का प्रवेश द्वार लखनपुर। छोटा पर अहम कस्बा होने के कारण यहां की सियासत भी खास ही है। पंजाब से जम्मू कश्मीर प्रवेश करते-करते मुद्दे भी बदल जाते हैं और सियासत के रंग भी। लखनपुर में बरसों से एक रिवायत चली आ रही है कि हर साल यहां नगर समिति (म्यूनिसिपल कमेटी) का अध्यक्ष बदल जाता है। अर्थात बहुमत वाले दल के चुने हुए पार्षद बारी-बारी से अध्यक्ष बनते हैं और पहले वाला अध्यक्ष कुर्सी छोड़ देता है। पर वर्तमान अध्यक्ष महोदय की 26 जनवरी पर तिरंगा फहराने की चाह में यह रिवायत अब अटक गई है और भावी प्रधान का इंतजार लंबा होता जा रहा है।
लखनुपर में भाजपा के पास इस समय सात में से चार पार्षदों का समर्थन है। तय रिवायत के अनुसार वर्तमान प्रधान रवींद्र शर्मा को 9 जनवरी को पद से हट जाना चाहिए था। हालांकि, ज्यादातर भाजपा नेता इसे पार्टी का अंदरुनी मामला कहकर टिप्पणी करने से इन्कार कर देते हैं पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे पार्षद एडवोकेट राकेश शर्मा इस पर खासे चिंतित नहीं दिखते हैं। वह मानते हैं कि पार्टी स्वयं तय कर लेगी। वह किसी हड़बड़ी में नहीं हैं। इस स्वयं भले ही इस विषय पर टिप्पणी करने से बचते दिखें लेकिन समर्थकों की चिंता अवश्य हो रही है। कहीं झंडा फहराने के बाद अध्यक्ष महोदय की चाह फिर और न बढ़ जाए।
पार्टी ने इस तरह तय की थी रणनीति
शहरी निकाय चुनाव के बाद भाजपा को सात में से तीन सीटें मिलीं और तीन पार्षद पूर्व मंत्री और भाजपा के बागी लाल सिंह के समर्थक थे। इस बीच भाजपा ने निर्विरोध चुने गए सूरमुद्दीन को साथ जोड़ लिया और बहुमत का आंकड़ा प्राप्त कर लिया। किसी भी तरह की बगावत थामने के लिए तभी तय हुआ कि सभी पार्षद बारी-बारी से प्रधान बनेंगे। सूरमुद्दीन ने समर्थन के बदले अपने लिया दो वर्ष का कार्यकाल मांगा और उसे स्वीकार कर लिया गया। तय हुआ कि शेष तीन पार्षद एक-एक साल के लिए कुर्सी पर बैठेंगे।
सूरमूद्दीन दो साल का कार्यकाल पूरा कर हट गए या फिर पार्टी द्वारा हटा दिए गए। उसके बाद रविंद्र शर्मा प्रधान बने और उनके कार्यकाल का एक वर्ष भी नौ जनवरी को पूरा हो गया। न रविंद्र शर्मा ने पद छोड़ा है और न पार्टी ने उन्हें ऐसा करने को कहा है। अपनी बारी का इंतजार कर रहे एडवोकेट राकेश शर्मा भी इस विषय पर मौन हैं। हालांकि, राकेश शर्मा चाहते हैं कि उन्हें कुर्सी मिले, लेकिन वे अन्य की तरह कुर्सी के लिए मारामारी या दावा करते नहीं दिख रहे हैं।
पूर्व कार्यकाल में भी यही रिवायत रही
लखनपुर में इससे पूर्व 13 साल पहले हुए निकाय चुनाव में पूर्व मंत्री चौधरी लाल ङ्क्षसह के पांच समर्थक जीते थे और उस समय भी लाल ङ्क्षसह किसी एक समर्थक को पांच साल कुर्सी सौंपने पर आमराय नहीं बना सके थे। तब सभी पांच पार्षदों को एक-एक साल का प्रधान बनने का अवसर मिला था। उसी रिवायत को जारी रखते हुए अपने चार समर्थक पार्षदों को कुर्सी देने का फैसला किया है।
रविंद्र शर्मा चाहते हैं, वह 26 जनवरी तक बने रहें
एडवोकेट राकेश शर्मा पार्टी के तय समझौते के तहत वह अपना कार्यकाल छोडऩे को तैयार नहीं हैं। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी ऐसी नीति नहीं है कि एक दिन भी ज्यादा दूसरे को जाए, लेकिन वर्तमान प्रधान रवींद्र शर्मा 26 जनवरी को ध्वजारोहण का सम्मान पाने तक कुर्सी पर बैठना चाहते हैं। उसके बाद देखा लाएगा कि आगे क्या होगा।
मार्च तक लंबा हो सकता है इंतजार
पार्टी के सूत्र बताते है कि वर्तमान प्रधान सिर्फ 26 जनवरी तक ही नहीं, मार्च तक कार्यकाल बढ़ाने के इंतजार में हैं। लखनपुर में जम्मू कश्मीर में डोगरा शासन के संस्थापक महाराजा गुलाब ङ्क्षसह की प्रतिमा बन रही है और वह चाहते हैं कि अनावरण के दौरान उद्घाटन पट पर उनका नाम लिखा जाए। अनावरण मार्च माह में होने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो यह देखा जाएगा कि कार्यकाल में तीन माह एडवोकेट राकेश शर्मा के कम होंगे या उनके बाद आने वाले काका राम के। यह भाजपा संगठन और पार्षदों को मिल-बैठकर तय करना होगा।
फिलहाल, समझौते को लेकर भाजपा पार्षदों की बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। अब एडवोकेट राकेश शर्मा 26 जनवरी तक इंतजार करते हैं या उससे आगे भी, ये अगले कुछ दिनों में ही पता चलेगा।
पार्टी पदाधिकारी अभी व्यस्त
- अभी पार्टी में तय रिवायत के अनुसार नए पार्षद को कुर्सी सौंपने के मसले पर कोई चर्चा नहीं हुई है। दरअसल पार्टी नेता पंजाब में विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं और इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। जब चर्चा होगी, आपको बताया जाएगा। -गोपाल महाजन, भाजपा जिला प्रधान