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कश्मीर में 700 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक जामिया मस्जिद आम नमाजियों के लिए हुई बंद, पढ़ें क्या है पूरा मामला

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए वादी में सभी इस्लामिक धर्मगुरु सक्रिय हो गए हैं। लगभग 700 साल पुरानी एतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है। अंजुमन-ए-शरियां ए शिया ने पाक रमजान के दौरान सभी मजलिसों को रद्द कर दिया है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 06:05 PM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 07:45 PM (IST)
लगभग 700 साल पुरानी एतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है।

श्रीनगर, नवीन नवाज। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए वादी में सभी इस्लामिक धर्मगुरु सक्रिय हो गए हैं। लगभग 700 साल पुरानी एतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है। अंजुमन-ए-शरियां ए शिया ने पाक रमजान के दौरान और शब-ए-कदर व यौम ए कुदूस की सभी मजलिसों को रद्द कर दिया है। कश्मीर घाटी के सबसे बड़े दारुल उल रहीमिया के संस्थापक मौलाना रहमतुल्ला मीर काजमी ने सभी पाक कुरान और हदीस का हवाला देत हुए कहा कि मौजूदा हालात में नमाज घर में अपने स्वजनों के साथ अदा करना ही बेहतर हैं। मस्जिदों में मास्क और शारीरिक दूरी के सिद्धांत का पालन उतना ही जरुरी जितना जिंदा रहने के लिए सांस। कई जगह मौलवी और उलेमा लाउड स्पीकर पर लोगों से काेविड-19 एसओपी का पालन करने और भीड़ जमा न करने की अपील कर रहे हैं।

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जम्मू कश्मीर में काेरोना संक्रमितों की संख्या 1.70 लाख का आकंड़ा पार कर चुकी है। मरने वालों की तादाद भी 2200 से ऊपर जा चुकी है। घाटी में बीते कुछ दिनों से 1500-2000 के बीच कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं। जम्मू कश्मीर मुस्लिम बहुल प्रदेश है। घाटी में 98 फीसद आबादी मुस्लिम हैं। इन दिनों पाक रमजान है और इस्लाम में यह महीना मजहबी आधार पर बहुत ही अहम माना जाता है। इन दिनों लोग पांच वक्त की नमाज मस्जिदों में ही अदा करने को प्राथमिकता देते हुए रात को तरावी भी मस्जिद में ही अदा करते हैं। ऐसे हालात में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ने की तीव्र आशंका बनी हुई है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी कई बार मजहबी नेताओं से लोगों में कोविड-19 एसओपी के अनुपालन के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए आग्रह कर चुके हैं। सभी जिलाधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी नियमित तौर पर मजहबी नेताओं से लगातार संवाद बनाए हुए हैं। स्थानीय सीविल सोसाइटी भी इसके लिए अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रही है।

सभी छोटी-बड़ी मस्जिदों के इमाम, खतीब और उलेमा मस्जिदों में ही नहीं, मस्जिदों के बाहर भी कई जगह लाउड स्पीकर लेकर लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे कोविड-19 एसओपी का पालन करें। किसी जगह भीड़ का हिस्सा न बनें। मास्क पहनें, यथासंभव सामूहिक नमाज के बजाय घर में ही नमाज अदा करें। मस्जिदों में अगर आना है तो मास्क पहनकर ही आना है औ शारीरिक दूरी के सिद्धांत का पालन करना है। इसके अलावा मस्जिदों में सैनिटाइजर की व्यवस्था भी की गई है। सामूहिक इफतार भी बंद कर दिया गया है।

कश्मीर की सबसे बड़ी और करीब 700 साल पुरानी एतिहासिक जामिया मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन ए ऑकाफ जामिया मस्जिद ने आज मस्जिद में सभी प्रकार की सामूहिक नमाज को स्थगित करने का एलान किया है। अंजुमन ए आकाफ के मुताबिक, सिर्फ मुअज्जिन व इमाम के अलावा दो चार अन्य लोग ही मस्जिद में मौजूद रहेंगे जो मजहबी रस्मों को पूरा करेंगे। ध्यान रहे, कश्मीर के वरिष्ठ अलगाववादी नेता मीरवाईज माैलवी उमर फारुक ही इस मस्जिद के प्रमुख हैं और सामान्य परिस्थितियों में वही जामिया मस्जिद के मिंबर से लोगों को संबोधित करते हैं। जामिया मस्जिद को किसी महामारी के कारण आम नमाजियों के लिए बंद किए जाने का यह दूसरा मौका है। इससे पूर्व बीते साल भी कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मस्जिद में शब-ए-कदर व ईद की नमाज नहीं हुई थी। सामूहिक नमाज भी बंद रखी गई थी।

कश्मीर में शिया समुदाय के वरिष्ठ धर्मगुरु और अंजुमन ए शरियां ए शिया के अध्यक्ष मौलाना आगा सैय्यद हसन अल मौेसवी अल सफवी ने कहा कि हमने सभी सामूहिक धार्मिक मजलिसों, नमाज ए जुम्मा, सामूहिक नमाज और मर्सी ख्वानी को स्थगित कर दिया है। इस साथ ही मस्जिदों में श्रद्धालुओं के 40 दिन के निवास चिल्ला का भी बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सभी से अपील है कि वह घरेां में रहकर ही मजहबी फराईज को पूरा करें। कोविड-19 से पैदा हालात में दूसरों की मदद करें।

इस्लामिक विद्वान और कश्मीर के सबसे बड़े दारुल उल उलूम रहीमिया, बांडीपोरा के संस्थापक मौलाना रहमतुल्ला मीर कासमी ने कहा कि सभी मस्जिद कमेटियों को कोविड-19 एसओपी का पालन करना चाहिए। नमाजियों के लिए मास्क और शारीरिक दूरी का सिद्धांत अनिवार्य है। सैनिटाइजर होना चाहिए। यह मस्जिद कमेटियाें की जिम्मेदारी है। उन्होंने पाक कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि महामारी के समय पूरा एहतियात बरतना और चिकित्सा विशेषज्ञों की राय पर अमल करना जरुरी है। अगर किसी मस्जिद में जगह की तंगी है तो नमाजियों को घरों में ही नमाज अदा करनी चाहिए। तरावी की नमाज घरों में ही अदा करें। भीड़ नहीं हाेनी चाहिए। कोविड-19 एसओपी का पालन किया जाए। 


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