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जेयू में फर्जी स्लिप से 70 लाख का फीस घोटाला

विश्वविद्यालय का परीक्षा विभाग आरोपितों से रकम वसूलने की तैयारी में एक सप्ताह में वीसी को रिपोर्ट सौंपेगी जांच कमेटी

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 08:39 AM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 08:39 AM (IST)
जेयू में फर्जी स्लिप से 70 लाख का फीस घोटाला
जेयू में फर्जी स्लिप से 70 लाख का फीस घोटाला

राज्य ब्यूरो, जम्मू: जम्मू विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में फर्जी स्लिपों के जरिए फीस जमा करवाने के घोटाले में चार से पांच कर्मचारियों के संलिप्त होने का पता चला है। जांच प्रक्रिया अभी चल रही है इसलिए आने वाले दिनों में और कर्मचारियों को लेकर भी पर्दाफाश हो सकता है। जांच कमेटी मामले की रिपोर्ट एक सप्ताह में वीसी को सौंपेगी। जांच चल रही है इसलिए कमेटी या प्रबंधन इस मामले पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

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सूत्र बताते हैं कि विवि प्रबंधन और जांच कमेटी आरोपितों से रकम वसूलने की तैयारी में है। जिन कर्मचारियों के इस गोरखधंधे में शामिल होने का पता चला है, उनसे रकम वापस करने के लिए कहा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि परीक्षा विभाग के सभी सेक्शनों की विस्तार से जांच की जा रही है। कमेटी काफी संख्या में कर्मचारियों और कुछ अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। घोटाले की रकम 70 लाख से अधिक बताई जाती है। मामले का पता चलने के बाद पिछले दिनों वीसी ने प्रो. पंकज श्रीवास्तव की देखरेख में कमेटी का गठन किया था, जिसमें प्रो. केएस चाढ़क, प्रो. मुबारक सिंह, विवेक सलाथिया, कुलदीप शर्मा को शामिल किया गया। कमेटी नियमित तौर पर जांच कर रही है। कुछ कर्मचारियों ने स्वीकारा घोटाला

सूत्र बताते हैं कि कुछ कर्मचारियों ने मौखिक रूप से यह बात मान ली है कि वे इस गोरखधंधे में शामिल थे। कर्मचारियों के साथ पूछताछ में कुछ और लोगों के नाम आ रहे हैं। विवि प्रबंधन इस मामले को ज्यादा तूल न देकर धांधलियां कर इकट्ठी की गई रकम को वसूल कर मामले को विराम देना चाहता है। अब सारी नजरें फिलहाल जांच कमेटी पर टिकी हुई है। गौर करने वाली बात यह है कि यह घोटाला कितने समय से चल रहा था, क्या वरिष्ठ अधिकारियों को भनक नहीं लगी, क्या जम्मू कश्मीर बैंक की कैंपस शाखा के कर्मचारियों को भी इस का पता नहीं चला, क्या विश्वविद्यालय के ऑडिट में यह अनियमितताएं सामने क्यों नहीं आई। क्या विवि प्रबंधन नियमित तौर पर जमा फीस, फार्मों और बैंक खाते या कैश का पूरा हिसाब चेक नहीं करता था।


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