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पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जम्मू पहुंचीं 36 बसें

गोवा से 32 सीटर 36 बसें जम्मू पहुंच गई हैं। जल्द इन बसों की जांच होने के उपरांत इन्हें जम्मू-कश्मीर स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एसआरटीसी) के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 10:21 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 10:21 AM (IST)
पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जम्मू पहुंचीं 36 बसें
पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जम्मू पहुंचीं 36 बसें

जम्मू, विकास अबरोल । पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। गोवा से 32 सीटर 36 बसें जम्मू पहुंच गई हैं। जल्द इन बसों की जांच होने के उपरांत इन्हें जम्मू-कश्मीर स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एसआरटीसी) के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा। इन बसों को विभिन्न रूटों पर शुरू करने से यात्रियों को राहत मिलेगी।

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टाटा मोटर कंपनी के गुरुग्राम और दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम अगले सप्ताह जम्मू आएंगी। 32 सीटर नान एसी बसों की पूरी तरह से जांच करने के उपरांत इन्हें स्टेट मोटर गैराज को सौंप दिया जाएगा। इससे पहले 15 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पर्वतीय क्षेत्रों में नई बस सेवा का श्रीगणोश होना था, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद बने हालात और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में बाढ़ के कारण तय समय पर बसों की डिलीवरी संभव नहीं हो पाई। 15 अगस्त को 15 बसों की पहली खेप ट्रेलर में लादकर जम्मू पहुंचा दी गई थी।

सप्ताह का समय लग जाएगा

स्टेट मोटर गैराज के निदेशक जाकिर हुसैन चौधरी ने बताया कि छह सितंबर को विजयपुर स्थित टाटा कंपनी के यार्ड में हरे रंग वाली 32 सीटर 36 बसें पहुंच गई हैं। सर्वप्रथम टाटा कंपनी द्वारा पहले इन बसों की सूक्ष्मता से जांच की जाएगी। इसके उपरांत ही गैराज को बसों की डिलीवरी की जाएगी। इस प्रक्रिया में अभी एक सप्ताह का समय लग जाएगा। राज्यपाल प्रशासन द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर जम्मू-कश्मीर स्टेट मोटर ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन को बसें दी जाएगी। एसआरटीसी के जनरल मैनेजर (आपरेशन) स. परमजीत सिंह ने बताया कि कॉरपोरेशन में नई बसों को शामिल किया जा रहा है। पहले चरण में जम्मू और कश्मीर में 40 इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया। जल्द ही 32 सीटर नान एसी बसें भी बेड़े में शामिल हो जाएंगी। टाइम टेबल बनाने के उपरांत इनका किराया निर्धारित हो सकेगा। इससे राज्य के पर्वतीय क्षेत्र डोडा, रामबन, किश्तवाड़ और गुरेज में ओवरलोडिंग के कारण होने वाले हादसों पर लगाम लगाई जा सकेगी।


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