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थैलीसीमिया मरीजों के लिए जिंदगी बन गया इंजीनियर

रोहित जंडियाल, जम्मू राज्य के किसी भी अस्पताल में मरीज के लिए एक यूनिट ब्लड का प्रबंध करना अपने आप

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 01:48 AM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 01:48 AM (IST)
थैलीसीमिया मरीजों के लिए जिंदगी बन गया इंजीनियर
थैलीसीमिया मरीजों के लिए जिंदगी बन गया इंजीनियर

रोहित जंडियाल, जम्मू

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राज्य के किसी भी अस्पताल में मरीज के लिए एक यूनिट ब्लड का प्रबंध करना अपने आप में बड़ी चुनौती है। अगर किसी को हर दिन 15 से 20 यूनिट रक्त का प्रबंध करना पड़े तो शायद ही ऐसा करने के बारे में कोई सोचे। मगर एक शख्स ऐसा भी है जो कि हर दिन विभिन्न अस्पतालों के प्रबंधन के सहयोग ये खून न बनने की बीमारी थैलीसीमिया के मरीजों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। वह हर दिन ऐसे बच्चों को जीने की नई उम्मीद देता है। यह शख्स इंजीनियर सुधीर सेठी हैं। वह पिछले 23 साल से जम्मू में थैलीसीमिया के मरीजों के लिए काम कर रहे हैं।

जम्मू के रहने वाले सुधीर की भांजी इस बीमारी से पीड़ित थी। जब उन्होंने इस बीमारी से पीड़ित होने वालों का दर्द महसूस किया तो उन्हें लगा कि कुछ करना चाहिए। इसी दौरान उनकी मुलाकात एसएमजीएस अस्पताल में जीएम पाठक से हुई। उनके दो पोते भी थैलीसीमिया से पीड़ित थे। दोनों ने मिलकर थैलीसीमिया सोसायटी जम्मू का गठन किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। सेठी ने बताया कि 18 अप्रैल 1996 को उन्होंने सोसायटी का गठन किया। इन मरीजों की सहायता करना उतना आसान नहीं था जितना लग रहा था। लोगों में रक्तदान को लेकर जागरूकता नहीं थी। मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती थीं। कई मरीज दूरदराज के क्षेत्रों के रहने वाले थे। वे जम्मू में इलाज करवाने आना ही नहीं चाहते थे। उनके पास इतने रुपये नहीं थे कि वे बच्चों का इलाज कराने यहां आ पाते। वह बताते हैं कि पहले तो उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया। मेडिकल कालेज और एसएमजीएस अस्पताल के ब्लड ट्रासफ्यूजन विभाग तथा पेडियाट्रिक्स विभाग के सहयोग से रक्तदान कैंप लगाने शुरू किए। धीरे-धीरे लोग जागरूक हुए। अब सरकार ऐसे मरीजों को आयरन सहित अन्य दवाइयां निशुल्क देती है। यही नहीं, सोसायटी ने परिवहन विभाग के साथ मिलकर सरकारी बसों में एक मरीज के साथ एक तीमारदार के लिए निशुल्क आने जाने का भी प्रबंध किया हुआ है। अस्पतालों में अब इन मरीजों को ब्लड भी मिल जाता है। जम्मू में 350 मरीज, अधिकांश बच्चे

जम्मू में इस बीमारी से 350 मरीज अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। इनमें 250 के करीब बच्चे हैं। अन्य 18 साल से अधिक उम्र के हैं। बच्चों को महीने में दो बार और बड़ों को चार बार ब्लड चढ़ाया जाता है। हर दिन औसतन 15 से 20 थैलीसीमिया के मरीजों को ब्लड चढ़ाया जाता है। कई बने डाक्टर, इंजीनियर

इस बीमारी से पीड़ित कई युवा अपनी जिदगी में सफलता की उड़ान भर रहे हैं। थैलीसीमिया सोसायटी के प्रधान सुधीर सेठी के अनुसार कुछ युवा इस समय इंजीनियर हैं। एक लड़की बीडीएस कर रही है। यह हर सप्ताह अस्पताल में ब्लड़ चढ़वाने के लिए आते हैं और सामान्य जिदगी जी रहे हैं। कई शिक्षा विभाग में हैं। इलाज के लिए बना थैलीसीमिया यूनिट

श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए थैलीसीमिया यूनिट बनाई गई है। इस यूनिट के प्रभारी डा. संजीव ढींगरा हैं। उनका कहना है कि मरीजों को निशुल्क दवाइयां दी जाती हैं। अस्पताल में ब्लड चढ़ाया जाता है। प्रयास रहता है कि किसी को कोई परेशानी न हो।

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