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1971 Indo-Pak War : राजौरी के केरी में पाकिस्तान से हाथों हाथ लड़े थे भारतीय जवान

सेना अपनी जीत के जश्न के लिए वर्ष 2021 को एतिहासिक युद्ध की गोल्डन जुबली के रूप में मना रही है। इस दौरान पूरे साल जम्मू कश्मीर में सेना कार्यक्रमों का सिलसिलेवार आयोजन किया जाएगा। विभिन्न प्रकार की गतिविधियां होंगी और जवानों का बलिदान याद किया जाएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 09:05 AM (IST)
1971 Indo-Pak War : राजौरी के केरी में पाकिस्तान से हाथों हाथ लड़े थे भारतीय जवान
सेना अपनी जीत के जश्न के लिए वर्ष-2021 को एतिहासिक युद्ध की गोल्डन जुबली के रूप में मना रही है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: वर्ष 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को जो सबक सिखाया, उसे वह आज तक नहीं भूल सका है। तब सेना की 8 जैकलाई में लांस हवलदार के रूप में तैनात रहे निक्कू राम ने अपनी यूनिट के साथी जवानों के साथ पाकिस्तान के तीन हमले झेले थे। इन तीनों हमलों को जवानों ने नाकाम कर दिया था। जंग इतनी भयंकर थी कि जवानों में हाथों हाथ लड़ाई भी लड़ी थी। भारतीय सेना आज इसी युद्ध की जीत का जश्न मना रही है।

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वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में जीत के इस साल दिसंबर में 50 साल पूरे हो जाएंगे। इसके उपलक्ष्य में भारतीय सेना अपने शहीदों को याद कर रही है। सेना इस जीत को गोल्डन जुबली वर्ष के रूप में बना रही है। इस दौरान साल भर सेना की बटालियन स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसी क्रम में सांबा जिले की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की टाइगर डिवीजन ने बुधवार को शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इन शहीदों ने युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

सांबा के बड़ी ब्राह्मणा में आयोजित कार्यक्रम में युद्ध के दिनों का याद करते हुए पूर्व लांस हवलदार निक्कू राम ने बताया कि उस समय जवानों का उत्साह सातवें आसमान पर था। राजौरी जिले के केरी इलाके में दिसंबर की ठंड में उनकी यूनिट ने पाकिस्तान के तीन हमलों को नाकाम किया था। इस दौरान दुश्मन से हाथों हाथ लड़कर उसे खदेड़ा गया। निक्कू राम उन पूर्व सैनिकों में से एक हैं, जिन्हें बुधवार को सेना ने सम्मानित किया है। कार्यक्रम में मंच पर बैठे 1971 के वीरों ने उन हालात का हवाला दिया जब भारतीय सेना के जवान पाकिस्तान को मिट्टी में मिलाने के लिए उनकर टूट पड़े थे।

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराया तो था ही, साथ ही 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी समेत 93,000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करवाकर इतिहास रचा था। इस युद्ध से पाकिस्तान दो हिस्सों में विभाजित हो गया था और नए देश के रूप में बांग्लादेश का जन्म हुआ। सेना अपनी जीत के जश्न के लिए वर्ष 2021 को एतिहासिक युद्ध की गोल्डन जुबली के रूप में मना रही है। इस दौरान पूरे साल जम्मू कश्मीर में सेना कार्यक्रमों का सिलसिलेवार आयोजन किया जाएगा। विभिन्न प्रकार की गतिविधियां होंगी और जवानों का बलिदान याद किया जाएगा। इसके अलावा पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया जाएगा।

सांबा में निकाली गई रैली: सनराइज ब्रिगेड ने मंगलवार को सांबा जिले के विजयपुर और रामगढ़ सेक्टरों में साइकिल रैली भी निकाली थी। रैली के दौरान जवानों ने युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। साइकिल रैली का समापन रामगढ़ के कौलपुर में हुआ। इसमें वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लेने वाले पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। 


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