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Jammu Kashmir: कश्मीर घाटी के 1800 सरकारी स्कूल स्वच्छ पेयजल से कोसों दूर

काजीपोरा बांडीपोर स्थित गवर्नमेंट मिडिल स्कूल के छात्र एयमन ने कहा हमारे स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। बहुत से छात्र निकटवर्ती दरिया और एक टंकी का पानी पीते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 06:13 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 06:13 PM (IST)
Jammu Kashmir: कश्मीर घाटी के 1800 सरकारी स्कूल स्वच्छ पेयजल से कोसों दूर
Jammu Kashmir: कश्मीर घाटी के 1800 सरकारी स्कूल स्वच्छ पेयजल से कोसों दूर

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर घाटी में 1800 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। इन स्कूलों के छात्र अपने लिए घर से पानी लेकर आते हैं या फिर स्कूल परिसर के आस-पास स्थित किसी खुले जलस्रौत पर निर्भर रहते हैं। उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में सर्वाधित 580 स्कूल स्वच्छ पेयजल सुविधा से वंचित हैं। इन स्कूलों में यह सुविधा प्रदान करने के लिए प्रशासन ने 25 मार्च 2020 की समय सीमा भी तय कर दी है।

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स्कूल शिक्षा निदेशालय कश्मीर के मुताबिक, बडगाम में 150 सरकारी स्कूल स्वच्छ पेयजल सुविधा से वंचित हैं जबकि दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग में 200, पुलवामा में 120, कुलगाम में 70 और जिला शोपियां में 80 स्कूल स्वच्छ पेयजल सुविधा के बिना हैं। उत्तरी कश्मीर के बारामुला में 270, बांडीपोर में 540 और कुपवाड़ा के 580 स्कूलों में स्वच्छ पेयजल नहीं है। बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार आरटीई अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत प्रत्येक स्कूल में स्वच्छ व सुरक्षित पेयजल की सुविधा अनिवार्य है। अलबत्ता, स्कूल में सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल न होने के कारण इन छात्रों को असुरक्षित जलस्रौतों का पानी पीना पड़ता है। इससे इन छात्रों के कई बार गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने की आशंका रहती है।

दरिया या फिर टंकी का पानी पीते हैं बच्चे

काजीपोरा बांडीपोर स्थित गवर्नमेंट मिडिल स्कूल के छात्र एयमन ने कहा हमारे स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। बहुत से छात्र निकटवर्ती दरिया और एक टंकी का पानी पीते हैं। एक बार तो यहां बहुत से बच्चों में डायरिया हो गया था। उसके बाद से मैं अपने घर से ही पानी लेकर आता हूं। बहुत से अन्य छात्र भी ऐसा ही करते हैं।

पांच साल से लटकी हैं 23 परियोजनाएं

स्कूल शिक्षा विभाग ने स्वच्छ पेयजल की सुविधा से वंचित स्कूलों को लंबित पड़ी परियोजनाओं के वर्ग में सूचीबद्ध कर रखा है। इनमें 23 परियोजनाएं पिछले पांच साल से भी ज्यादा समय से लटकी हुई हैं। स्कूल शिक्षा निदेशालय के दस्तावेजों के मुताबिक, इन सभी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 1359 लाख रुपये दरकार हैं। इन सभी को 25 मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रोजेक्ट इंप्लिमेंटेशन एजेंसी पीआईए का गठन किया है।

लंबित परियोजनाओं को 25 मार्च तक पूरा करें

उपनिदेशक योजना स्कूल शिक्षा विभाग मदन गोपाल शर्मा के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 116 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 16 को पूरा किया जा चुका है जबकि शेष पर काम जारी है। हमने वादी के सभी सरकारी स्कूलों में स्वच्छ पेयजल सुविधा बहाल करने की डीपीआर काे मंजूरी दे दी है। हमने जलशक्ति विभाग जिसे पीएचई भी कहते हैं, को यह जिम्मा सौंपा है। जलशक्ति विभाग से कहा गया है कि वह लंबित पड़ी इन परियोजनाओं को 25 मार्च तक पूरा करें। 


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