उधर दिन-रात बन रहे बंकर, इधर अधर में काम; 17 हजार बंकरों का निर्माण होना था, 7 हजार ही बन पाए
सीमा 17 हजार बंकरों का निर्माण होना था दो साल में अब तक सात हजार ही बन पाए हैं। उधर चीन की शह पर पाकिस्तान तेज चाल चल रहा है और सरहदी गांवों में दिन-रात बंकर बना रहा है।
जम्मू, विवेक सिंह: पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी से सीमावर्ती गांवों के लोगों की सुरक्षा के लिए गांवों में 17 हजार बंकरों का निर्माण होना था, दो साल में अब तक सात हजार ही बन पाए हैं। उधर चीन की शह पर पाकिस्तान तेज चाल चल रहा है और सरहदी गांवों में दिन-रात बंकर बना रहा है।
सरहदी गांवों में रहने वाले लोगों को हमारी दूसरी सेना कहा जाता है। दुश्मन के नापाक इरादों को भांपकर भी पलायन करने के बजाए ये लोग गांवों में मुस्तैद हैं। सरकार आपात स्थिति में उनके लिए गांव-गांव में बंकर तो बना रही है, लेकिन पाकिस्तान की तेज रफ्तार के आगे बंकर निर्माण की धीमी गति चिंता में डाल रही है।
अंतरराष्ट्रीय सीमा (कठुआ से अखनूर) से नियंत्रण रेखा (सुंदरबनी से पुंछ) में आए दिन पाकिस्तान की गोलाबारी से सीमांत क्षेत्र में हो रहे नुकसान से लोग चिंतित थे। केंद्र सरकार ने इससे निबटने के लिए वर्ष 2018 में 413 करोड़ की लागत से 14,460 बंकर बनाने की घोषणा कर सीमांतवासियों को सुरक्षा की नई उम्मीद दी थी। इनमें 13,029 निजी और 1431 सामुदायिक बंकर थे। सवाल तब उठे जब चार लाख की आबादी के लिए ये बंकर बहुत कम थे। करीब ढाई हजार और नए बंकरों को भी मंजूरी दी गई थी। निर्माण सामग्री उपलब्ध होने में देरी के कारण काफी संख्या में बंकरों का काम लटक गया।
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने से उपजे हालात में बंकर निर्माण को तेजी देने की कोशिशों से खासा फायदा नहीं हुआ है। अब तक बनकर तैयार हुए 6919 में सिर्फ ढाई हजार बंकर ही जुलाई 2019 से अब तक बन पाए हैं। जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, जम्मू व राजौरी पुंछ के सीमांत क्षेत्रों में 9905 बंकर बनाने का कार्य चल रहा है। इनकी गति को देख कहा जा सकता है कि इस स्थिति में सामुदायिक और निजी बंकर बनाने में और चार साल लग जाएंगे।
पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए कोशिशों में तेजी ला रहा है। ऊपर से अब उसे चीन से खुलकर मदद मिलने लगी है। गोलाबारी में तेजी आने की स्थिति में केवल जम्मू संभाग में ही करीब चार लाख से अधिक सीमांतवासियों की जान दांव पर लग जाएगी। सूत्रों के अनुसार मौजूदा हाल में अब तक दो हजार से अधिक बार पाक संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुका है। पिछले तीन साल के दौरान 100 से अधिक सीमांत क्षेत्र के लोग गोलाबारी में जान गंवा चुके हैं। सबसे अधिक नुकसान राजौरी-पुंछ झेल चुका है।
जम्मू जिले के सीमावर्ती अखनूर के खौड़ में जीरो लाइन पर स्थित सामुआ गांव की सरपंच अनुराधा शर्मा का कहना है कि जरूरत के हिसाब से बंकर नहीं बने। उन्होंने गांव में 40 बंकर बनाने संबंधी सूची प्रशासन को सौंपी थी, इनमें से एक भी बंकर नही बना। जीरो लाइन पर स्थित छन्नी दवानों गांव के पंच राकेश सिंह का कहना है कि गांव में बने आधे अधूरे बंकर किसी काम के नहीं हैं। माउंटी न होने के कारण वे पानी से भर गए हैं।
हम डरते नहीं हैं...: राजौरी के नौशहरा के रामपाल के अनुसार अगर सरकार उनकी सुरक्षा के लिए बंकर बना देती है तो ठीक, अलबत्ता हम अपनी सेना के साथ मुस्तैद हैं और रहेंगे। अपने गांव को छोड़कर नहीं जाएंगे। हम पाकिस्तान की गोलाबारी से डरते नहीं हैं। पिछले एक साल से लगातार गोलबारी हो रही है। हम यहां से हिले नहीं हैं।
क्या कहना है प्रशासन का: बंकर निर्माण को तेजी देने के प्रयास किए जा रहे हैं। जम्मू संभाग में 6919 बंकर बनकर तैयार हो चुके हैं। इनमें 6123 निजी व 796 सामुदायिक बंकर हैं। 1430 बंकर सांबा में, 1058 जम्मू में, 1324 कठुआ में, 2316 राजौरी में व 791 बंकर पुंछ में बनकर तैयार हुए हैं। निर्माण को तेजी देने व बंकरों की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए डिप्टी कमिश्नरों को साप्ताहिक व मासिक लक्ष्य दिए जा रहे हैं। -संजीव वर्मा, डिवीजनल कमिश्नर जम्मू संभाग
विलंब के ये रहे कारण
- निर्माण सामग्री उपलब्ध होने में देरी
- कोरोना संक्रमण के कारण कामकाज में आई बाधा
- पाकिस्तान से होने वाली गोलाबारी से बंकर निर्माण में बाधा
- सीमांत क्षेत्रों के लोगों द्वारा घर में बंकर बनाने के लिए जमीन देने में देरी
- बंकर निर्माण की गुणवत्ता पर उठने वाले सवाल, भूमि अधिग्रहण में देरी