कश्मीर में सिर्फ चार दिन में मारे गए 13 आतंकवादी, कर्इ थे मोस्ट वांटेड
दक्षिण कश्मीर में अब करीब 180 के आसपास ही आतंकी रह गए हैं जिनमें से 50 से अधिक आतंकवादी पाकिस्तान के हैं।
जम्मू, जेएनएन। कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को सुरक्षाबलों द्वारा चुन-चुनकर मारा जा रहा है। पिछले चार दिनों के दौरान सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से 13 कुख्यात आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया है। इससे आतंकवादियों के हौसले पस्त हो गए हैं। आने वाले दिनों में भी आतंकवादियों के खिलाफ इस तरह के बड़े अभियान जारी रखने की घोषणा करते हुए सेक्टर वन आरआर के ब्रिगेडियर सचिन मलिक का कहना है कि दक्षिण कश्मीर में अब करीब 180 के आसपास ही आतंकी रह गए हैं, जिनमें से 50 से अधिक आतंकवादी पाकिस्तान के हैं।
लेफ्टिनेंट उमर फैयाज का हत्यारा मोहम्मद अब्बास
शोपियां में रविवार 25 नवंबर को मारा गया आतंकी मोहम्मद अब्बास बट जिहादियों की जमात में शामिल होने से पहले हत्या के आरोप में जेल भी जा चुका था। अप्रैल 2016 में जेल से छूटने के बाद वह आतंकी बन गया गया। वह हिज्ब का जिला कमांडर शोपियां था। उसकी क्रूरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत नवंबर के दूसरे सप्ताह में 19 वर्षीय हुजेफ अशरफ की शोपियां में गला रेतकर की गई हत्या में वह भी शामिल था। वह लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या में भी वांछित था। उसने ही अपने साथियों संग मिलकर एडवोकेट इम्तियाज खान के अलावा इसी साल अगस्त माह के दौरान शोपियां में चार पुलिसकर्मियों के अलावा कई अन्य नागरिकों को मौत के घाट उतारा था। वह पुलिस को लगभग दो दर्जन से ज्यादा आतंकी वारदातों में वांछित था।
मोस्ट वांटेड जीनत उल इस्लाम का करीबी था मुश्ताक
इसी मुठभेड़ में मारा गया डबल ए श्रेणी में शामिल 12 लाख का ईनामी आतंकी मुश्ताक अहमद मीर उर्फ हामिद घाटी में वर्ष 2014 से सक्रिय मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल जीनत उल इस्लाम का करीबी था। आम नागरिकों की हत्या और सुरक्षा शीविरों पर हमले की विभिन्न वारदातों में पुलिस को वांछित मुश्ताक लश्कर का जिला शोपियां कमांडर था। उसने ही नौ जुलाई 2015 को अपने साथियों संग हमला कर शोपियां कोर्ट कांपलैक्स में तैनात सुरक्षाकर्मियों के हथियार लूटे थे। रामनगरी इलाके में उसने सात अक्तूबर 2016 को एक पुलिस चौकी पर हमला कर हथियार लूटे थे। इस वारदात में एक पुलिसकर्मी शहीद व एक अन्य जख्मी हो गया था। उसने ही 11 अक्टूबर 2018 को अपने एक साथी संग मिलकर शोपियां के बोन बाजार में ग्रेनेड हमला किया था। इस हमले में आठ नागरिक जख्मी हुए थे।
चार पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल था गनई
वर्ष 2015 में आतंकी बना हिज्ब का कुलगाम जिला कमांडर उमर माजिद गनई उर्फ गजाला उर्फ हंजुला करीब तीन माह पहले श्रीनगर के बटमालू इलाके में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में बच निकला था। गत सप्ताह उसने सोशल मीडिया पर श्रीनगर के लालचौक स्थित घंटाघर के पास ली गई अपनी सेल्फी को भी अपलोड किया था। वह वर्ष 2017 में पोंबई कुलगाम में चार पुलिसकर्मियों और दो बैंक सुरक्षाकर्मियों की हत्या में भी लिप्त था। वह श्रीनगर, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां में पुलिस को डेढ़ दर्जन से ज्यादा आतंकी वारदातों में पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। शोपियां के हिपुरा बाटागुंड इलाके में सुरक्षाबलों के साथ रविवार 25 नवंबर को हुई मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया। डबल ए श्रेणी में शामिल गनई पर 12 लाख का ईनाम था।
वर्ष 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था वसीम
शोपियां के हिपुरा बाटागुंड इलाके में ही सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया चौथा आतंकवादी जैश ए मोहम्मद का कमांडेंट मोहम्मद वसीम वागे उर्फ सैफुल्ला के खिलाफ भी लगभग एक दर्जन एफआईआर शोपियां और उसके आस-पास के इलाकों के विभिन्न पुलिस थानों व चौकियों में दर्ज हैं। वर्ष 2016 में वह आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ। इसी साल शापियां में हुई चार पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात में भी वह शामिल था। मई में कुंडलन गांव में सुरक्षाबलों पर हुए हमले में भी वह शामिल था।
आठ महीने पहले ही हिज्ब में शामिल हुआ था खालिद
खालिद फारुक उर्फ राफी उर्फ तल्हा भी अप्रैल 2018 में आतंकी बनने के बाद से ही सुरक्षाबलों पर हमले और चुनावों में भाग लेने वाले लोगों को धमकाने व उनके साथ मारपीट की विभिन्न वारदातों में पुलिस को वांछित था।
अंसार-उल-गजवा-ए-हिंद का डिप्टी चीफ कमांडेंट था शाकिर
जिला पुलवामा में मंगलवार को मारे गए दो आतंकवादियों में एक आईएसआईएस से संबंधित आतंकी संगठन अंसार-उल-गजवा-ए-हिंद का चीफ कमांडर जाकिर मूसा का साथी व संगठन का डिप्टी चीफ कमांडर शाकिर हसन डार शामिल था। उस पर भी पांच लाख का इनाम रखा गया था। डार 2015 से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था।
लश्कर-ए-तैयबा से थे मकरू और वसीम
कुलगाम में मंगलवार को ही सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए दो आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा के एजाज अहमद मकरू और वारिस अहमद मलिक शामिल थे। ये दोनों आतंकवादी सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले, नागरिकों पर अत्याचार सहित आतंकवादी गतिविधियों में वांछित थे। मकरू लश्कर-ए-तैयबा के सरगना नवीद जट्ट और अजाज अहमद दादा का करीबी था।