कॅरियर में ऊंचाइयों को छूने की चाह में आज स्त्री हो या पुरुष शादी को कुछ समय के लिए टालना ही उचित मानते हैं। ऐसे में शादी को लेकर होने वाली देरी कही ना कही उन्हें संतान सुख से वंचित कर सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक उम्र एक ऐसा कारक है जो महिला या पुरुष दोनों में इंफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह बन रहा है। हालांकि ऑफिस का तनाव, नशा-धुम्रपान और खराब जीवनशैली भी इनफर्टिलिटी के मामलों को बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि पुरुष और महिला में इनफर्टिलिटी के कौन-कौन से लक्षण हैं।
महिलाओं में इनफर्टिलिटी के लक्षण
1. अनियमित मासिक धर्म
आजकल की बदलती लाइफस्टाइल की वजह से महिलाओं में मासिक धर्म या पीरियड का अनियमित होना एक आम समस्या बन गया है। हालांकि यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन लंबे समय तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह इनफर्टिलिटी का लक्षण भी बन सकता है।
2. पीड़ायुक्त मासिक धर्म
ज्यादातर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ऐंठन का अनुभव होता है। यह उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करता है तथा यह एंडोमेट्रियोसिस का लक्षण भी है। आपको बता दें कि एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने का एक प्रमुख कारण भी बन रहा है।
3. मासिक धर्म का न आना
तनाव और हैवी वर्कआउट की वजह से कई बार महिलाओं में मासिक धर्म नहीं आता है। हालांकि यह एक सामान्य सी बात है, लेकिन यदि यह समस्या लंबी अवधि तक है, तो यह इनफर्टिलिटी का लक्षण भी हो सकता है।
4. हार्मोन असंतुलन
यदि महिला में त्वचा संबंधित समस्या, संबंध बनाने की इच्छा में कमी, बालो का पतला होना और वजन बढ़ने जैसे हार्मोनल असंतुलन के संकेत दिखाई दे रहे हैं, तो ये इनफर्टिलिटी के लक्षण हो सकते हैं ।
पुरुषों में इनफर्टिलिटी के लक्षण
1. यौन इच्छा में परिवर्तन
महिलाओं की तरह पुरुष की फर्टिलिटी भी उसके हार्मोन से जुड़ी हुई है। हार्मोन के स्तर में कमी या यौन इच्छा में परिवर्तन प्रजनन क्षमता या फर्टिलिटी की समस्याओं को इंगित कर सकती है।
2. टेस्टिकल में दर्द या सूजन
कई अलग-अलग स्थितियां हैं जो टेस्टिकल्स में दर्द या सूजन का कारण बन सकती हैं। हालांकि कई बार इस तरह की समस्या इनफर्टिलिटी में का कारण बन सकती है।
आईवीएफ तकनीक है बन रहा है सहारा
बढ़ती हुई इनफर्टिलिटी की समस्या पर आईवीएफ तकनीक ने सफलता पायी है, यह तकनीक निःसंतान दंपत्तियों के लिए संतान प्राप्ति का बेहतरीन जरिया बन रही है। इस तकनीक की वजह से आज उन दंपत्तियों के घर भी किलकारियां गूंज रही है जो संतान की आस खो चुके थे। आई वी एफ को टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है |
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) तकनीक प्राकृतिक गर्भधारण की प्रक्रिया से थोड़ी अलग है। इसमें महिला के अंडाशय से अंडों को निकाल कर लैब में पुरुष के शुक्राणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। निषेचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिला के गर्भाशय में भ्रूण को प्रत्यारोपित किया जाता है, इसके बाद सारी प्रक्रिया सामान्य गर्भधारण जैसी ही है, इस तकनीक से पैदा होने वाली संतानों और प्राकृतिक रूप से जन्मी संतानों में कोई फर्क नहीं होता। इनका मानसिक और शारीरिक विकास बिल्कुल सामान्य गर्भधारण से जन्मी संतानों की तरह ही होता है।
आईवीएफ तकनीक का आविष्कार ट्यूब ब्लॉक होने के कारण संतान सुख से वंचित महिलाओ को संतान सुख देने के लिए हुआ था, समय के साथ इसमें नयी तकनीके आती गयी और महिलाओं और पुरुषों की अन्य समस्याओ में भी संतान सुख आसान हो गया। कई दम्पतियों में आईवीएफ प्रक्रिया को लेकर संशय रहता है लेकिन यह सामान्य और सरल तकनीक है।
निःसंतानता से जुड़ा आपका कोई भी सवाल है तो इन्दिरा आईवीएफ कि वेबसाइट विजिट करें। अपनी समस्या लिखें या एक्सपर्ट डॉ. से बात करने के लिए 07230062729 पर कॉल करें।
निसंतानता और इनफर्टिलिटी लाइलाज नहीं, जानें विशेषज्ञों की राय
निसंतानता और इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दंपत्तियों के लिए एक बेहद ही खास कार्यक्रम, इस कार्यक्रम में आईवीएफ विशेषज्ञों से जानें निसंतानता और इनफर्टिलिटी के इलाज से जुड़े कुछ बेहद ही कारगार सुझाव, जिनसे आ सकता है आपके घर संतान सुख। आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेकर दंपत्तियों में गलत जानकारी भी उन्हें इस ट्रीटमेंट को अपनाने से रोकती है। ऐसे में ये वीडियो आईवीएफ से जुड़े कई मिथकों को भी तोड़ता है, जिनकी वजह से निसंतान दंपत्ति आईवीएफ को अपनाने से झिझकते हैं। आइये इस वीडियो के ज़रिये पाएं निसंतानता और इनफर्टिलिटी से निपटने के कुछ बेहद ही कारगर तरीके।
निसंतानता और इनफर्टिलिटी लाइलाज नहीं, जानें विशेषज्ञों की राय
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क्या है Polycystic Ovarian Disease? जीवनशैली और खान-पान में बदलाव है ज़रूरी
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ यानी पीसीओडी आजकल महिलाओं में तेज़ी से बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण होता है हॉर्मोन असंतुलन और ये महावारी के चक्र के असंतुलन के रुप में सामने आता है। इसके लक्षणों में मोटापा बढ़ना, चेहरे पर बाल आना, मुहांसे आना और तैलीय त्वचा होना है। पीसीओडी की वजह से कम उम्र की महिलाओं को भी निसंतानता की समस्या से जूझना पड़ता है। पीसीओडी की वजह से महिला के शरीर में बनने वाले अंडे सही समय पर नहीं फूटते और इनकी गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। पीसीओडी के इलाज के दौरान जीवनशैली और खान-पान में बदलाव करना ज़रूरी होता है, इस दौरान महिला को कृत्रिम हॉर्मोन इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे महिला की महावारी को नियमित किया जा सके। पीसीओडी में निसंतानता होने पर आईयूआई का विकल्प मौजूद है लेकिन अगर आईयूआई से भी गर्भधारण नहीं हो पाता तो ऐसे में आईवीएफ ही सबसे कारगर उपाय है।
इनफर्टिलिटी से जूझने वाले दंपत्ति ले रहे हैं आईवीएफ तकनीक का सहारा
in2fertility | 2 years agoमहिला या पुरुष दोनों में इंफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह बन रहा है। ऑफिस का तनाव, धुम्रपान और खराब जीवनशैली इनफर्टिलिटी बढ़ाने की खास वजहें हैं। जानते हैं इनके बारे में कुछ और जरूरी बातें।
इस तरह आईवीएफ को पहली बार में बनाया जा सकता है सफल
in2fertility | 2 years agoदेश में इनफर्टिलिटी के आंकड़े और नि:संतान दंपत्तियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में विज्ञान ने इनफर्टिलिटी से जूझ रहे लोगों को ‘’आईवीएफ’’ का बहुत ही बेहतरीन तोहफा मिला है।
सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं आईवीएफ से जन्मे बच्चे
in2fertility | 2 years agoIVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन तकनीक विज्ञान का एक चमत्कार ही है, जिसने नि:संतान महिलाओं को मातृत्व का तोहफ़ा दिया है। आज के दौर में महिलाएं IVF को समझ रही हैं और अपना रही हैं।