किसी भी विवाहित जोड़े का दांपत्य जीवन तब तक अधूरा रहता है जब तक उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो जाता। वर्तमान परिदृश्य में भारत ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी विवाहित जोड़े निसंतानता से जूझ रहे हैं। दुनियाभर में निसंतानता की सबसे बड़ी वजह इनफर्टिलिटी है, जो कि महिला या पुरुष दोनों में से किसी में भी हो सकती है। पिछले दो दशकों में इनफर्टिलिटी के आंकड़ों में लगातार इज़ाफ़ा देखने को मिला है। इनफर्टिलिटी के बढ़ते आंकड़ों की वजह बदलती जीवनशैली, विवाह की बढ़ती उम्र, कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या, एल्कोहॉल और तंबाकू का बढ़ता सेवन और मोटापे का बढ़ता स्तर है, इसके साथ ही इनफर्टिलिटी की कुछ क्लीनिकल वजहें भी हैं जैसे पॉली-सिस्टिक ओवेरियन सिंडरोम(पीसीओएस), एंडोमेट्रियल ट्यूबरक्लोसिस और यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई)। लेकिन ऐसा नहीं है कि इनफर्टिलिटी का शिकार सिर्फ़ महिलाएं ही हो रही हैं बल्कि पुरुष भी इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं।
मेडिकल साइंस ने असिस्टिड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी(एआरटी) के ज़रिये इनफर्टिलिटी का इलाज संभव बनाया है। हालांकि भारत में इनफर्टिलिटी से जूझ रहे सिर्फ़ 1% दंपत्ति ही इसका इलाज करवाते हैं। इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट की तरफ़ निसंतान दंपत्तियों के कम रुझान की कई वजहें हैं जैसे -
हालांकि देशभर में ऐसे दंपत्ति भी हैं जो कभी निसंतानता से जूझ रहे थे और आज उनके घरों में बच्चे की किलकारियां गूंज रही हैं और ये सब आईवीएफ ट्रीटमेंट की वजह से ही मुमकिन हो पाया है। देश में कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जो इनफर्टिलिटी को लेकर सजग हैं और ख़ासतौर पर आईवीएफ क्षेत्र में बेहद ही कम कीमतों पर सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। ऐसा ही एक संस्थान है इंदिरा आईवीएफ, जिसने पिछले 8 सालों में देशभर की 32 हज़ार मांओं को आईवीएफ के ज़रिये मातृत्व का सबसे बड़ा तोहफा दिया है। इंदिरा आईवीएफ के संस्थापक डॉ. अजय मुर्डिया ने 8 साल पहले देश में इनफर्टिलिटी की गंभीरता को समझते हुए इस संस्थान की शुरुआत की थी। इंदिरा आईवीएफ के आज देशभर में 50 आईवीएफ सेंटर हैं। दंपत्तियों में जागरुकता बढ़ाने के लिए डॉ. मुर्डिया और इंदिरा आईवीएफ ने देशभर के 20 राज्यों के 520 शहरों में 1683 जागरुकता शिविर लगाए, जहां नि:संतान दंपत्तियों को आईवीएफ के फायदों के बारे में बताया गया। इंदिरा आईवीएफ में क्लोज वर्किंग चैंबर तकनीक के ज़रिये आईवीएफ ट्रीटमेंट को अंजाम दिया जाता है जिसकी सफलता दर रिकॉर्ड 72 फीसदी है। इंदिरा आईवीएफ की सफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि जो इलाज दूसरे संस्थानों में 3 से 5 लाख में उपलब्ध है वही इलाज इंदिरा आईवीएफ में मात्र 1.5 से 2 लाख में किया जाता है लिहाज़ा ज़्यादा से ज़्यादा दंपत्ति अब आईवीएफ ट्रीटमेंट ले पाएंगे और अपने जीवन में भर पाएंगे संतान सुख।
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निसंतानता और इनफर्टिलिटी लाइलाज नहीं, जानें विशेषज्ञों की राय
निसंतानता और इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दंपत्तियों के लिए एक बेहद ही खास कार्यक्रम, इस कार्यक्रम में आईवीएफ विशेषज्ञों से जानें निसंतानता और इनफर्टिलिटी के इलाज से जुड़े कुछ बेहद ही कारगार सुझाव, जिनसे आ सकता है आपके घर संतान सुख। आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेकर दंपत्तियों में गलत जानकारी भी उन्हें इस ट्रीटमेंट को अपनाने से रोकती है। ऐसे में ये वीडियो आईवीएफ से जुड़े कई मिथकों को भी तोड़ता है, जिनकी वजह से निसंतान दंपत्ति आईवीएफ को अपनाने से झिझकते हैं। आइये इस वीडियो के ज़रिये पाएं निसंतानता और इनफर्टिलिटी से निपटने के कुछ बेहद ही कारगर तरीके।
निसंतानता और इनफर्टिलिटी लाइलाज नहीं, जानें विशेषज्ञों की राय
निसंतानता और इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दंपत्तियों के लिए ये वीडियो बेहद ही मददगार साबित हो सकती है। इस वीडियो में आईवीएफ विशेषज्ञ आपको देंगे निसंतानता और इनफर्टिलिटी के इलाज के कुछ बेहद ही कारगार सुझाव, जिनसे आ सकता है आपके घर संतान सुख। ये वीडियो आईवीएफ से जुड़े कई मिथकों को भी तोड़ता है, जिनकी वजह से निसंतान दंपत्ति आईवीएफ को अपनाने से झिझकते हैं। आइये इस वीडियो के ज़रिये पाएं निसंतानता और इनफर्टिलिटी से निपटने के कुछ बेहद ही कारगर तरीके।
क्या है Polycystic Ovarian Disease? जीवनशैली और खान-पान में बदलाव है ज़रूरी
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ यानी पीसीओडी आजकल महिलाओं में तेज़ी से बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण होता है हॉर्मोन असंतुलन और ये महावारी के चक्र के असंतुलन के रुप में सामने आता है। इसके लक्षणों में मोटापा बढ़ना, चेहरे पर बाल आना, मुहांसे आना और तैलीय त्वचा होना है। पीसीओडी की वजह से कम उम्र की महिलाओं को भी निसंतानता की समस्या से जूझना पड़ता है। पीसीओडी की वजह से महिला के शरीर में बनने वाले अंडे सही समय पर नहीं फूटते और इनकी गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। पीसीओडी के इलाज के दौरान जीवनशैली और खान-पान में बदलाव करना ज़रूरी होता है, इस दौरान महिला को कृत्रिम हॉर्मोन इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे महिला की महावारी को नियमित किया जा सके। पीसीओडी में निसंतानता होने पर आईयूआई का विकल्प मौजूद है लेकिन अगर आईयूआई से भी गर्भधारण नहीं हो पाता तो ऐसे में आईवीएफ ही सबसे कारगर उपाय है।
इनफर्टिलिटी से जूझने वाले दंपत्ति ले रहे हैं आईवीएफ तकनीक का सहारा
in2fertility | 2 years agoमहिला या पुरुष दोनों में इंफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह बन रहा है। ऑफिस का तनाव, धुम्रपान और खराब जीवनशैली इनफर्टिलिटी बढ़ाने की खास वजहें हैं। जानते हैं इनके बारे में कुछ और जरूरी बातें।
इस तरह आईवीएफ को पहली बार में बनाया जा सकता है सफल
in2fertility | 2 years agoदेश में इनफर्टिलिटी के आंकड़े और नि:संतान दंपत्तियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में विज्ञान ने इनफर्टिलिटी से जूझ रहे लोगों को ‘’आईवीएफ’’ का बहुत ही बेहतरीन तोहफा मिला है।
सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं आईवीएफ से जन्मे बच्चे
in2fertility | 2 years agoIVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन तकनीक विज्ञान का एक चमत्कार ही है, जिसने नि:संतान महिलाओं को मातृत्व का तोहफ़ा दिया है। आज के दौर में महिलाएं IVF को समझ रही हैं और अपना रही हैं।