विश्व कप में इस बार हमारे पक्ष में आएगा परिणाम: हरेंद्र
वर्ल्डकप में भारतीय टीम की संभावनाओं, चुनौतियों और अन्य पहलुओं पर कोच हरेंद्र सिंह से खास बातचीत की।
नई दिल्ली, उमेश राजपूत। हरेंद्र सिंह की कोचिंग में दो साल पहले जूनियर भारतीय हॉकी टीम विश्व कप जीत चुकी है और पिछले साल उनकी कोचिंग में ही महिला टीम ने एशिया कप जीता था। अब हरेंद्र की कोचिंग में सीनियर पुरुष टीम अपनी सरजमीं पर विश्व कप खेलने उतरेगी। हरेंद्र को टीम को विश्व कप के लिए तैयार करने के लिए काफी कम समय मिला, क्योंकि उन्हें इसी साल मई में सीनियर टीम के कोच की जिम्मेदारी दी गई।
कम समय में उन्होंने टीम के साथ काफी मेहनत की, जिसका परिणाम है कि सभी यह उम्मीद कर रहे हैं कि भारतीय टीम 43 साल से चला आ रहा पदक का सूखा खत्म करने में सफल होगी। भारतीय टीम की संभावनाओं, चुनौतियों और अन्य पहलुओं पर कोच हरेंद्र सिंह से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:
भारतीय टीम के लिए घरेलू सरजमीं पर विश्व कप खेलने को आप मौका मानते हैं या चुनौती?
मैं तो इसे मौका मानता हूं, क्योंकि हम अपने देश में इतना बड़ा टूर्नामेंट करा रहे हैं। इसमें विश्व की सबसे बड़ी टीमें उतरेंगी। इस विश्व कप के आयोजन के लिए सभी बधाई के पात्र हैं। हम पिछले 43 वर्षो से फाइनल जीतने की बात तो दूर सेमीफाइनल खेलने से भी वंचित हैं। ऐसे में हम कोचों और खिलाड़ियों को यह कहीं ना कहीं एक मौका मिला है जिसे हमें भुनाना चाहिए। साथ ही यह मौका है कि हम भारतीय हॉकी को उसकी अच्छी सौगात वापस लौटाएं।
विश्व कप में भारतीय हॉकी का इतिहास अच्छा नहीं रहा। उम्मीद कर सकते हैं कि इस बार इतिहास बदलेगा?
इतिहास बदलने के लिए नहीं होता, जो इतिहास लिखा गया वो पढ़ने के लिए होता है। जो अच्छा किया जाता है वो इतिहास बनता है और जो बुरा किया जाएगा वो इम्तिहान बनेगा। किस हिसाब से टीम तैयारी करती है, वह महत्वपूर्ण है। पिछले चार-पांच साल में भारतीय टीम की खेलने की पद्धति और टूर्नामेंट के परिणाम काफी सकारात्मक रहे हैं। मुझे लगता है कि इस बार विश्व कप में परिणाम हमारे पक्ष में आएगा।
भारतीय टीम की तैयारी कैसी चल रही हैं?
तैयारी तो हो चुकी हैं, अब तो इंतजार हो रहा है। ऐसा नहीं होता कि इतने बड़े टूर्नामेंट की तैयारी आप एकदम नजदीक आने पर करते हैं। ये तैयारियां चार-पांच साल पहले से शुरू हो जाती हैं।
आप विश्व कप में क्या लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं?
हमारे लिए यह टूर्नामेंट तीन भागों में है। पहले हम मैच दर मैच चलेंगे। उसके बाद कोशिश करेंगे कि हम ग्रुप में शीर्ष पर रहें, ताकि सीधे क्वार्टर फाइनल खेलें और क्रॉस ओवर मैच नहीं खेलें। उसके बाद हमारा लक्ष्य सेमीफाइनल में पहुंचना और पदक पक्का करना होगा। सेमीफाइनल बहुत महत्वपूर्ण होगा, जो यह तय करेगा कि गले में पदक होगा या नहीं।
हमारी टीम काफी युवा है। क्या इस टीम को अनुभव की कमी नहीं खलेगी?
43 साल से हमने कोई पदक नहीं जीता है, तो क्या हमारी उन टीमों के पास अनुभव की कमी थी। यह तो साफ है कि अनुभव को कोई नकार नहीं सकता, लेकिन सिर्फ अनुभव के दम पर आप विश्व कप नहीं खेल सकते। आपको युवा और अनुभव का मिश्रण चाहिए होता है। रनिंग और फिटनेस चाहिए होती है।
यह टीम युवा और अनुभव का मिश्रण है। इस टीम की औसत उम्र 23 साल चार महीने है, जो कि मेरे हिसाब से इंसान को परिपक्व बनाती है। साथ ही अनुभव देखा जाए तो इस टीम के प्रति खिलाड़ी औसतन मैच 103 हैं। इस हिसाब से मैं यह नहीं कह सकता कि इस टीम में अनुभव की कमी है।
विश्व कप से ठीक पहले श्रीजेश को हटाकर मनप्रीत को कप्तान बनाने से क्या इन दोनों की मानसिकता पर कुछ असर पड़ेगा?
हॉकी में कप्तान के लिए ज्यादा कुछ होता नहीं है। मैदान पर सभी 18 खिलाड़ी उतरते हैं। मेरे हिसाब से यह सिर्फ सोचने और समझने की बात है।
आप भाग्यशाली कोच भी माने जाते हैं, तो क्या आपकी कोचिंग में हम 1975 का इतिहास दोहरा पाएंगे?
जो भी टीमें विश्व कप खेलने आती हैं वो सभी अच्छा प्रदर्शन करने के साथ-साथ खिताब जीतने के मकसद से आती हैं। सभी 16 टीमें खिताब के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगी और सभी 16 टीमें खिताब जीतने में सक्षम हैं, क्योंकि विश्व की 150 से ज्यादा टीमों में से ये 16 टीमें विश्व कप खेलने आ रही हैं।
भारतीय टीम भी अपनी दावेदारी पेश करेगी और जिस हिसाब से हमारी तैयारी है एवं घरेलू परिस्थितियों का हमारे खिलाड़ी भरपूर फायदा उठाएं तो अच्छा परिणाम लाएंगे, जिससे भारतीय हॉकी प्रेमी इतने वर्षो से वंचित रहे।
इस बार प्रारूप बदला है। यह कितना दिलचस्प होगा?
यह प्रारूप काफी अच्छा होगा। इससे सभी टीमों को बराबर मौका मिलेगा। इस विश्व कप में एक और नई चीज है वो यह कि यह पहला विश्व कप होगा जिसमें 15-15 मिनट के चार क्वार्टर खेले जाएंगे।