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हॉकी वर्ल्डकप 2018: कप्तानी नहीं, देश के लिए खेलना अहम: श्रीजेश

हॉकी विश्व कप और अन्य मुद्दों को लेकर पीआर श्रीजेश से खास बातचीत

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Mon, 26 Nov 2018 01:40 PM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2018 01:40 PM (IST)
हॉकी वर्ल्डकप 2018: कप्तानी नहीं, देश के लिए खेलना अहम: श्रीजेश
हॉकी वर्ल्डकप 2018: कप्तानी नहीं, देश के लिए खेलना अहम: श्रीजेश

नई दिल्ली, उमेश राजपूत। भुवनेश्वर में 28 नवंबर से शुरू होने वाले हॉकी विश्व कप में मनप्रीत सिंह की कप्तानी में जो भारतीय टीम खेलने उतरेगी उसमें 30 साल के गोलकीपर पीआर श्रीजेश सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। श्रीजेश को 2016 रियो ओलंपिक से पहले भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था तो माना जा रहा था कि वह लंबे समय तक इस जिम्मेदारी को निभाएंगे। 

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पिछले साल उनका करियर चोटिल होने की वजह से प्रभावित रहा। उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। वह फिट होकर टीम में तो लौटे, लेकिन विश्व कप में वह बतौर गोलकीपर खेलते नजर आएंगे। हॉकी विश्व कप और अन्य मुद्दों को लेकर पीआर श्रीजेश से खास बातचीत । पेश हैं मुख्य अंश

विश्व कप के लिए टीम की तैयारियां कैसी हैं?

विश्व कप बिलकुल करीब है और हमारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अब हम विश्व कप के मैचों में उतरने के इंतजार में हैं।

घर में विश्व कप खेलने का कितना फायदा मिलेगा?

विश्व कप कहीं भी हो, जो खिलाड़ी और टीम अच्छा करते हैं, उन्हें ही फायदा मिलता है। हमें जो अतिरिक्त फायदा मिलेगा वो यह है कि हम घर में खेलेंगे, हमें घरेलू दर्शकों का समर्थन मिलेगा। दर्शक 12वें खिलाड़ी की भूमिका अदा करते हैं। इस तरह हमें 12वें खिलाड़ी का भी साथ मिलेगा। लेकिन, महत्वपूर्ण यह है कि सिर्फ दर्शकों के समर्थन से काम नहीं चलेगा, हमें अच्छा प्रदर्शन भी करना होगा।

भारत के पूल में द. अफ्रीका के अलावा बेल्जियम और कनाडा की टीमें भी हैं। इसे बाकी पूलों से आसान माना जा रहा है?

हम किसी भी टीम को हल्के में नहीं लेंगे। कनाडा ने हमें पिछले साल लंदन में विश्व लीग सेमीफाइनल में हराया था। हम अपना पहला मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलेंगे और किसी भी टूर्नामेंट का पहला मैच हमेशा महत्वपूर्ण होता है। वे भी अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहेंगे। 

जहां तक बेल्जियम की बात है तो वह दुनिया की बेहतरीन टीमों में से एक है। उसके साथ हमारा हमेशा कड़ा मुकाबला होता है। ऐसे में जो भी मौकों को भुनाएगा वही जीतेगा। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है तक कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें और सीधे क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करें।

तो क्या भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल को लक्ष्य बनाकर चल रही है?

नहीं, ऐसी बात नहीं है। क्वार्टर फाइनल खेलना हमारा पहला लक्ष्य है। इस विश्व कप का प्रारूप ऐसा है कि सीधे क्वार्टर फाइनल में पहुंचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि सीधे क्वार्टर फाइनल नहीं खेलते हैं तो बड़े मुकाबले शुरू होने से पहले एक अतिरिक्त मैच खेलना पड़ेगा।

43 साल से हमने विश्व कप में कोई पदक नहीं जीता है। टीम के ऊपर इसका कुछ दबाव रहेगा?

हम इसे दबाव के रूप में नहीं देख रहे हैं। हम हर मैच में जीतने के इरादे से उतरेंगे, बल्कि यह हमारे पास एक मौका है कि इस बार हम पदक जीतकर इतने साल का इंतजार खत्म करें।

टीम के विदेशी कोच भी रहे हैं, लेकिन हरेंद्र सिंह में ऐसा क्या है जो उन्हें औरों से अलग बनाता है?

हर कोच की अपनी एक शैली होती है। चाहें वह सिखाने का तरीका हो या समझाने और टीम बैठक करने का तरीका हो। हरेंद्र सर ऐसे कोच हैं जैसे कि वह हमें बचपन से जानते हों। उन्होंने जूनियर टीम के साथ भी काम किया है तो ऐसे में वह हर खिलाड़ी के बारे में निजी तौर पर जानते हैं। भारतीय कोच होने का फायदा यह भी होता है कि उन्हें हमारी बातें और भावनाएं समझने में परेशानी नहीं होती है।

टीम में सरदार, रुपिंदर, सुनील और रमनदीप जैसे खिलाड़ी नहीं हैं। तो क्या टीम को इनकी कमी खल सकती है?

अनुभवी खिलाड़ी हमेशा ही अहम होता है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सीनियर खिलाड़ी नहीं हैं तो हम लोग अच्छा नहीं कर पाएंगे। मेरा मानना है कि अभी जो टीम है उसका हर खिलाड़ी यदि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा तो हमें उन लोगों की कमी कभी खलेगी ही नहीं। यह हमारे नए खिलाड़ियों के लिए भी मौका है कि वे अच्छा प्रदर्शन करें और सीनियर खिलाड़ियों की कमी नहीं खलने दें। साथ ही टीम में अपनी जगह सुनिश्चित करें।

पिछले साल आप चोटिल होने की वजह से काफी समय टीम से बाहर रहे थे, तो क्या अब आप 100 प्रतिशत फिट हैं?

यदि मैं फिट नहीं होता तो टीम में नहीं आ पाता। ऐसा नहीं होता कि कोई खिलाड़ी 80 या 90 प्रतिशत फिट है तो उसे टीम में शामिल किया जाए। आप 100 प्रतिशत फिट होने पर ही टीम में आ सकते हो।

विश्व कप में कप्तानी नहीं कर पाने का कुछ मलाल है क्या?

मेरे लिए कप्तानी कभी बड़ी चीज नहीं रही। कप्तान रहूं या नहीं रहूं, मेरे लिए महत्वपूर्ण है देश के लिए खेलना। मैं इन सब बातों में ध्यान नहीं देता। वैसे भी यह हॉकी इंडिया का फैसला होता है कि किसे कप्तान बनाना है, किसे खिलाना है। जब मुझे कप्तान बनाया जाता है तो मैं वह दायित्व निभाता हूं, नहीं तो एक खिलाड़ी के तौर पर अपना दायित्व निभाता हूं। लेकिन, एक सीनियर खिलाड़ी होने के नाते मैं युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देने और प्रेरित करने की अपनी जिम्मेदारी हमेशा निभाता हूं।

मनप्रीत सिंह की कप्तानी पर क्या कहेंगे?

हॉकी में कप्तानी की कोई बहुत ज्यादा अहमियत नहीं होती है। रही बात मनप्रीत की तो वह टीम के अनुभवी खिलाड़ियों में शामिल हैं। उनके साथ यह भी फायदे वाली बात है कि वह इस टीम के कई खिलाड़ियों के साथ जूनियर टीम में भी खेल चुके हैं, तो उनके लिए उन्हें समझना आसान होता है।

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